डॉ.अनिल कुमार निगम
अमेरिका का राष्ट्रपति दोबारा बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप बदले हुए तेवर के साथ काम कर रहे हैं.वह एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं.उन्होंने अमेरिका में रह रहे अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है.ट्रम्प का अवैध प्रवासियों के बारे में सख्त कदम काफी दूरदर्शी और दूरगामी परिणाम डालने वाला साबित होगा.
भारत सरकार को भी ट्रम्प की इस नीति और रीति से सबक लेना चाहिए.आज भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग 2 करोड़ अवैध आप्रवासी रहते हैं.उनको वापस उनके देश भेजने का यह बिलकुल उपयुकत समय है.भारत को ऐसा क्यों करना चाहिए?
अवैध आप्रवासियों के भारत में आने और बसने से किस प्रकार की चुनौतियां पैदा होती है? इन अप्रवासियों के भारत में आने और उनके द्वारा देश के अंदर की जानी वाली गतिविधियों से हमारा और देश का क्या नुकसान है?ऐसे तमाम पहलुओं का विश्लेषण इस आलेख में किया गया है.
अमेरिका में अवैध आप्रवासियों में भारतीयों की संख्या भी काफी ज्यादा है.ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट पर नजर डालें तो करीब 18,000 भारतीय अवैध अप्रवासियों की पहचान की गई है.हालांकि ऐसे भारतीयों की संख्या लाखों में बताई जा रही है.
ट्रम्प ने अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए भारतीयों को भी वापस भेजना शुरू कर दिया है.हालांकि अमेरिका ने जो तरीका अपनाते हुए 105 अवैध अप्रवासी भारतीयों को पहले लॉट में वापस भेजा है, वह अनुचित है लेकिन यह अलग विषय है.
अवैध अप्रवासी उन विदेशी नागरिकों को कहा जाता है जिनके पास वैध कागजात मसलन पासपोर्ट व वीजा नहीं होते अथवा वे फर्जी दस्तावेज तैयार कर देश में आकर रहने लगते हैं.ऐसा करना देश के आव्रजन कानूनों का उल्लंघन होता है.
भारत सात देशों के साथ 15000किमी से अधिक भूमि की सीमाएं साझा करता है.भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, आदि की सीमाओं के पार होने वाले अवैध अप्रवास से एक गंभीर खतरा है.भारत की स्वतंत्रता के बाद से अलग-अलग कारणों से लाखों आप्रवासियों ने भारत में बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, आदि देशों से भारत में आए हैं.
सीमापार से भारत में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने के आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक एवं सामाजिक कारण हैं.भारत में अपेक्षाकृत बेहतर आर्थिक संभावनाएं म्यांमार, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के अप्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण पुल कारक के रूप में कार्य करती हैं.
इसके अलावा पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष, जैसे कि बांग्लादेश, श्रीलंकाई और म्यांमार में गृहयुद्धों, ने लोगों को भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया है.भारत में अप्रवासियों के आने का एक बहुत कारण धार्मिक उत्पीड़न भी रहा है.
इस्लामिक पड़ोसी देशों-पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का जमकर उत्पीड़न किया गया जिसके चलते लोग भारत में आकर रहने लगे.यह सिलसिला आज भी जारी है.कई बार जलवायु परिवर्तन और संबंधित आपदाओं के कारण भी आप्रवासन की गति बढ़ी है.
भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ होने के चलते हमें कई तरीके की विपदाओं को झेलना पड़ा.12019 में कश्मीर में पुलमावा अटैक, 2008के मुंबई हमले, जिसमें आतंकवादियों ने देश में घुसपैठ करने के लिए समुद्री मार्गों का इस्तेमाल किया.
असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मुंबई सहित अनेक शहरों में अवैध घुसपैठियों खासतौर पर बांगलादेशी एवं रोहिंग्या अवैध अप्रवासियों के चलते अपराध की घटनाएं बढ़ गई हैं.तमिलनाडु में भी, अवैध श्रीलंकाई अप्रवासियों और उग्रवादी समूहों के चलते चिंताएं बढ़ गई हैं.
ऐसे लोग हथियारों की तस्करी में संलिप्त हैं.यह तस्करी आतंकवादियों और अन्य चरमपंथी समूहों को समर्थन देने वाली है.म्यांमार और बांग्लादेश से अवैध हथियारों की तस्करी होती है.भारत-बांग्लादेश और भारत नेपाल की सीमाएं कथित तौर पर तस्करी और मानव तस्करी के लिए एक हॉटबेड रही है.उत्तर-पूर्वी राज्यों, विद्रोह को अनियंत्रित अवैध प्रवास द्वारा ईंधन दिया गया है.
इसके चलते देश की कानून-व्यवस्था, एकता एवं अखंडता खतरे में पड़ जाती है.अवैध अप्रवासी अपराध एवं राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलग्न पाए गए हैं.दिल्ली पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस ने ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर कर कार्रवाई भी की है.
यही नहीं,बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के परिणामस्वरूप असम में सांप्रदायिक हिंसा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हुआ है.यहां सबसे महत्वपूर्ण बदलाव जो हो रहा है, वह है जनसांख्यिकी में.अवैध आप्रवासी विभिन्न उत्तर-पूर्वी राज्यों, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली एवं महाराष्ट्र में जनसांख्यिकी बदलने के पीछे मुख्य कारण हैं.इसके कारण स्थानीय लोगों और प्रवासियों के बीच तनाव भी बढ़ा है.
नि:संदेह, एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) और राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे विभिन्न कानूनी उपाय किए हैं.सरकार समय-समय पर यह दावा करती रही है कि वह देश से अवैध आप्रवासियों को उनके देश वापस भेजेगी.
हालांकि वह यदा-कदा ऐसा करती भी रही है,लेकिन भारत में अवैध अप्रवासियों की लगातार बढ़ती संख्या से समाज में अनरेस्ट बढ़ रहा है.स्थानीय लोगों के आर्थिक संसधानों का बंटवारा हो रहा है और सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इससे देश की आंतरिक सुरक्षा को बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है.
आज आवश्यकता है कि हम अमेरिका से सबक लें और अवैध अप्रवासियों को उन्हीं के देश में वापस भेजने के लिए सख्त कदम उठाएं ताकि हम भारत के नागरिकों को उनके हिस्से का हक दिला सकें.
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)