भारतीय-अमेरिकियों के लिए 2024 का चुनाव नई राजनीतिक दिशा तय करेगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 07-12-2024
The 2024 elections will set a new political direction for Indian-Americans
The 2024 elections will set a new political direction for Indian-Americans

 

राम केलकर

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में डेमोक्रेट कमला हैरिस की हार ने कई भारतीय अमेरिकियों का दिल तोड़ दिया. भारतवंशी होने के नाते भारतीय-अमेरिकियों को हैरिस से काफी उम्मीदें थी, लेकिन इस निराशा ने इतिहास भी रच दिया है.
 
अब भारतीय-अमेरिकी उषा चिलकुरी वेंस से अपनी उम्मीदें लगाए हुए हैं. वह उपराष्ट्रपति वेंस की पत्नी हैं. इसके साथ ही वर्जीनिया में 10वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से सुहास सुब्रहमण्यम की ऐतिहासिक जीत ने कांग्रेस में भारतवंशियों की संख्या 6 कर दी है.
 
2024 के चुनाव और चुनाव डेटा में उल्लेखनीय रुझानों में भारतीय-अमेरिकियों की बदलती राजनीतिक निष्ठा दिखाई है। यह राजनीतिक निष्ठा कभी लंबे समय तक डेमोक्रेट की तरफ थी. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में, अनुमानित 84% भारतीय-अमेरिकियों ने राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा को वोट दिया था. 
 
हालांकि, हाल ही में कार्नेगी एंडोमेंट सर्वेक्षण में एक उल्लेखनीय परिवर्तन सामने आया। 2020 से 2024 तक, डेमोक्रेट के रूप में पहचान करने वाले भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिशत 56% से गिरकर 47% हो गया है. जबकि ट्रम्प के लिए समर्थन देने वाले भारतीय-अमेरिकियों की संख्या 22% से बढ़कर 31% हो गई है. 
 
इन बदलावों ने कई राष्ट्रीय और स्थानीय चुनावों के परिणाम निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. युवा भारतीय-अमेरिकियों के बीच बदलाव से स्पष्ट है कि अमेरिका का यह प्रभावशाली मतदाता समूह एक नई गतिशीलता का संकेत देता है.
 
भारतीय-अमेरिकियों ने, हिस्पैनिक और अश्वेतों सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह, डीईआई और पहचान की राजनीति जैसे प्रगतिशील हॉट बटन मुद्दों पर डेमोक्रेटिक पार्टी के खुले फोकस को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया.
 
इसके बजाय, उन्होंने व्यावसायिक अवसरों और मुद्रास्फीति जैसे आर्थिक मुद्दों के आधार पर तय किया कि उन्हें वोट किसे देना है. यह देखना बाकी है कि क्या डेमोक्रेटिक पार्टी 2024 के चुनावों से सबक लेगी और भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं को वापस जीतने के लिए अपने दृष्टिकोण में सुधार करेगी.
 
ट्रम्प की चुनौतियां
 
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए दूसरा कार्यकाल कई चुनौतियों के साथ-साथ भारतीय-अमेरिकियों और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए वादे लेकर आया है. "स्टॉप एएपीआई हेट" की एक हालिया रिपोर्ट जिसका शीर्षक "एम्पावर्ड/इम्पेरिल्ड: द राइज़ ऑफ़ साउथ एशियन रिप्रेजेंटेशन एंड एंटी-साउथ एशियन रेसिज्म" है, भारतीय-अमेरिकी समुदाय की अनोखी दुविधा को उजागर करती है. ट्रम्प अमेरिका फर्स्ट की नीति का नारा दे चुके हैं. 
 
साथ ही, हाल के वर्षों में दक्षिण एशियाई विरोधी नफरत बढ़ी है, और 43% प्रतिशत दक्षिण एशियाई लोगों ने कहा कि उन्होंने 2023 में "स्टॉप एएपीआई हेट" के तहत नफरत के कृत्य का अनुभव किया है.
 
भू-राजनीतिक स्तर पर, एक राष्ट्र के रूप में भारत के लिए संभावनाएं कुछ अधिक सकारात्मक हैं. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिका की अपनी हाल की यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री मोदी से मुलाकात की. मिशिगन में एक टाउन हॉल के दौरान, व्यापार और टैरिफ पर चर्चा करते हुए ट्रम्प ने भारत को "... एक बहुत बड़ा दुर्व्यवहार करने वाला" कहा, लेकिन फिर पीएम मोदी को "शानदार आदमी" भी कहा.
 
टैरिफ लगाना भारत के लिए कोई मुद्दा होने की संभावना कम है, क्योंकि यह देश चीन के विपरीत अमेरिका को विनिर्मित वस्तुओं का बड़ा निर्यातक नहीं है. भारत अपने रणनीतिक महत्व और चीन को संतुलित करने में अपनी भूमिका के कारण अन्य देशों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में है.
 
(लेखक शिकागो स्थित स्तंभकार और निवेश पेशेवर हैं)