पाकिस्तान को लोकतंत्र सीखना होगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-10-2024
Pakistan needs to learn democracy
Pakistan needs to learn democracy

 

wadoodवजाहत मसूद

पिछले 25 वर्षों में पाकिस्तानी श्रमजीवी पत्रकार बड़ी संख्या में गरीबी रेखा से नीचे आ गये हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ पत्रकारों की किस्मत इतनी खुली है कि वे प्रचार आदि के झंझट से मुक्त हो गये हैं. जीविका में इतनी वृद्धि हुई है कि विकसित पश्चिमी देशों में नियमित छुट्टियाँ मनाई जाती हैं. वापस आकर वे हमें यूरोप की साफ-सुथरी सड़कों, शानदार इमारतों और स्वप्निल रिसॉर्ट्स की कहानियाँ सुनाते हैं.

दरवेश कुछ हजार रुपयों पर गुजारा करने वाले पत्रकारों की गरीबी से दुखी हैं, लेकिन संपन्न पत्रकारों से ईर्ष्या नहीं करते. संभवतः ऐसे पत्रकार पेशेवर तौर पर अधिक प्रतिभाशाली होते हैं. समसामयिक देश के हालात में बेहतर आर्थिक रणनीति बनाने की क्षमता रखते हैं.

नाचीज ने अपनी युवावस्था में बहुत सारी दुनिया देखी. जीवन के आशीर्वाद के लिए आभारी हूं. "उन लोगों को रहने दो जो बिज़्म जहां की शान हैं." यह अफ़सोस की बात है कि हमारे यात्रा पत्रकार हमें अपने यात्रा कॉलम में नागरिक स्वतंत्रता और दैनिक आराम की कहानियाँ बताते हैं.

वे इन देशों के ऐतिहासिक विकास, राजनीतिक व्यवस्था और आर्थिक रणनीति के बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं. बिना मदद के आर्थिक विकास नहीं होता. इसके लिए जनता और नेताओं को परीक्षा से गुजरना होगा. सौ साल पहले, दुनिया भर में लोकतांत्रिक देशों की संख्या एक हाथ की उंगलियों पर गिनी जा सकती थी.

इन लोकतांत्रिक देशों में भी ग्रेट ब्रिटेन औपनिवेशिक व्यवस्था का संरक्षक था. अमेरिका में नस्लवादी कानून लागू थे. महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था. आज दुनिया की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से नौ देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है. यह सत्य है कि वैश्विक रैंकिंग में चौबीस देशों में पूर्ण लोकतंत्र है.

50 देशों में लोकतंत्र ख़राब है. चौंतीस देशों में लोकतंत्र और तानाशाही की मिश्रित व्यवस्था है. लगभग साठ देशों में अधिनायकवादी तानाशाही स्थापित है. हमारे कई मित्र हमें यह समझाने के लिए इन तानाशाही के दो-चार उदाहरण लेते हैं कि लोकतंत्र और आर्थिक विकास परस्पर अनन्य नहीं हैं.

यह मुझे रूथ रेंडेल के 1986 के उपन्यास लाइव फ़्लेश के एक उद्धरण की याद दिलाता है. उपन्यास का मुख्य पात्र, विक्टर जेनर, एक वेश्या का बेटा था, जिसका जन्म 1970 में फ्रेंको तानाशाही के दौरान एक चलती बस में हुआ था.

ऐसे बच्चों से अपराधी बनने की आशंका रहती है. विक्टर के साथ भी यही हुआ. वर्षों तक जेल में बिताने के बाद, वह रिहा होने के बाद कानून का पालन करने वाले जीवन में लौटना चाहता था. संयोगवश, बीस साल बाद उनके अपने बेटे का जन्म भी चलती बस में हुआ.

विक्टर अपने नवजात बेटे को गोद में लेता है और एक अर्थपूर्ण वाक्य कहता है. स्पेन के लोग अब डर में नहीं रहते. यह लोकतंत्र की एक सुंदर परिभाषा है. लोकतंत्र में लोग भय में नहीं रहते. उन्हें अपने नागरिक होने पर गर्व है.

वे स्वयं को अपने राष्ट्र की बेहतरी और विकास के लिए एक हिस्सा और जिम्मेदार मानते हैं. छोटे-मोटे राजनीतिक एवं आर्थिक संकट के बावजूद लोकतांत्रिक विकास में निरंतरता पाई जाती है. किसी आंतरिक षडयंत्र का आभास नहीं होता. यहां स्पेन की कुछ पृष्ठभूमि भी बतायी जानी चाहिए.

19वीं शताब्दी में अपनी औपनिवेशिक संपत्ति खोने के बाद, स्पेन अराजकता में था. 1870 के दशक में गणतंत्र स्थापित करने के प्रयास विफल रहे. 1931 में पुनः प्रयास किया गया. वामपंथी रिपब्लिकन ताकतों ने चुनाव जीता, लेकिन जर्मनी, इटली, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन के बीच वैश्विक संघर्ष में फंस गया.

स्पेन गृहयुद्ध का शिकार हो गया. स्पेन की लड़ाई द्वितीय विश्व युद्ध की प्रस्तावना थी. 1939 में, जनरल फ्रेंको ने लोकतांत्रिक ताकतों को हराया और तानाशाही की स्थापना की. गृहयुद्ध में मरने वालों की संख्या लगभग 450,000 थी. फ्रेंको ने 1975 तक कठोरता से शासन किया.

राजनीतिक विरोधियों की मृत्यु और जेलों में बंद इस काल में मृतकों की संख्या का सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है. हालाँकि, यह निश्चित है कि फ्रेंको की तानाशाही और तथाकथित राजशाही के दो बर्तनों में स्पेन के लोग पिस्ता के दाने की तरह असहाय थे.

1969 में, फ्रेंको ने एक उत्तराधिकारी को राजा नियुक्त किया जो चुपचाप प्रतीक्षा करता रहा. नवंबर 1975 में फ्रेंको की मृत्यु के बाद, राजा जुआन कार्लोस ने लोकतंत्र में वापसी की घोषणा की. महत्वपूर्ण बात यह है कि स्पेन की सभी राजनीतिक ताकतों ने दलीय मतभेद भुलाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाग लेने की घोषणा की.

आधी सदी बाद, आज स्पेन दुनिया की पंद्रहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. स्पेन यूरोपीय संघ का सदस्य है. यूरोप की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह निर्यात के मामले में अठारहवें और आयात के मामले में दुनिया भर में पंद्रहवें स्थान पर है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक में स्पेन सत्ताईसवें स्थान पर है.

कुल जनसंख्या 50 मिलियन है . अर्थव्यवस्था का आकार 1.65 ट्रिलियन डॉलर है. 2007 के वैश्विक आर्थिक संकट में स्पेन को भी बुरे दौर का सामना करना पड़ा, लेकिन 2022 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.8% रही. फ्रेंको के छत्तीस साल के शासनकाल के दौरान, स्पेन तानाशाही का एक रूपक था.

आज स्पेन को उन्नत सामाजिक लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है. स्पेन का यह बॉडी क्लिप अपनी तरह का अकेला उदाहरण नहीं है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान के राजनीतिक और आर्थिक विकास पर नजर डालें.

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लोकतंत्र के दुश्मन साजिश करेंगे तो इसे 'नया पाकिस्तान' कहा जाएगा. अपने पत्रकार मित्रों को नीले समुद्र, हरे-भरे बगीचों और रोशनी से भरे मनोरंजन स्थलों की खुशियों की शुभकामनाएं दें, लेकिन खबरों में अफवाह और विश्लेषण के साथ इच्छाधारी सोच को मिलाने की बजाय देश को सिखाएं कि लोकतंत्र आसमान से नहीं गिरता, इसे सीखना पड़ता है.

लेखक पाकिस्तान के वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं