- हरजिंदर
जिससे समाधान की उम्मीद थी उसी ने कईं तरह के विवाद खड़े कर दिए. कर्नाटक में जब से जाति जनगणना के नतीजे सामने आए हैं तरह-तरह के विवाद खड़े हो गए हैं. इन विवादों ने राजनीतिक अटकलों का दौर भी शुरू कर दिया है.
दिलचस्प बात तो यह है कि राज्य सरकार की तरफ से अभी तक इसके नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन ये नतीजे लीक हो चुके हैं. इन पर हर तरफ चर्चा भी शुरू हो चुकी है.
एक तर्क यह हो सकता है कि जिन आंकड़ों को लीक हुआ बताया जा रहा है उन्हें भला कैसे सच मान लिया जाए, क्योंकि रिपोर्ट आधिकारिक रूप से लीक नहीं हुई है. अगर दूसरी ओर देखें तो जो आंकड़ें लीक हुए बताए जा रहे हैं सारी चर्चा उन्हीं के आधार पर हो रही है.
इतना ही नहीं खुद सत्ताधारी पार्टी के विधायक, यहां तक कि मंत्री और सरकारी संस्थाओं से जुड़े लोग सारी चर्चा इन्हीं आंकड़ों के आधार पर कर रहे हैं.वैसे आम बोलचाल की भाषा में जिसे जाति जनगणना कहा जा रहा है उसका वास्तविक नाम है ‘कर्नाटक सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे- 2015‘.
यह सर्वे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल के दौरान कराया गया था. बाद में भाजपा की सरकार बनी तो यह ठंडे बस्ते में चला गया. अब जब सिद्धारमैया लौटे हैं तो 10 साल बाद इसे पूरा करके शक्ल दी गई और पिछले दिनों इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई, जिस पर इस समय विवाद चल रहा है.
रिपोर्ट में अन्य आंकड़ों के अलावा अल्पसंख्यकों के आंकड़े भी काफी महत्वपूर्ण हैं. खासकर कर्नाटक में रहने वाले मुसलमानों और ईसाइयों के आंकड़े.इस सर्वे के लिए 76,99,425 मुस्लिमों से बात की गई.
इनमें से 59,51,038 ने अपने आप को सिर्फ मुसलमान कहा. अपनी कोई जाति नहीं बताई. 5,50,345 मुसलमानों ने खुद को शेख बताया.बाकी ने अलग-अलग जातियां बताईं.
इनमें से कुछ मुसलमानों ने जाति की जगह पर ब्राह्मण लिखाया, जबकि कुछ ने खुद को वोकालिग्गा बताया. लेकिन ज्यादा संख्या उन लोगों की थीं जिन्होंने तमाम दूसरी जातियां और उप-जातियां दर्ज कराईं.
ये जातियां हैं- अत्तारी, बाघबन, छप्परबंद, दर्जी, धोबी, ईरानी, जोहरी, कलईगर, मोघल, पत्तेघर, फूलमाली, रंगरेज, सिपाई, टकनाकर, तेली वगैरह. कर्नाटक के मुसलमानों द्वारा बताई गई जातियों और उपजातियों की कुल संख्या है 99.
ये संख्याएं कर्नाटक के मुसलमानों के बारे में ही नहीं भारतीय समाज के बारे में भी काफी कुछ कहती हैं.दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक के ईसाइयों की संख्या भले ही इसके मुकाबले कम हो लेकिन उनकी स्थिति भी कोई बहुत अलग नहीं है.
कर्नाटक के 9,47,994 ईसाइयों के आंकड़ें इस सर्वे में जमा किए गए. इनमें से 7,71,710 ने खुद को सिर्फ ईसाई बताया और अपनी किसी जाति का जिक्र नहीं किया. जबकि 52,179 ने खुद को आदि द्राविड़ ईसाई बताया.
बाकी इसाइयों ने जो जातियां बताईं वे हैं ब्राह्म्ण इसाई, कम्मा ईसाई, वोकालिग्गा ईसाई, कुर्बा ईसाई, बाल्मीकी ईसाई, अडिग्गा ईसाई, बिल्लावा ईसाई वगैरह। राज्य के ईसाइयों द्वारा बताई गई इन जातियों की कुल संख्या 52 है.
हालांकि कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अनिल थामस न तो इन संख्याओं को ही सही मानते हैं और न ही इन जाति नामों को ही सही मानते हैं.
ठीक यहीं पर एक और बात का जिक्र भी जरूरी है. कर्नाटक मंत्रिमंडल ने राज्य के पिछड़े वर्गों के मुसलमानों को चार फीसदी आरक्षण देने का जो प्रस्ताव पास किया था राज्यपाल ने उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)