मलिक असगर हाशमी
भारत में महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में हुई भगदड़ और तोड़-फोड़ की घटनाएं हाल ही में चर्चा का विषय बनीं.हालांकि इन घटनाओं ने एक गंभीर संकट को जन्म दिया, लेकिन यह भी समझने की आवश्यकता है कि एक ऐसी विशाल जनसंख्या को संभालना जो हर साल इन धर्मस्थलों में जुटती है, आसान नहीं होता.इस लेख में हम इस घटना का विश्लेषण करेंगे, भारत के विशाल जनसंख्या को देखते हुए भीड़ नियंत्रण की चुनौतियों पर बात करेंगे और संभावित समाधान सुझाएंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके.
महाकुंभ की भगदड़: एक समय का संकट
महाकुंभ के दौरान होने वाली भगदड़ और हंगामा कोई नई घटना नहीं है, लेकिन इस बार की घटना ने ध्यान आकर्षित किया.करीब 35 लोग इस घटना में अपनी जान गंवा चुके हैं, और कई टे्रनों में तोड़-फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं.
इसके बावजूद, यह घटना भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है.महाकुंभ में जुटने वाली भीड़ के अनुपात में ट्रेन सेवाओं की संख्या न के बराबर है.इसके कारण स्थिति गंभीर रूप लेती है और कभी कभी बड़ी दुर्घटनाओं को जन्म देती है.
भारत की जनसंख्या: समस्या का एक बड़ा कारण
भारत की जनसंख्या 140 करोड़ के करीब है, और हिंदू समुदाय की जनसंख्या 100 करोड़ के आसपास है.महाकुंभ जैसे आयोजनों में लाखों श्रद्धालु आते हैं, और उनकी सही तरीके से व्यवस्था करना कोई आसान काम नहीं है.
बांग्लादेश की जनसंख्या करीब 20-22 करोड़ है, लेकिन भारत की स्थिति इससे बहुत अलग है.इतना विशाल देश और इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को नियंत्रित करना किसी चमत्कारी योजना से कम नहीं हो सकता.यही कारण है कि महाकुंभ के दौरान इन घटनाओं को पूरी तरह से नियंत्रित करना बेहद कठिन हो जाता है.
रेल सेवाओं में सुधार की आवश्यकता
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए ट्रेनें तय समय पर नहीं चल रही थीं.इसके कारण न केवल भगदड़ मची, बल्कि कई बार ट्रेन में तोड़-फोड़ भी हुई.
यह स्थिति चिंता का विषय है, और यह स्वीकार करना होगा कि इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए एक बार में पर्याप्त ट्रेनों का इंतजाम करना आसान नहीं है.
भारत में हर दिन ट्रेनों की भारी संख्या में यात्रा होती है, और विशेष रूप से महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान इसकी बढ़ी हुई मांग और भीड़ से निपटना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
सरकार की तत्परता और प्रशासनिक प्रयास
इन घटनाओं को लेकर कुछ लोग रेल मंत्री का इस्तीफा मांग रहे हैं और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इतनी बड़ी जनसंख्या को संभालना किसी एक मंत्रालय के बस की बात नहीं है.
भारत ने अतीत में कई आपात स्थितियों को बड़े पैमाने पर निपटाया है, जैसे प्रिंस के बोलवेल की घटना या उत्तरकाशी में आई प्राकृतिक आपदा.ऐसी घटनाओं के दौरान प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया और स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास सराहनीय रहे हैं.
महाकुंभ के दौरान भी प्रशासन ने जब भगदड़ की सूचना प्राप्त की, तो तुरंत सक्रिय होकर न केवल मृतकों के शवों को सही स्थान पर पहुंचाया, बल्कि घायलों को अस्पताल भी पहुंचाया.यही वह तत्परता है, जो एक जिम्मेदार सरकार की पहचान है.
इसके बावजूद, मीडिया और सोशल मीडिया पर इस तरह की घटनाओं को लेकर आलोचनाएं जारी हैं, जो किसी हद तक निराधार हैं.
भीड़ नियंत्रण में सुधार की आवश्यकता
इस घटना से यह स्पष्ट है कि भारत को अभी भी भीड़ नियंत्रण के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है.जैसे-जैसे हिंदू धर्मस्थलों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे उनकी व्यवस्था और यातायात प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता भी बढ़ रही है.भारत को इस दिशा में एक ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे इन आयोजनों के दौरान किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके.
भविष्य की योजना: सुधार की दिशा में कदम
भारत में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक सुसंगत और व्यवस्थित योजना बनानी चाहिए.इसके लिए सड़कों, यातायात, रिहाइश, होटल, पुलिस व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत किया जा सकता है.
सऊदी अरब में हर साल हज के दौरान करीब 50 लाख मुसलमानों का आगमन होता है, और वहां इसे संभालने के लिए एक मंत्रालय है.
भारत में भी इस तर्ज पर एक मंत्रालय की स्थापना की जा सकती है, जो सभी संबंधित मंत्रालयों के साथ तालमेल बनाकर एक सटीक व्यवस्था सुनिश्चित कर सके.इससे न केवल श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार व्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि यदि किसी अन्य देश द्वारा अव्यवस्था फैलाने का प्रयास किया जाए तो उसे भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकेगा.
एक बेहतर भविष्य की ओर
भारत में महाकुंभ जैसी घटनाओं के दौरान जो समस्याएं उत्पन्न होती हैं, उनका हल ढूंढने के लिए एक दीर्घकालिक और सुसंगत योजना की आवश्यकता है.जहां एक ओर भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं, वहीं इस तरह की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.
भारत में भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत प्रशासनिक तंत्र बनाना समय की मांग है.यदि भारत इस दिशा में ठोस कदम उठाता है, तो न केवल महाकुंभ जैसे आयोजनों को बेहतर तरीके से आयोजित किया जा सकेगा, बल्कि देश की यात्रा, पर्यटन और श्रद्धालुओं के अनुभव को भी और बेहतर बनाया जा सकेगा.
आगे बढ़ते हुए, भारत को इस दिशा में अपने प्रयासों को और सुदृढ़ बनाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और श्रद्धालुओं को सुरक्षित एवं सुखद अनुभव मिल सके.