एसएसबीएन आईएनएस अरिघात: भारत की फायर पॉवर में क्रांतिकारी बदलाव, चीन को उठने लगी मरोड़

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 03-09-2024
SSBN INS Arighat
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राकेश चौरासिया

भारतीय नौसेना के पनडुब्बी बेड़े में शामिल होने वाली एसएसबीएन अरिघात, भारती रक्षा प्रणाली एक महत्वपूर्ण सामरिक संपत्ति है. इस पनडुब्बी को भारतीय नौसेना की दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी होने का गौरव प्राप्त है और यह अपनी उन्नत तकनीक, अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, और विशेषताओं के कारण भारत की रक्षा शक्ति को अत्यधिक बढ़ाने की क्षमता रखती है. इससे भारत की फायर पॉवर में बड़ा इजाफा होगा. यह बात चीन को हजम नहीं हो रही और चीन सरकार के मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ को उल्टियां गगई हैं.

अरिघात से चीन को मिली सामरिक चुनौती

भारत की नई पनडुब्बी अरिघात ने चीन की सुरक्षा रणनीतिकारों को चिंतित कर दिया है. चीन के प्रमुख सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपने एक लेख में भारत की इस पनडुब्बी के सामरिक महत्व को स्वीकार करते हुए इसे लेकर अपने विचार साझा किए. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत की न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन अरिघात, देश की परमाणु शक्ति को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस लेख में चीन ने भारत को उपदेश दिया है कि भारत इस पनडुब्बी का ‘जिम्मेदारी से’ उपयोग करे.  हालांकि इस उपदेश में चीन का डर छुपा हुआ है.

ग्लोबल टाइम्स का आर्टिकलः चीन की चिंता का प्रतिबिंब

ग्लोबल टाइम्स के लेख में स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया गया है कि चीन भारत की न्यूक्लियर पनडुब्बियों के बढ़ते बेड़े को लेकर चिंतित है. लेख में कहा गया है कि -

ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि अरिघात के शामिल होने से भारत की परमाणु शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे क्षेत्रीय संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है. चीन ने इसे एक चुनौती के रूप में देखा है और इस पनडुब्बी के उपयोग को लेकर भारत को सावधानी बरतने की सलाह दी है.

लेख में यह भी कहा गया है कि भारत की परमाणु शक्ति का उपयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए किया जाना चाहिए, न कि शक्ति प्रदर्शन या ब्लैकमेल के लिए. यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदेश है, जो दर्शाता है कि चीन भारत की नई पनडुब्बी को संभावित खतरे के रूप में देखता है.

चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में यह संकेत दिया कि वह इस नई चुनौती के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत करेगा. यह भी संभव है कि चीन अपने पनडुब्बी बेड़े को और अधिक मजबूत बनाने के लिए कदम उठाए.

अरिघात की ताकत और खासियत

एसएसबीएन अरिघात को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. यह पनडुब्बी अरिहंत श्रेणी की दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी है, जो परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है. इसके निम्नलिखित विशेषताओं और क्षमताओं के कारण यह अत्यंत महत्वपूर्ण है -

परमाणु ऊर्जा संचालितः अरिघात परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है, जो इसे लंबी अवधि तक पानी के अंदर रहने में सक्षम बनाती है. यह बिना किसी बाहरी समर्थन के महीनों तक पानी के नीचे ऑपरेशन कर सकती है, जो इसे दुश्मन से छुपने और लंबे समय तक किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम बनाता है.

उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताः अरिघात में के-15 और के-4 बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने की क्षमता है. के-15 मिसाइलें 750 किमी तक मार कर सकती हैं, जबकि के-4 मिसाइलें 3500 किमी तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं. यह पनडुब्बी दुश्मन के क्षेत्र में गहरे तक जाकर लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता रखती है.

स्टेल्थ तकनीकः अरिघात अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक से लैस है, जो इसे दुश्मन की रडार प्रणाली से बचने में सक्षम बनाती है. इसके डिजाइन में ध्वनि को अवशोषित करने वाले मैटेरियल्स का उपयोग किया गया है, जिससे यह पानी के नीचे बहुत कम शोर उत्पन्न करती है, और इस तरह से इसे ढूंढ पाना बहुत मुश्किल होता है.

संचार प्रणालीः इस पनडुब्बी में अत्याधुनिक संचार प्रणाली लगी हुई है, जो इसे भारतीय नौसेना के साथ निरंतर संपर्क में बनाए रखती है. यह पनडुब्बी संकट की स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया करने में सक्षम है और इसे दुश्मन के हमलों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

सुरक्षा और नियंत्रण प्रणालीः अरिघात में अत्याधुनिक सुरक्षा और नियंत्रण प्रणाली लगी हुई है, जो इसे बेहद सुरक्षित बनाती है. इसके अंदर लगे सिस्टम्स और सबसिस्टम्स को बार-बार टेस्ट किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह हर स्थिति में ऑपरेशन के लिए तैयार है.

भारत की फायर पॉवर में बढ़ोतरी

अरिघात की सामरिक क्षमताओं का सीधा असर भारत की फायर पॉवर पर पड़ेगा. इसके निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव हो सकते हैं -

दूसरी स्ट्राइक की क्षमताः अरिघात की न्यूक्लियर पनडुब्बी होने के कारण भारत की दूसरी स्ट्राइक की क्षमता बढ़ेगी. यह पनडुब्बी समुद्र में कहीं भी छिपकर दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है, जिससे भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता और भी मजबूत हो जाएगी.

परमाणु त्रिकोणः भारत की रक्षा रणनीति में परमाणु त्रिकोण (न्यूक्लियर ट्रायड) का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हमले की क्षमता शामिल है. अरिघात के शामिल होने से यह त्रिकोण और भी मजबूत होगा और भारत की सामरिक शक्ति में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी.

दुश्मन के मनोबल पर असरः अरिघात के कारण भारत की रक्षा शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे दुश्मन के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ेगा. यह पनडुब्बी किसी भी स्थिति में दुश्मन के खिलाफ निर्णायक हमले करने में सक्षम है, जिससे दुश्मन देशों के लिए भारत को चुनौती देना और भी कठिन हो जाएगा.

महासागरीय क्षेत्र में प्रभुत्वः अरिघात की सामरिक क्षमताएं भारतीय नौसेना को महासागरीय क्षेत्र में और भी प्रभावी बना देंगी. यह पनडुब्बी विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन कर सकती है, जिनमें दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाना, उनके संचार नेटवर्क को बाधित करना, और सामरिक क्षेत्रों की निगरानी करना शामिल है.

अरिघात  का सामरिक महत्व

एसएसबीएन अरिघात के परिचालन में आने से भारतीय नौसेना और देश की कुल मिलाकर सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है. इसके निम्नलिखित प्रमुख सामरिक महत्व हैं -

स्ट्राइक की विश्वसनीयताः भारत की सामरिक योजना में दूसरी स्ट्राइक की अवधारणा महत्वपूर्ण है, और अरिघात इसे सुनिश्चित करती है. यह पनडुब्बी समुद्र में कहीं भी छिपकर दुश्मन पर निर्णायक हमला करने में सक्षम है, जिससे भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता मजबूत होती है.

अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संतुलनः अरिघात का परिचालन में आना केवल भारत और चीन के बीच के सामरिक समीकरण को ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन को प्रभावित कर सकता है. यह क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है.

प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता: अरिघात के विकास ने भारत की प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता को भी प्रदर्शित किया है. इस पनडुब्बी का निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है.

रणनीतिक निरोध की शक्तिः अरिघात एक महत्वपूर्ण रणनीतिक निरोध शक्ति के रूप में कार्य करेगी. इसके पास परमाणु हथियार ले जाने और उन्हें दागने की क्षमता है, जो इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक संपत्ति बनाती है.

एसएसबीएन अरिघात भारतीय रक्षा तंत्र में एक महत्वपूर्ण चरण है, जो देश की परमाणु शक्ति और सामरिक क्षमता को अत्यधिक बढ़ाती है. इसके सामरिक महत्व को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि भारत की फायर पॉवर में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. हालांकि, इसका उपयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखा जा सके.

अरिघात की ताकत और क्षमताएं न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. चीन की चिंताएं इस बात का संकेत हैं कि अरिघात ने क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को प्रभावित किया है. भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस पनडुब्बी का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार करे, ताकि शांति और स्थिरता बनी रहे.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)