मोदी-यात्रा और खाड़ी देशों में भारत की बढ़ती साख

Story by  प्रमोद जोशी | Published by  [email protected] | Date 16-02-2024
Modi-travel and India's growing credibility in Gulf countries
Modi-travel and India's growing credibility in Gulf countries

 

joshiप्रमोद जोशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने भारत और पश्चिम एशिया के परंपरागत रिश्तों को न केवल बरकरार रखा, बल्कि और बेहतर बनाया. पश्चिम एशिया की उनकी ताज़ा यात्रा के ठीक पहले क़तर में भारत के आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों की रिहाई से इस बात की पुष्टि हुई है कि इन देशों के साथ उनके मजबूत निजी रिश्ते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को अबूधाबी में बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के मंदिर का उद्घाटन किया. यह मंदिर दुनिया भर में इस संस्था के बनाए एक हज़ार मंदिरों और 3,850 केंद्रों में से एक है.

2015 के बाद से प्रधानमंत्री का यूएई का यह सातवाँ दौरा है. 2015 में भी करीब 34 साल के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वह पहली यूएई यात्रा थी. मोदी से पहले इंदिरा गांधी 1981 में यूएई गई थीं. यूएई के अलावा भारत के सऊदी अरब, ओमान, क़तर, बहरीन और कुवैत के साथ भी रिश्ते मज़बूत हुए हैं.

क़तर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन

यूएई के बाद वे क़तर गए हैं. कृतज्ञता ज्ञापन के लिए यह यात्रा बेहद ज़रूरी थी. पूर्व नौसैनिकों की रिहाई के बाद ही सोमवार को भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने घोषणा की थी कि यूएई का दौरा पूरा करने के बाद पीएम मोदी 15 फ़रवरी को क़तर जाएंगे.

अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत काफी हद तक पश्चिम एशिया पर निर्भर है. इतना ही नहीं क़रीब 90लाख भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं और अरबों डॉलर कमाकर देश में भेजते हैं. तकनीकी, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस इलाके का भारत के लिए महत्व है. भारत ने यूएई के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के समझौते किए हैं. यूएई के अंतरिक्ष कार्यक्रम में भी भारत की भागीदारी है.

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मंदिर का उद्घाटन

अबू धाबी में स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन साबित करता है कि अरब देशों में भारत के लिए कितनी उदारता का भाव है. इस इलाके में यह पहला मंदिर नहीं है, पर आकार-स्वरूप और भव्यता में यह जितना शानदार है, वह ध्यान देने वाला है. यहाँ पहला हिंदू मंदिर 1958 में और दूसरा 2022 में स्थापित हुआ था. दोनों मंदिर दुबई में हैं. 

27 एकड़ भूमि पर बने इस मंदिर के लिए ख़ुद राष्ट्रपति अल-नाह्यान ने ज़मीन उपहार के तौर पर दी थी. इस मंदिर में सात शिखर हैं, जो सात संयुक्त अमीरात (यूएई) के प्रतीक हैं. मंदिर में तीन जलकुंड हैं जो भारत की तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती को दर्शाते हैं. मंदिर में एक 'वॉल ऑफ़ हार्मनी' (सद्भावना भित्ति) है, जिसे वहाँ के वोहरा समुदाय ने दान में दिया है.

प्राचीन संबंध

अरब देशों के साथ भारत का सौहार्द हजारों साल पुराना है. बहुत से लोगों को संभवतः इस बात की जानकारी नहीं होगी कि भारत की सबसे पुरानी मस्जिद केरल के त्रिशुर जिले में स्थित चेरामन मस्जिद है. इस मस्जिद का निर्माण 629 ईसवी में हुआ था. इस इलाके के तत्कालीन राजा चेरामन पेरुमल ने मक्का की यात्रा की थी और उन्होंने मुहम्मद साहब से भेंट भी की थी.

राजा पेरुमल ने ही मक्का के लोगों को भारत में आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि उनके न्योते पर ही मलिक बिन दीनार और मलिक बिन हबीब भारत आए और इस मस्जिद का निर्माण कराया. यह दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है.

बीएपीएस संस्था अबू धाबी के बाद बहरीन में भी एक और मंदिर बनाने जा रही है. इसके लिए जमीन आवंटित हो चुकी है और इस मंदिर के निर्माण के लिए सारी औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं. बहरीन का मंदिर भी अबूधाबी के मंदिर जैसा भव्य होगा.

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स्वागत मोदी!

मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी जब अबूधाबी पहुँचे तो उनके स्वागत में यूएई के राष्ट्रपति शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान खड़े थे. पीएम मोदी की यूएई के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक भी हुई. 

मंगलवार शाम को यूएई के ज़ायेद स्पोर्ट्स स्टेडियम में 'अहलन मोदी (स्वागत मोदी)' नाम का एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें पीएम मोदी ने वहाँ रह रहे भारतीयों को संबोधित किया. अरबी भाषा में अतिथियों का स्वागत करने के लिए 'अहलन' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.

मोदी को सुनने हज़ारों की भीड़ आई थी. यूएई में 35लाख भारतीय रहते हैं. यह संख्या यूएई की कुल आबादी की एक तिहाई है. इस मौके पर मोदी ने कहा, 2015 में जब मैं आया था तब एयरपोर्ट पर मेरा स्वागत तत्कालीन युवराज और आज के राष्ट्रपति ने अपने पाँच भाइयों के साथ किया था. वह स्वागत अकेले मेरे लिए नहीं, बल्कि 140  करोड़ भारतीयों के लिए था.

उन्होंने यह भी कहा कि मैं भाग्यशाली हूं कि यूएई ने मुझे अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान-द ऑर्डर ऑफ ज़ायेद से सम्मानित किया है. यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों का, आप सभी का है.

इस कार्यक्रम के बारे में अख़बार ‘गल्फ़ न्यूज़’ ने लिखा है कि 2015 में दुबई में बसे भारतीयों के साथ मोदी की पहली सभा के बाद ये शायद दूसरा ऐसा मौक़ा है, जब इतनी बड़ी संख्या में भारतीय मोदी की सभा में शामिल हुए हैं.

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अहम समझौते

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने जानकारी दी कि इस दौरान दोनों देशों के बीच इस 10अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. 2022मई में यूएई-भारत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता हुआ था. अब भारत ने यूएई के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौता किया है जो आने वाले वक़्त में दोनों में निवेश बढ़ाने में मदद करेगा.

भारत और यूएई के बीच हुए समझौते के बाद अब बिना किसी रुकावट के दोनों देशों के बीच पैसे का ट्रांजैक्शन हो सकेगा. इसके लिए भारत की यूपीआई को यूएई की एएएनआई से इंटरलिंक कर दिया गया है.

दोनों के बीच ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्र में संबंधों को मज़बूत करने को लेकर सहमति हुई है. इसमें ग्रीन हाइड्रोजन जैसे सतत ऊर्जा और ऊर्जा स्टोरेज को प्राथमिकता दी जाएगी.

आर्थिक कॉरिडोर

पिछले साल दिल्ली में हुए जी-20के शिखर सम्मेलन के दौरान वक्त भारत और पश्चिम एशिया के इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर बनी सहमति के मद्देनज़र दोनों देशों ने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का निश्चय किया है. इससे खनिज तेल के साथ अन्य वस्तुओं के सप्लाई चेन को मज़बूती मिलेगी.

हाल में अबू धाबी में नया आईआईटी खोला गया है, जिसका पहला अकादमिक प्रोग्राम इसी जनवरी में शुरू किया गया है. दुबई में सीबीएसई का नया दफ्तर भी बनाया जा रहा है. ये संस्थाएं इस क्षेत्र में रह रहे भारतीय तथा स्थानीय छात्रों को भी लाभ पहुँचाएंगी.

तीसरा सबसे बड़ा सहयोगी

1970 के दशक में दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार महज़ 18करोड़ डॉलर का था जो अब 85अरब डॉलर तक पहुँच गया है. 2021-22 में भारत का चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश यूएई था.

2022-23 में भारत ने अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा 31.61अरब डॉलर का निर्यात यूएई को किया था. प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश के मामले में यूएई भारत में सातवाँ सबसे बड़ा निवेशक है.

पिछले साल जुलाई में फ्रांस की यात्रा से वापस आते समय प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की यात्रा की थी. उस यात्रा के दौरान सबसे बड़ा समझौता डॉलर की जगह रुपये और दिरहम में कारोबार करने का हुआ. इसके अलावा दोनों देशों ने एक दूसरे के बीच आसानी से पैसों के लेनदेन के लिए रियल टाइम पेमेंट लिंक भी सेट-अप किया.

एक दिन की उस यात्रा के दौरान यूएई सेंट्रल बैंक और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के बीच समझौता हुआ. इसके अलावा आईआईटी दिल्ली का एक कैंपस अबू धाबी में स्थापित करने के एमओयू पर दस्तखत हुए.

उसके बाद राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायेद सितंबर में जी-20सम्मेलन के लिए भारत आए थे. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी नवंबर में अबू धाबी में हुए जलवायु परिवर्तन से जुड़े कॉप-28सम्मेलन में भाग लेने गए.

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रुपये और दिरहम में लेन-देन

पिछले साल भारत और यूएई के बीच रुपये और दिरहम में लेनदेन का समझौता ऐसे समय में हुआ, जब भारत रूस के साथ रूबल और ईरान के साथ रुपये और रियाल में लेन-देन के समझौते को लेकर विवाद हैं.

यह समझौता कारोबार बढ़ाने के उद्देश्य से नहीं है. इसका उद्देश्य ट्रांजैक्शन खर्च को कम करके कारोबार को आसान बनाना और मुद्रा को बदलने की प्रक्रिया को आसान करना है. इसके नतीजे में कारोबारी अधिक कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

वे भारत या यूएई में अपनी पसंद की करेंसी में कारोबार कर सकेंगे. यूक्रेन युद्ध के बाद कई देश डॉलर का विकल्प खोज रहे हैं. ऐसे में वे देश आपस में समझौते कर रहे हैं, जिनके बीच व्यापार काफी होता है.

भारत और यूएई 2022 में गठित आई2यू2 (इसराइल, इंडिया, यूएसए, यूएई) समूह में भी शामिल हैं. 14 जुलाई, 2022 इस समूह की पहली शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इसराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री येर लेपिड और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान शामिल हुए थे.

उस बैठक के दौरान तय हुआ था कि भारत और यूएई के बीच फूड कॉरिडोर बनाया जाएगा. दूसरे भारत के द्वारका में अक्षय ऊर्जा हब बनाया जाएगा. यह आर्थिक कार्यक्रम है, पर इसके पीछे पश्चिम एशिया की भावी राजनीति और इसमें भारत की भूमिका को भी देखा जा सकता है.

गज़ा में चल रही लड़ाई और लाल सागर के बिगड़ते हालात के कारण सहयोग के इन कार्यक्रमों को कुछ धक्का लगा ज़रूर है, पर उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे.

( लेखक दैनिक हिन्दुस्तान के संपादक रहे हैं )


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