मलिक असगर हाशमी
दो दिन पहले पाकिस्तान का एक पॉडकास्टर भारत-पाक के बीच क्रिकेट मैच नहीं होने पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा था. उसके मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के लोग दोनों देशों के बीच होने वाले क्रिकेट मैच का भरपूर आनंद उठाते हैं. मगर पाकिस्तान की सरजमीं पर भारत पता नहीं क्यों खेलना नहीं चाहता ?
मेरे ख्याल से पाकिस्तान का यह पॉडकास्टर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने की अदाकारी कर रहा था अथवा वास्तव में वह पाकिस्तान-भारत के बीच क्रिकेट मैच नहीं होने की मूल वजह से अनभिज्ञ था. यदि वह वाकई इसके मूल कारण से अनजान है तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मौजूदगी में जारी दोनों देशों के संयुक्त से उसे इसकी वजह समझ जाना चाहिए.
चिंताजनक बात यह है कि पाकिस्तानी अपनी गलतियों को सुधारने की बजाए, अब तो गाली-गलौज पर उतर आए हैं.अमेरिका और भारत के संयुक्त बयान में पाकिस्तान परस्त लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर पूर्व प्रतिबंध लगाने के मसले पर विशेष जोर दिया गया है.
हालांकि पाकिस्तान अपने सहयोगी चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी संगठनों के नेताओं को ‘इनटरनेशल विलेन’ घोषित होने से हमेशा बचाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी चीन का यह रवैया, तब फिर सामने आया जब भारत के एक प्रस्ताव के आधार पर अमेरिका ने पाकिस्तान के एक पालतू आतंकवादी को संयुक्त राष्ट्र में अंरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रयास किया. चीन इसके समर्थन में वोटिंग करने से मुकर गया.
दुनिया जानती है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों के कारण जमीन की जन्नत कहे जाने वाला जम्मू-कश्मीर किस कदर बर्बाद हो चुका है. उसकी एक नस्ल बहकावे में आकर अपना वजूद खो चुकी है. इसके अलावा पाकिस्तान परस्त आतंकवादी देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसात्मक कार्रवाई कर बेगुनाहों को निशाना बनाते रहे हैं.
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों की भारतीय सेना के खिलाफ ऐसी ही कार्रवाईयों की वजह से भारत ने पाकिस्तान से संबंध विच्छेद कर लिए हैं. यही नहीं भारत जब भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की कारस्तानी का जिक्र कर आतंवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की गुहार लगाता है पड़ोसी देश न केवल इसकी मुखालिफ में खड़ा हो जाता है, इसके उलट खुद के आतंकवादी हमले में तबाह होने की दास्तान गढ़ने लगता है. जाहिर है बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाये.
भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान के बाद पड़ोसी देश फिर अपने पुराने रवैये पर उतरू है. इसके नेता ‘गुजरात दंगे’ के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा बोल रहे हैं.संयुक्त बयान पर पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करे हुए इसे ‘ अनावश्यक, एकतरफा और भ्रामक करार’ दिया है. साथ ही इसे राजनयिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया है.
विदेश कार्यालय ने भारत को आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर भी चिंता व्यक्त की है. कहा कि ऐसे कदमों से क्षेत्र में सैन्य असंतुलन बढ़ेगा.अमेरिका-भारत संयुक्त बयान के संबंध में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा- हम अमेरिका और भारत के संयुक्त बयान में पाकिस्तान के विशेष संदर्भ को अनावश्यक, एकतरफा और भ्रामक मानते हैं.
यह असैद्धांतिक और राजनीतिक प्रकृति का है. हमें आश्चर्य है कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के साथ पाकिस्तान के करीबी सहयोग के बावजूद इसे शामिल किया गया है.प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अभूतपूर्व बलिदान दिया है. हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सशस्त्र बलों ने अपने जीवन का बलिदान देकर एक मिसाल कायम की है. पाकिस्तान के लोग इस युद्ध में असली नायक हैं.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान के प्रयासों और बलिदानों को बार-बार मान्यता दी है. लंबे समय से यह निष्कर्ष निकाला है कि आतंकवाद को संयुक्त और सहकारी उपायों के माध्यम से हराया जाना चाहिए. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त बयान में किए गए दावे कैसे हो सकते हैं. आतंकवाद से लड़ने के अंतरराष्ट्रीय संकल्प को मजबूत करें.
प्रवक्ता ने कहा कि बयान से पता चलता है कि सहयोग की भावना, जो आतंकवाद के खतरे को हराने के लिए महत्वपूर्ण है, को भू-राजनीतिक हितों के लिए बलिदान कर दिया गया.पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘डाॅन’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफल अमेरिका यात्रा पर कटाक्ष करते हुए लिखा है-
अमेरिका की यात्रा पर गए मोदी के लिए बाइडेन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में रेड कार्पेट बिछाया, जहां दोनों देशों ने प्रमुख रक्षा और प्रौद्योगिकी सौदों पर मुहर लगाई, क्योंकि वाशिंगटन ने चीन के मुकाबले के लिए भारत पर बड़ा दांव लगाया है.
अखतार का कहना है-इस्लामाबाद के खिलाफ भारत के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस यात्रा का उपयोग करने के स्पष्ट प्रयास में दोनों राष्ट्राध्यक्षों द्वारा जारी संयुक्त बयान में नई दिल्ली द्वारा पाकिस्तान के चरमपंथियों पर कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है.
इस बारे में एफओ प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, हम 22 जून 2023 को जारी संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संयुक्त बयान से आश्चर्य चकित हंै कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के करीबी आतंकवाद विरोधी सहयोग के बावजूद इसे जोड़ा गया है.
उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेजोड़ बलिदान दिया है. ऐसा करके कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सशस्त्र बलों ने एक मिसाल कायम की है.एफओ प्रवक्ता ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि इस लड़ाई के असली नायक पाकिस्तान के लोग हैं.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, हम यह देखने में विफल हैं कि संयुक्त वक्तव्य में किए गए दावे आतंकवाद से लड़ने के अंतरराष्ट्रीय संकल्प को कैसे मजबूत कर सकते हैं. बयान से पता चलता है कि सहयोग की भावना, जो आतंकवाद के संकट को हराने के लिए बेहद जरूरी थी, को भू-राजनीतिक विचारों की वेदी पर चढ़ा दिया गया है.
इसके अलावा जहरा ने एक बार फिर कश्मीर का रोग अलापते हुए कहा, भारत अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी लोगों के अपने क्रूर दमन और अपने अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार से ध्यान हटाने के लिए आदतन आतंकवाद का सहारा लेता है.
उन्होंने कहा, “विडंबना यह है कि संयुक्त बयान क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता के प्रमुख स्रोतों को संबोधित करने और भारत के अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में गंभीर मानवाधिकार स्थिति का संज्ञान लेने में विफल रहा है. प्रवक्ता ने बताया, यह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी से भागने के समान है.
हालांकि यह पाकिस्तान भी अच्छी तरह समझता है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों की हिंसक कार्रवाई के चलते पटरी से पूरी तरह उतरा कश्मीर फिर से पटरी पर आने लगा है.हद तो यह है कि हकीकत को समझने और गलती सुधारने को लेकर संयुक्त बयान के प्रति सकारात्मक रूख दिखाने की बजाए पाकिस्तान के राजनेता गाली-गलौज की भाषा बोलने लगे हैं.
संयुक्त बयान पर ख्वाजा आसिफ का कहना है कि बिडेन को ‘गुजरात के कसाई’ का स्वागत करने से पहले तथ्यों पर विचार करना चाहिए.रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने आपत्तिजनक बयान में कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन को अगली बार गुजरात के कसाई से मिलने पर तथ्यों पर विचार करना चाहिए. यह विडंबना है कि यह बयान उस व्यक्ति की यात्रा के दौरान जारी किया गया है, जिस पर गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए मुसलमानों के नरसंहार की निगरानी करने के लिए अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
वह (मोदी) भारत के कब्जे वाले, कश्मीर में राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के एक और अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें स्थानीय आबादी को नियमित रूप से निशाना बनाना और अंधा करना शामिल है. देश के बाकी हिस्सों में, मोदी के अनुचर मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों को बेखौफ होकर पीट-पीट कर मार डालते हैं.
इससे पहले नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए, आसिफ ने याद दिलाया कि 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद अमेरिका ने खुद को मोदी से दूर कर लिया था, जिसमें 2,000 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे.
हालांकि, दुनिया कोर्ट के उस फैसले को जानती है जिसमें गुजरात दंगे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल चुकी है. इसके अलावा पाकिस्तान को भारत के अल्पसंख्यकों के बारे में चिंता प्रकट करने से पहले पाकिस्तान के हिंदुओं, अहमदिया, सिखों, शियाओं के साथ क्या हो रहा है, उसपर भी एक नजर मार लेनी चाहिए थी.