चुनावी प्रचार में कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 18-11-2024
चुनावी प्रचार में कहीं की ईंट कहींIn election campaign, bricks from one place and stones from another का रोड़ा
चुनावी प्रचार में कहीं की ईंट कहींIn election campaign, bricks from one place and stones from another का रोड़ा

 

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हरजिंदर

शतरंज में तो ऐसा नहीं होता लेकिन राजनीति में यह अक्सर हो जाता है कि किसी एक बाजी की शह, किसी दूसरी बाजी की मात में बदल जाती है..कर्नाटक और महाराष्ट्र में पिछले दिनों राजनीति का जो खेल देखने को मिला उसकी व्याख्या बस इसी तरह की जा सकती है..

अभी कुछ ही दिन पहले खबर आई कि कर्नाटक सरकार निर्माण के ठेकों में मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्गों को चार फीसदी आरक्षण देने जा रही है. हालांकि सरकार ने सीधे तौर पर ऐसा कोई फैसला नहीं किया था. न तो कैबिनेट में ऐसा कोई विषय उठा था. न ही इस बाबत कोई सरकारी नियम वगैरह ही बना था.

बात बस इतनी हुई थी. कांग्रेंस के एक विधायक रिजवान अरशद ने सरकार को इस बाबत एक अर्जी दी थी. इस अर्जी पर कईं और विधायकों और कांग्रेस नेताओं के दस्तखत थे. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस अर्जी को अधिकारियों के हवाले कर दिया कि वे देखें कि क्या यह मुमकिन है.

 इसी से यह बात उड़ गई कि सरकार एक करोड़ रुपये तक के निर्माण ठेकों में मुसलमानों को चार फीसदी आरक्षण देने जा रही है. वैसे इस तरह के ठेकों में दलितों और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है. तुरंत ही भारतीय जनता पार्टी ने कईं स्तरों पर इसकी आलोचना शुरू कर दी.

उस समय तक कांग्रेस ने यह नहीं सोचा था कि भाजपा इसका फायदा कहीं और उठाएगी.महाराष्ट्र और झारखंड में जहां इस समय चुनाव चल रहे हैं वहां इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया गया. जल्द ही भाजपा की रैलियों में मुस्लिम आरक्षण की बात गूंजने लगी.

पिछले हफ्ते धूले की एक रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिना कर्नाटक का जिक्र करते  हुए कहा कि कांग्रेस आएगी तो वह मुसलमानों को आरक्षण देगी. उन्होंने अपने इस तर्क का इस्तेमाल दलित और पिछड़े वोटरों को कांग्रेस से दूर करने के लिए किया.

उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों का आरक्षण मिलता है तो इसका सीधा नुकसान दलितों और पिछड़ों को होगा क्योंकि उन्हीं के हिस्से के आरक्षण में कटौती करके मुसलमानों को आरक्षण दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी हालत में मुस्लिम आरक्षण लागू नहीं होने देगी.

गृहमंत्री अमित शाह जब झारखंड के पलामू पंहुचे तो वहां की रैली में उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को दस फीसदी आरक्षण देने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कुछ उलेमाओं ने कांग्रेस को यह ज्ञापन दिया था कि अगर वह मुसलमानों को दस फीसदी आरक्षण का वादा करती है तो सारे मुसलमान कांग्रेस को ही वोट देंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि यह काम दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण की कीमत पर ही होगा.गृहमंत्री अमित शाह ने कईं जगह ऐसी ही बातें दोहराईं लेकिन वे खुद भी यह जानते ही होंगे कि यह सब इतना आसान नहीं है. लेकिन चुनाव में यह सब नहीं देखा जाता.

कुछ समय बाद यह बात कांग्रेस की समझ में आई. गलती हो गई है. तुरंत ही कर्नाटक सरकार की तरफ से खंडन शुरू हो गए. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ही कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

ठीक इसी मौके पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक और टिप्पणी करके समस्या को फिर से बढ़ा लिया.. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आरक्षण देने की बात करना कोई अपराध नहीं है. इससे भाजपा को उनके खिलाफ एक और हथियार मिल गया.

 (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)


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