भारत को और चाहिए मोहम्मद शमी जैसे पल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 19-11-2023
India needs more Shami moments
India needs more Shami moments

 

atirआतिर ख़ान  

जब हमारी टीम भारत को आईसीसी विश्व कप फाइनल में पहुंचाने के लिए खेल रही थी तो वह एक शानदार क्षण था. लाखों भारतीय इस मैच से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे और कामना कर रहे थे कि देश जीते.वे खिलाड़ियों की पिछली कहानी, उनकी जाति या धर्म से बेखबर थे. यह तनाव मंत्रमुग्ध कर देने वाला था.  सभी भारतीयों के लिए एक समान उद्देश्य के प्रति एकता की शानदार भावना इसमें देखी गई.

इस उत्साहपूर्ण अहसास से बंधे हुए, वानखड़े स्टेडियम में मौजूद दर्शकों की सांसें अटकी हुई थीं, जबकि शमी कीवी टीम को पटखनी देने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे थे.  
 
करोड़ों लोग टीवी और मोबाइल स्क्रीन पर मैच देख रहे थे. 50 ओवर के बाद भारतीय बल्लेबाजी का स्कोर 397/4 सम्मानजनक था, लेकिन कीवी टीम के साथ 2019 विश्व कप के अनुभव की पृष्ठभूमि में कुछ भी संभव था. 
 
एक समय जब मैच भारत के लिए मुश्किल दिख रहा था तब कीवी टीम ने बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया और जुझारूपन दिखाया.कप्तान रोहित शर्मा ने शमी पर जो अटूट विश्वास जताया है, वह शमी के लिए अपने कप्तान और देश दोनों के लिए अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती रही होगी. 
 
गेंदबाज ने निराश नहीं किया, वास्तव में उसने मानक इतना ऊंचा स्थापित कर दिया कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर भी आश्चर्यचकित रह गए. वह मैदान पर काफी आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे थे.
 
वह उस दिन फिर से चमके जैसा कि वह पूरे टूर्नामेंट में कर रहे थे और न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी को पटरी से उतारने के लिए 7 विकेट हासिल किए और कुछ महत्वपूर्ण साझेदारियां तोड़ी. 
 
जाहिर तौर पर यह विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, शुबमन गिल और रोहित शर्मा की कुशल कप्तानी का टीम प्रयास था, जिसने भारत की जीत सुनिश्चित की. शमी इसे अकेले नहीं कर सकते थे.
 
भारत को ऐसे कई रोमांचक क्षणों की आवश्यकता है, भले ही यह एक खेल हो, सभी भारतीयों को एकजुटता की भावना में लाना एक अच्छा अभ्यास है. ऐसे क्षण जहां पहचान सामान्य राष्ट्रीय हितों से परिभाषित होती है और कुछ भी मायने नहीं रखता.
 
भारत संस्कृति की अपार विविधता वाला एक विशाल देश है. भारतीय स्वतंत्रता और विभाजन के बाद से हमारे पास ऐसे कई शमी क्षण नहीं थे, जब सभी भारतीय उच्च भावनाओं की एक आम लहर पर सवार थे.
 
हमें अपना संविधान 1950 में मिला और 1951 में पहली बार मतदान हुआ.1962 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम ने विविध पृष्ठभूमि वाले सभी भारतीयों को भारतीयता के एक मजबूत सूत्र में बांध दिया. 
 
जब भी पाकिस्तान या चीन ने हमारे साथ चालाकी करने की कोशिश की है, हम एक साथ खड़े हुए हैं.हम तारों तक 1973 में पहुंचे जब आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष में पहला उपग्रह लॉन्च किया था. 
 
हमारे पास 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' जैसे क्षण भी हैं, जब 1984 में स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में पहुंचे थे. अभी हाल ही में हमने साथ मिलकर चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मनाया.
 
हमारे देश के इतिहास में एक और मील का पत्थर 2009 था, जब हमें एक समान आधार पहचान मिली.  हमने सामूहिक रूप से अंधविश्वास, गरीबी और अशिक्षा के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और हम आज भी लड़ रहे हैं.
 
बीच-बीच में कलाकारों ने भी हमें भारतीयता की भावना का एहसास कराने में अपना अद्भुत योगदान दिया है. उन्होंने हमें यह एहसास कराया है कि हमारा देश कितना महान है.'  1973 में बॉलीवुड फिल्म कुली में एक एंग्री यंग मैन और एक मुस्लिम कुली के रूप में अमिताभ बच्चन ने हमें भारतीयों के रूप में हमारी साझा समस्याओं के बारे में जागरूक किया.  
 
1975 में शोले एक खूबसूरती से बताई गई कहानी थी जिसने भारतीय ग्रामीण जीवन में चुनौतियों के क्षणों को फिर से जीवंत कर दिया.'मिले सुर मेरा तुम्हारा' भारतीय संगीत उद्योग के दिग्गजों द्वारा राष्ट्रीय एकता और विविधता में एकता के गीत की एक मधुर प्रस्तुति थी.
 
1988 में इसे लोक सेवा संचार परिषद द्वारा विकसित किया गया और दूरदर्शन द्वारा प्रचारित किया गया, जो भारतीयता की भावना लाने के लिए एक बहुत ही सफल और प्रभावी उपकरण बन गया.
 
मजबूत सभ्यतागत और सामान्य मूल्यों से बंधे प्रत्येक राष्ट्र को, चाहे वह एक राष्ट्र-राज्य हो या नहीं, समय-समय पर राष्ट्रवाद का जश्न मनाने का प्रयास करना चाहिए, न कि इसे केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय महत्व के दिनों तक सीमित रखना चाहिए. 
 
यूरोपीय देश अपनी फ़ुटबॉल टीमों का समर्थन करके अपनी एकता का जश्न मनाते हैं.भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल रहा है. अतीत में हमने देखा है कि कैसे सुनील गावस्कर, रोजर बिन्नी, सैयद किरमानी और बिशन सिंह बेदी ने मिलकर दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण समय में हमें एकता की भावना में बांध दिया है.  
 
1983 में कपिल देव की कप्तानी में हमने क्रिकेट विश्व कप जीता था, हाल ही में एक फिल्म बनाई गई थी जिसमें इस ऐतिहासिक घटना पर भावनाओं को दोहराया गया था.शमी के क्षण ने उन भावनाओं को फिर से जागृत कर दिया है जिन्हें 2047 में महाशक्ति बनने के रास्ते पर बढ़ावा देने की आवश्यकता है. आइए देखें कि हम फाइनल में कैसा प्रदर्शन करते हैं. शुभकामनाएं!