हरजिंदर
वैसे तो यह एक विधानसभा क्षेत्र है, लेकिन यहां के लोग लोकसभा चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. पंजाब के मलेर कोटला कस्बे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह इस प्रदेश का एकमात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. यहां का विधायक भी ज्यादातर मुस्लिम ही होता है. कभी अकाली दल से तो कभी कांग्रेस से. इस समय जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है तो मलेरकोटला से विधायक भी आम आदमी पार्टी का ही है.
थोड़ी देर के लिए मलेर कोटला को दलगत राजनीति से अलग करके देखें तो यह देश का एक ऐसा हिस्सा है जहां की सांप्रदायिक एकता की मिसाल दी जा सकती है. यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख तीनों समुदायों के लोग रहते हैं, लेकिन कभी किसी भी किस्म का तनाव इस कस्बे के आस-पास तक नहीं फटका.
वैसे, मलेरकोटला में जो सद्भाव है, उसका एक लंबा इतिहास रहा है. कहा जाता है कि इसके पीछे गुरु नानक देव जी द्वारा इस कस्बे को दिया गया एक आशीर्वाद है जिसके चर्चे आज भी यहां लोगों से सुने जा सकते हैं. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त जब पूरा पंजाब जल रहा था, तो सिर्फ यही एक कस्बा था जहां पूरी तरह शांति थी.
यहां तक कि दंगों और कत्लेआम से बचकर जो भी लोग उस समय यहां पहुंचे उन्हें न सिर्फ यहां शरण मिली, बल्कि यहां पहुंचने के बाद कोई उनका बाल बांका भी नहीं कर सका.इस समय यह कस्बा कई वजहों से चर्चा में है. एक तो वजह यह है कि उत्तर प्रदेश के अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा मलेर कोटला के है. यहां से हिंदू, सिख व मुस्लिम महिलाओं का जत्था उनके प्रचार के लिए अमेठी गया हुआ है.
मालेरकोटला संगरूर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है ,जो पिछले पूरे पांच साल में चर्चा के केंद्र में रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने चुनाव जीता था. बाद में विधानसभा चुनाव में जब भगवंत मान मुख्यमंत्री बन गए तो संगरूर सीट पर उपचुनाव हुआ. इस बार लोगों ने एक दूसरे मान यानी सिमरनजीत सिंह मान को लोकसभा भेज दिया.
सिमरनजीत सिंह मान पंजाब की पंथक राजनीति के चरमपंथी माने जाते हैं.इस बार संगरूर किसे चुनेगा और खासकर मलेरकोटला के लोग किसे वोट देंगे इस पर सभी की नजर है. मलेरकोटला को चुनाव की भाषा में बेल वेदर क्षेत्र माना जाता है. यानी यहां के लोग किसी वोट दे रहे हैं, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब का राजनीतिक मौसम क्या है.
मलेरकोटला की यह खासियत इसकी एक और फितरत की ओर इशारा करती है. राजनीति में इस कस्बे ने हमेशा पंजाब की मुख्यधारा का ही साथ दिया . यहां किसी तरह की धार्मिक उन्माद वाली राजनीति कभी पनप ही नहीं सकी. जिस समाज में ऐसी राजनीति जड़े जमाती है, वह समाज यहां है ही नहीं. यहां ऐसा बहुत कुछ है जिसे पंजाब का यह छोटा सा कस्बा पूरे देश और पूरी दुनिया को सिखा सकता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)