चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का समापन हो चुका है, और भारत ने न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर अपनी तीसरी चैंपियंस ट्रॉफी जीत हासिल की. लेकिन इस टूर्नामेंट के दौरान पाकिस्तान का व्यवहार और उनके द्वारा उठाए गए विवादित कदम अब खेल जगत में चर्चा का विषय बन चुके हैं. पाकिस्तान के खिलाफ आलोचनाओं की एक लहर उठ रही है, जिसमें न केवल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समुदाय बल्कि पाकिस्तान के अपने लोग भी शामिल हैं.
पाकिस्तान का व्यवहार और भारत के खिलाफ नफरत
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की मेज़बानी पाकिस्तान को दी गई थी, और इस टूर्नामेंट के आयोजन को लेकर पाकिस्तान ने काफी प्रयास किए थे. उनका उद्देश्य था कि टूर्नामेंट के सारे मैच उनके देश में आयोजित हों, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते भारत ने पाकिस्तान में अपने खिलाड़ियों को भेजने से इंकार कर दिया. पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाओं का खतरा और पिछले 12 वर्षों में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ने भारत को पाकिस्तान में मैच खेलने से मना किया.
भारत ने यह स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान आतंकवादियों को नियंत्रित नहीं कर सकता, तो सुरक्षा कारणों से भारत अपने खिलाड़ियों को पाकिस्तान भेजने का जोखिम नहीं ले सकता. इस समस्या के बाद यह तय किया गया कि भारत अपने सारे मैच दुबई में खेलेगा.
हालाँकि, पाकिस्तान ने फिर भी अपने भारत विरोधी रुख को छोड़ने की बजाय, इन विवादों को और बढ़ाया. पाकिस्तान के आरोप थे कि दुबई की पिच भारत के अनुकूल बनाई गई थी, क्योंकि आईसीसी के अध्यक्ष खुद बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं. जब भारत ने पाकिस्तान को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया, तो पाकिस्तान के एक वर्ग ने यह अफवाह फैलाने की कोशिश की कि मैचों के लिए बनाई गई पिच भारत के पक्ष में थी.
पाकिस्तान की टीम की दयनीय स्थिति
पाकिस्तान की टीम टूर्नामेंट में बेहद कमजोर साबित हुई, और महज तीन दिन बाद ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई. लेकिन इस हार के बावजूद, पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों और मीडिया ने टीम की हार को स्वीकार करने की बजाय इसे भारत और उसके प्रभाव से जोड़ने की कोशिश की.
भारत के सीनियर खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों की आलोचना करने से बचते हुए एक बड़ा दिल दिखाया, लेकिन पाकिस्तान की टीम में यह बवाल फिर भी थमने का नाम नहीं ले रहा है.
खेल के दौरान भारत विरोधी बयानबाजी
चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ ने भारत के खिलाफ नफरत भरे बयान दिए थे, जो कि पूरी दुनिया में चर्चा का कारण बने. उनके बयान न केवल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के लिहाज से निंदनीय थे, बल्कि वे खेल के शिष्टाचार के खिलाफ भी थे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत को लेकर जो बातें कही, वे कभी भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी प्रतिद्वंदी देश के खिलाड़ियों या अधिकारियों के खिलाफ नहीं की हैं.
इसके अलावा, पाकिस्तान की क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भी भारत के खिलाफ अपने रुख को स्पष्ट किया। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में जब भारत को ट्रॉफी देने का समय आया, तो पीसीबी का कोई प्रतिनिधि पोडियम में मौजूद नहीं था. यह एक कूटनीतिक और खेल जगत में अव्यवस्था का उदाहरण था, खासकर तब जब पाकिस्तान ही टूर्नामेंट का मेज़बान था.
शोएब अख्तर और इमरान इस्माइल की आलोचना
इस मामले पर पाकिस्तान के सीनियर क्रिकेटर शोएब अख्तर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही अजीब और निराशाजनक स्थिति थी, जब एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर, पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड का कोई प्रतिनिधि भारत के कप्तान को ट्रॉफी देने के समय मौजूद नहीं था.
पाकिस्तान के पूर्व सिंध प्रांत के गवर्नर इमरान इस्माइल ने भी इसकी कड़ी आलोचना की. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि चैंपियंस ट्रॉफी के मंच पर पाकिस्तान का कोई प्रतिनिधित्व न होना निराशाजनक है.
पाकिस्तान को खेल के मैदान में भारत विरोधी रुख से बचना चाहिएDisappointing to see no representation from the host country Pakistan on the Champions Trophy stage. A major tournament on home soil deserves local voices and pride front and center. 🇵🇰 #ChampionsTrophy2025 #PakistanCricket pic.twitter.com/ecjQAfu1Lv
— Imran Ismail (@ImranIsmailPTI) March 9, 2025
पाकिस्तान को समझना चाहिए कि खेल का उद्देश्य देशों के बीच दोस्ती और रिश्तों को बेहतर बनाना है, न कि नफरत फैलाना. क्रिकेट जैसे खेलों के दौरान दोनों देशों को एक-दूसरे से अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से दोनों देशों के बीच खराब रिश्ते सुधर सकें.
पाकिस्तान के कुछ पूर्व खिलाड़ी जैसे रमीज राजा और वसीम अकरम भी भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के पक्षधर रहे हैं, लेकिन इस टूर्नामेंट के दौरान पीसीबी और पाकिस्तान के अधिकारियों द्वारा की गई हरकतों ने इस दिशा में कदम बढ़ाने के अवसरों को समाप्त कर दिया.
पाकिस्तान का यह रवैया न केवल खेल के प्रति अनादर को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि खेल के जरिए दो देशों के बीच रिश्तों में सुधार की जो उम्मीद थी, वह अब संभव नहीं हो पाई. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट हमेशा ही एक विवाद का कारण रहा है, लेकिन ऐसे मौके होते हैं जब खेल दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों की शुरुआत कर सकता है.
पाकिस्तान को यह समझने की जरूरत है कि खेल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से नफरत और विद्वेष का वातावरण नहीं बनाना चाहिए, बल्कि इसे दोस्ती और सम्मान का प्रतीक बनाना चाहिए.इस प्रकार, पाकिस्तान की चैंपियंस ट्रॉफी में भारत विरोधी हरकतें सिर्फ एक विवाद नहीं बल्कि पाकिस्तान के खेल संस्कृति के खिलाफ एक बड़ा संदेश है, जो दुनिया भर में नकारात्मक प्रभाव डालता है.