डॉ काकली हलदर
2008 में पहली बार विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया गया.तब से हर साल 15अक्टूबर को 'ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे' मनाया जाता है.इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को बीमारी के संचरण को रोकने के लिए साबुन से हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूक करना है.कोरोना महामारी के दौरान, हमने नियमित हाथ धोने के लाभों के बारे में थोड़ा सीखा है,लेकिन अगर हम नियमित रूप से यह आदत विकसित कर लें तो महामारी के दौरान हम कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं.नियमित रूप से हाथ धोने के कारण दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग कोरोना महामारी से बचे हुए हैं.
आपको अपने हाथ क्यों धोने चाहिए ?
हाथ की स्वच्छता स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है.अस्पताल से प्राप्त रोगजनकों के कारण होने वाले श्वसन और आंतों के संक्रमण को उचित हाथ धोने के माध्यम से लगभग 50प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.उचित हाथ धोने से विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है .अस्पताल और घर में जन्म के दौरान शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है.
हाथ धोना एक सरल लेकिन बहुत प्रभावी तरीका है जिससे हम कई बीमारियों के संचरण को रोक सकते हैं.यह बच्चों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.वे अक्सर चीजों को पकड़कर अपने मुंह में डालते हैं.बिना हाथ धोए खाना खाने से बच्चों को दस्त, पेचिश, कृमि, पानी और अन्य खाद्य जनित बीमारियाँ हो सकती हैं.इसलिए हाथ धोने की आदत बचपन से ही शुरू कर देनी चाहिए.कुछ मामलों में, टीकों की तुलना में उचित रूप से हाथ धोना अधिक प्रभावी हो सकता है.
अपने हाथ ठीक से क्यों धोएं ?
हम दिन भर में अनगिनत चीजों को छूते हैं.इन वस्तुओं में विभिन्न प्रकार के रोगाणु हो सकते हैं.जब हम अपने मुंह, नाक या आंखों को छूते हैं तो ये कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं.बुखार, सर्दी, खांसी, फ्लू से लेकर डायरिया, पेचिश, उल्टी, हेपेटाइटिस, टाइफाइड और यहां तक कि कोविड-19महामारी जैसी गंभीर बीमारियों तक.
डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपचार प्रदान करने के लिए प्रतिदिन अनगिनत रोगियों को छूते हैं.उनके हाथों में मौजूद रोगज़नक़ एक मरीज़ से दूसरे मरीज़ तक आसानी से फैल सकते हैं.यह अस्पताल से प्राप्त संक्रमण के प्रमुख कारणों में से एक है.अस्पताल में भर्ती मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही कमजोर होती है, इसलिए संक्रमण उनके लिए अधिक हानिकारक हो सकता है.
अस्पताल के शौचालयों में साबुन और पानी की कमी से भी रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों में रोगज़नक़ संचरण का खतरा बढ़ जाता है.टॉयलेट के बाद हाथ न धोने से कई तरह के कीटाणु हाथों में चिपक सकते हैं.ये कीटाणु बाद में खाना खाने या अन्य वस्तुओं को छूने से शरीर या दूसरों के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं का कारण बन सकते हैं.
शौचालय की अनुचित स्वच्छता से दस्त, पेचिश, उल्टी, बुखार, टाइफाइड, हेपेटाइटिस-'ए' और 'ई' जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है.लेकिन पेट की बीमारियां ही नहीं, त्वचा में संक्रमण, आंखों में संक्रमण आदि भी हो सकते हैं.इसलिए प्रत्येक अस्पताल के शौचालय में पर्याप्त मात्रा में साबुन और पानी उपलब्ध कराना बहुत महत्वपूर्ण है.
साथ ही मरीजों और उनके परिजनों को हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.इसके लिए अस्पताल के विभिन्न स्थानों पर हाथ धोने के पोस्टर, पत्रक लगाए जाएं और उन्हें मौखिक रूप से जागरूक किया जाए.साथ ही, अस्पताल के शौचालयों सहित सभी क्षेत्रों को टॉयलेट क्लीनर से नियमित रूप से साफ किया जाना चाहिए.
किस प्रकार की सामग्री से हाथ धोना चाहिए?
पानी और साबुन के साथ-साथ हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करना चाहिए.यदि हाथ गंदे दिखें तो हाथों को बहते पानी में 30-40सेकंड तक साबुन से धोना चाहिए.अगर हाथ बहुत गंदे हैं या हाथ गंदे हैं तो हैंड सैनिटाइजर हमारे हाथों से सभी कीटाणुओं और हानिकारक रसायनों को नहीं हटा सकता है.
अपने हाथों को सैनिटाइजर से 20-30सेकेंड तक अच्छे से धोएं.विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों के अनुसार हाथ धोने के 6चरणों के अनुसार अपने हाथ धोएं.हाथ धोने में उचित नियम और निश्चित समय का पालन करना बहुत जरूरी है.अन्यथा हाथ पूरी तरह से स्टरलाइज़ नहीं होंगे.
हाथ धोने के क्या नियम हैं ?
1. हाथों को पानी से गीला करें: हाथों को गर्म या ठंडे पानी से गीला करें.
2. साबुन का उपयोग करें: आगे, पीछे, हथेली की सिलवटों, उंगलियों के बीच, कलाइयों और नाखूनों के नीचे रगड़ने के लिए तरल या बार साबुन का उपयोग करें.
3. कम से कम 20-30सेकंड तक रगड़ें: गाना गाते या गाते समय 20-30सेकंड तक रगड़ें.
4. पानी से धोएं: हाथों को पानी से अच्छी तरह धोएं.
5. तौलिए से पोंछें: हाथों को साफ तौलिये या टिश्यू से पोंछें या हवा में सुखाएं.
हाथ कब धोएं:
( डॉ काकली हलदर, सहायक प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, ढाका मेडिकल कॉलेज )