पारंपरिक मीडिया का पतन: एक अपरिहार्य वास्तविकता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-03-2025
The decline of traditional media: An inevitable reality
The decline of traditional media: An inevitable reality

 

writerज़की तारिक

पारंपरिक मीडिया, जिसमें समाचार पत्र, रेडियो और टेलीविजन शामिल हैं, दशकों तक समाज का एक अभिन्न हिस्सा रहा है. यह समाचार और सूचना का सबसे विश्वसनीय स्रोत माना जाता था. लेकिन, पिछले कुछ दशकों में डिजिटल मीडिया के उदय ने पारंपरिक मीडिया के अस्तित्व को गंभीर चुनौती दी है. आज के समय में सोशल मीडिया, वेबसाइट्स और मोबाइल एप्लिकेशन ने समाचारों को जितनी तेज़ी से वितरित किया है, उससे पारंपरिक मीडिया को खासी कठिनाइयाँ का सामना करना पड़ रहा है.

डिजिटल मीडिया का उदय: एक नई क्रांति

इंटरनेट और सोशल मीडिया का उदय पत्रकारिता की दुनिया में एक अभूतपूर्व परिवर्तन लेकर आया है. फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने समाचारों की डिलीवरी के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है.

अब किसी भी घटना की जानकारी कुछ ही सेकंड्स में दुनिया भर में फैल जाती है. इसके विपरीत, समाचार पत्र और टीवी चैनलों के पास समाचार तैयार करने और प्रसारित करने में अधिक समय लगता है, जिससे उनका प्रतिस्पर्धात्मक लाभ कम हो गया है.

डिजिटल मीडिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए किसी विशिष्ट समय या स्थान की आवश्यकता नहीं होती. लोग अपनी सुविधानुसार, कहीं भी, कभी भी समाचार प्राप्त कर सकते हैं. जबकि पारंपरिक मीडिया, जैसे समाचार पत्र और टेलीविजन, में निश्चित समय पर समाचार प्रकाशित या प्रसारित होते हैं. इस वजह से पारंपरिक मीडिया के पाठकों और दर्शकों की संख्या में लगातार कमी हो रही है.

नई पीढ़ी की बदलती प्राथमिकताएँ

आज के पाठकों और दर्शकों की प्राथमिकताएँ भी पूरी तरह से बदल चुकी हैं. पहले लोग विस्तृत समाचार और गहरे विश्लेषण को पढ़ना या देखना पसंद करते थे, लेकिन अब ज्यादातर लोग संक्षिप्त और सारगर्भित जानकारी चाहते हैं.

यह बदलाव खासतौर पर युवा पीढ़ी में देखा जा रहा है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब वीडियो, ट्विटर अपडेट्स, और फेसबुक पोस्ट के माध्यम से समाचार प्राप्त करती है. इस बदलाव ने पारंपरिक मीडिया के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि अब उसे अपने पाठकों को बनाए रखने के लिए नए तरीके अपनाने पड़ रहे हैं.

विज्ञापन उद्योग की बदलती स्थिति

पारंपरिक मीडिया की कमाई का मुख्य स्रोत विज्ञापन होता था, लेकिन डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण, विज्ञापनदाता अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को प्राथमिकता दे रहे हैं. गूगल एडसेंस, फेसबुक विज्ञापन, और अन्य ऑनलाइन विपणन टूल्स ने विज्ञापन उद्योग का स्वरूप बदल दिया है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अरबों उपयोगकर्ता हैं, और कंपनियाँ अब पारंपरिक मीडिया के मुकाबले इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अधिक विज्ञापन दिखाती हैं. इसका सीधा असर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के राजस्व पर पड़ा है, और कई संस्थानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है या वे बंद हो चुके हैं.

फर्जी खबरों का खतरा

सोशल मीडिया पर समाचारों के तेजी से प्रसार के बावजूद, फर्जी खबरों की समस्या एक गंभीर चुनौती बन गई है. आज के डिजिटल युग में कोई भी व्यक्ति या संगठन खबरें साझा कर सकता है, चाहे वह सच हो या झूठ. यह सनसनीखेजता और अफवाहों का बाजार तैयार करती है, जिससे लोग बिना सत्यापन के वायरल खबरों पर विश्वास कर लेते हैं.

पारंपरिक मीडिया का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह सत्यापित और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करता है, जिसके लिए शोध और समय की आवश्यकता होती है. इसके विपरीत, सोशल मीडिया पर कई बार अपुष्ट और अफवाह आधारित खबरें तेजी से फैल जाती हैं, जो समाज में अराजकता का कारण बन सकती हैं.

यह पारंपरिक मीडिया के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे सत्यता और प्रामाणिकता को बनाए रखते हुए खबरें फैलानी होती हैं.

पारंपरिक मीडिया के वित्तीय संकट

समाचार पत्रों और टीवी चैनलों को चलाने के लिए बड़े संसाधनों की आवश्यकता होती है, जैसे पत्रकारों का वेतन, मुद्रण लागत, और प्रसारण सुविधाएँ. लेकिन डिजिटल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, अधिकतर लोग अब ऑनलाइन सामग्री को प्राथमिकता देने लगे हैं.

इसके अलावा, डिजिटल मीडिया ने समाचार प्राप्ति को निःशुल्क बना दिया है, जिससे पाठक अब समाचार पत्रों को खरीदने या केबल टीवी की सदस्यता लेने के बजाय मुफ्त ऑनलाइन समाचार स्रोतों को अधिक महत्व देने लगे हैं. इस परिवर्तन ने पारंपरिक मीडिया की वित्तीय स्थिति को और भी कमजोर किया है.

पारंपरिक मीडिया का भविष्य: एक नई दिशा की आवश्यकता

हालाँकि पारंपरिक मीडिया में गिरावट आ रही है, इसका पूर्ण उन्मूलन असंभव है. पारंपरिक मीडिया अभी भी गुणवत्तापूर्ण और खोजी पत्रकारिता का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. यदि समाचार पत्र और टीवी चैनल अपनी कार्यप्रणाली को डिजिटल मीडिया के अनुरूप ढाल लें, अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को मजबूत करें, और आधुनिक तकनीक का उपयोग करें, तो वे अपनी स्थिति को फिर से सुदृढ़ कर सकते हैं.

सरकारों और संस्थाओं को भी पारंपरिक मीडिया के अस्तित्व के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे, ताकि प्रामाणिक और गुणवत्तापूर्ण समाचारों की उपलब्धता बनी रहे. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पाठक और दर्शक सही, सत्य, और गहन जानकारी तक पहुंच सकें, और यह जिम्मेदारी पारंपरिक मीडिया की ही है.

पारंपरिक मीडिया का पतन कई कारणों से हुआ है, जिनमें डिजिटल मीडिया का उदय, दर्शकों की बदलती प्राथमिकताएँ, ऑनलाइन विज्ञापन के स्थानांतरण, और वित्तीय दबाव शामिल हैं.

हालांकि, यदि पारंपरिक मीडिया समय के साथ अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करता है, और आधुनिक तकनीक के साथ तालमेल बैठाता है, तो यह डिजिटल युग में भी अपनी पहचान बना सकता है.

यदि पारंपरिक मीडिया ने शोध आधारित और गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता को बनाए रखते हुए अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को मजबूत किया, तो वह एक नए दौर में अपनी स्थिति पुनः स्थापित कर सकता है. आज की दुनिया में जीवित रहने के लिए, पारंपरिक मीडिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म की मांगों के अनुसार ढलना होगा और नई दिशा में आगे बढ़ना होगा.

(लेखक साप्ताहिक सदा ए बिस्मिल के संपाद हैं)