भारत को चीन से ज्‍यादा अमेरिका से खतरा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-07-2024
India faces more threat from America than China
India faces more threat from America than China

 

anil nigamडॉ. अनिल कुमार निगम

आज भारत को चीन से ज्‍यादा अमेरिका से खतरा हो रहा है.अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दी और भारत ने उसका प्रतिकार किया, वह विचारणीय है.‍संप्रति, अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद का चुनाव चल रहा है.पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प रिपब्लिकन पार्टी से प्रत्‍याशी हैं.

डेमोक्रैटिक पार्टी से उम्‍मीदवार अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के नाम वापस लेने के बाद वहां की उप राष्‍ट्रपति एवं भारतवंशी कमला हैरिस राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ रही हैं.महत्‍वपूर्ण यह नहीं कि चुनाव में कौन चुनाव लड़ रहा है.कौन राष्‍ट्रपति बनेगा? महत्‍वपूर्ण यह है कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प और कमला हैरिस में कौन सा ऐसा नेता है जो भारत के साथ बेहतर तालमेल रख सकेगा ?

एक ओर जहां अमेरिका भारत के बल पर एशिया में चीन की शक्ति को संतुलित करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह भारत के कंधे पर रखकर बंदूक भी चलाना चाहता है.रूस के साथ भारत के संबंध कभी रास नहीं आते हैं.वह अपनी समस्या को भारत की समस्या बनाना चाहता है.

हैरान करने वाली बात है कि आखिर नाटो के यूक्रेन तक विस्तार से भारत क्या सरोकार है ? वास्‍तविकता तो यह है कि चीन को रोकने के प्रमुख लक्ष्य पर ध्यान देने की जगह शीत युद्ध वाली मानसिकता के साथ अमेरिकी रणनीतिक रूस से अप्रत्‍यक्ष युद्ध में उलझे हुए हैं.इस परिस्थिति का लाभ चीन बढ़चढ़ कर उठा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में रूस यात्रा से पहले अमेरिकी राजदूत ने यहां तक कह दिया कि प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी कार्रवाई हो सकती है.अमेरिका भारत की सुरक्षा मामलों की भी अनदेखी कर रहा है.अमेरिका और उसके कनाडा जैसे मित्र देश खालिस्तानी आतंकवादियों को खुलकर संरक्षण दे रहे हैं.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसर, भारत और अमेरिका की रणनीतिक नजदीकी चीन के खतरे के कारण हैं,लेकिन दोनों के बीच कई मसले सुलग रहे हैं.रूस के अमेरिका के साथ रिश्ते पहले से ही खराब हैं.

अमेरिका और रूस के बीच टकराव से भारत को सैन्य आपूर्ति देने की रूस की क्षमता प्रभावित हो जाती है और भारत को रूसी आपूर्तिकर्ताओं से महत्वपूर्ण सैन्य खरीद के साथ आगे बढ़ने पर आर्थिक प्रतिबंधों की भी चेतावनी मिलती है.

 रूस को सैन्य और राजनयिक समर्थन के लिए चीन पर अपनी निर्भरता बढ़ानी पड़ी है.परिणामस्वरूप भारत-चीन संघर्ष के मामले में भारत के साथ रक्षा समझौतों का सम्मान करने की इसकी क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है.कुछ समय पूर्व भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में कतिपय मुद्दों पर तनाव देखने को मिला है.

अमेरिका का खालिस्तानी पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप खासतौर से भारत और अमेरिका के बीच विवाद का विषय बना.इसके चलते दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा.व‍िश्‍लेषकों का कहना है कि अगर इस मुद्दे को परिपक्वता से नहीं संभाला गया तो द्विपक्षीय संबंधों में अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

अब एक बार पुन: वापस लौटता हूं, अमेरिका में चल रहे चुनाव पर.ध्‍यातव्‍य है कि अमेरिका की उप राष्‍ट्रपति और राष्‍ट्रपति पद की उम्‍मीदवार, भारतवंशी कमला हैरिस ने वर्ष 2019में जब भारत ने अनुच्छेद 370को हटाया तो हैरिस ने इसका विरोध किया था.

हैरिस ने कहा था, ''हम कश्मीरियों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि वे अकेले नहीं हैं. हम हालात पर नज़र बनाए हुए हैं.'' एशिया निक्केई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कमला ने भारतीय अमेरिकी समुदाय से जुड़ने के लिए कभी विशेष कोशिशें नहीं की.

दूसरी ओर पूर्व राष्‍ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी से राष्‍ट्रपति के प्रत्‍याशी डोनाल्ड ट्रंप जब 2016में पहली बार राष्ट्रपति बने तो भारत की कई नीतियों पर अपनी आपत्ति जताई थी.ट्रंप ने अभी एक चुनावी रैली में कहा, ''हार्ले डेविडसन के मुखिया मुझसे वाइट हाउस में मिले थे। मैं बहुत निराश हुआ.''

उल्‍लेखनीय है कि हार्ले-डेविडसन दुनिया की जानी-मानी बाइक कंपनी है.इस कंपनी की बाइक लाखों रुपये की होती हैं.सुपरबाइक के नाम से विख्‍यात हार्ले डेविडसन अमीरजादों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है.वर्ष 2018 में कंपनी ने भारत में पांच से 50 लाख रुपये तक की बाइक लॉन्च की थी.

ट्रंप ने कहा, ''मैंने हार्ले डेविडसन कंपनी के मुखिया से पूछा कि भारत में आपका व्यापार कैसा चल रहा है, इस पर जवाब मिला कि अच्छा नहीं चल रहा.हम 200फ़ीसदी टैरिफ क्यों दे रहे हैं? मैंने कहा कि इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार नहीं ठहराऊंगा.मैं इसके लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार मानता हूं कि हमने ऐसा होने दिया.''

मणिपुर से लेकर म्यांमार तक फैली अस्थिरता में अमेरिकी एजेंसियों की संदिग्ध भूमिका से हम वाकिफ होंगे.बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना यहां तक कह चुकी हैं कि अमेरिका इस क्षेत्र में एक ईसाई राष्ट्र का गठन करना चाहता है ताकि चीन के विरुद्ध उसका अपना एक बेस तैयार हो सके.

अमेरिका को यह निर्णय करना होगा कि यदि उसे चीन के विरुद्ध भारत की मदद चाहिए तो वह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करे. साथ ही भारत को भी अमेरिका के दोहरे चरित्र को समझते हुए फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाने होंगे.आज के लिए बस इतना ही फिर मिलते हैं एक नए मुद्दे के साथ.

(लेखक स्‍वतंत्र टिप्‍पण्‍णीकार हैं.)