हरजिंदर
एक जून को आखिरी चरण के मतदान के तुरंत बाद शाम को जो एक्ज़िट पोल आए उनमें एक से अधिक टीवी चैनल्स पर यह बताया गया कि इस बार देश के मुसलमानों ने पहले से काफी कम संख्या में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया है. इस पर चर्चाएं भी हुईं और तमाम तर्क भी दिए गए.
लेकिन चार जून को जब चुनाव के नतीजे आने लगे तो पता पड़ा कि एक्ज़िट पोल के सारे अनुमान गलत साबित हो गए हैं, इसलिए दो दिन पहले दिए गए सारे तर्क चर्चा से बाहर हो गए.चार जून को देर रात को जब यह लाइने लिखी जा रही हैं तो सारे नतीजे नहीं आए हैं इसलिए बहुत से विश्लेषण नहीं किए जाप सकते हैं.
फिर इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि भारत में वोटों की गिनती धर्म या जाति के आधार पर नहीं की जाती है इसलिए किसने किस को वोट किया यह पता लगाना कभी आसान नहीं होता. यह काम या तो सर्वेक्षणों के जरिये होता है या फिर इसके लिए विभिन्न तबको और फिरकों के नेताओं व बुद्धिजीवियों के अंदाज का सहारा लिया जाता है. सर्वेक्षणों हाल हम देख ही चुके हैं.
खुद को मुस्लिम हितों को संरक्षक कहने वाली दो पार्टियां इस चुनाव में प्रमुख रहीं और उन्होंने कुछ सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाबी भी हासिल की. इनमें एक है इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग. केरल में यह पार्टी इस समय यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का हिस्सा है. लीग ने इस बार केरल की दो सीटों मल्लापुरम और कोन्नानी पर चुनाव जीता है.
मल्लापुरम वह सीट है जहां से भारतीय जनता पार्टी ने भी एक मुसलमान को टिकट दिया था. पार्टी के वे अकेले मुसलमान उम्मीदवार थे जो चुनाव हार गए. इसके अलावा मुस्लिम लीग ने तमिलनाडु की रामनाथपुरम सीट से भी चुनाव जीता है.
ऐसी दूसरी पार्टी है आॅल इंडिया मजलिस ए इत्तहादुल मुसलमीन। इस पार्टी के उम्मीदवार असद्उद्यीन ओवेसी ने हैदारबाद से लोकसभा चुनाव जीता है. पहले भी वे इसी सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. इस बार भाजपा ने उन्हें कड़ी टककर देने की कोशिश की लेकिन वे चुनाव जीत गए.
उत्तर प्रदेश से खबर यह है कि यहां समाजवादी पार्टी ने जिन चार मुसलमानों को पार्टी का टिकट दिया था वे सभी चुनाव जीत गए हैं. पार्टी के पूरे इतिहास में मुस्लिम उम्मीदवारों की यह संख्या सबसे कम है. समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की कुल 71 सीटों पर चुनाव लड़ा है.
बहुजन समाज पार्टी एक ऐसी पार्टी थी जिसने सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए। लेकिन चुनाव में इस पार्टी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा.अगली लोकसभा में कुल कितने मुसलमान उम्मीदवार होंगे इसका पता सारे नतीजे और सारे आंकड़े आने के बाद ही चल सकेगा. बहुजन लेकिन एक बात तय है कि यह संख्या पहले के मुकाबले कम हो सकती है. शायद अभी तक की सबसे कम.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)