दोस्ती से दुश्मनी तक : पाकिस्तान अब क्यों गिरा रहा अफगानिस्तान में बम

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-12-2024
From friendship to enmity: Why is Pakistan now dropping bombs in Afghanistan?
From friendship to enmity: Why is Pakistan now dropping bombs in Afghanistan?

 

नई दिल्ली. इस्लामाबाद और काबुल के बीच इस वक्त तनाव चरम पर है. तालिबान पूर्वी अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में मंगलवार रात को पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में कम से कम 46 लोगों की मौत हुई है. इनमें से मृतकों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं हैं.  

तालिबान शासन ने इस मुद्दे पर इस्लामाबाद के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है और चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता एक लाल रेखा है. हालांकि इस्लामाबाद ने एयरस्ट्राइक पर अभी कुछ नहीं बोला है.

कभी दोस्त माने जाने वाले पाकिस्तान और अफगानिस्तान आज एक दूसरे के सामने खड़े हैं. आखिर ये दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदल गई:-

इस्लामाबाद और काबुल के बीच दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान). टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है.

हाल के दिनों में, इस्लामाबाद ने बार-बार अफगान सरकार पर सशस्त्र समूहों, विशेष रूप से टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाया है. टीटीपी के बारे में उसका दावा है कि वह पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर सीमा पार से हमले करता है. हालांकि काबुल इस्लामाबाद के दावे को खारिज करता रहा है.

पिछले हफ्ते ही, टीटीपी के लड़ाकों ने दक्षिणी वज़ीरिस्तान में कम से कम 16 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी. यह सुरक्षाकर्मियों पर हाल ही में हुए सबसे घातक हमलों में से एक था.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग में पाकिस्तानी राजनयिक उस्मान इकबाल जादून ने कहा, "6,000 लड़ाकों के साथ टीटीपी अफगानिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन है. हमारी सीमा के नजदीक सुरक्षित ठिकानों के साथ, यह पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक सीधा और दैनिक ख़तरा है."

आंकड़े बताते हैं कि विशेष तौर पर पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में, हमलों और मौतों में वृद्धि हुई है. ये दोनों प्रांत अफगानिस्तान की सीमा से सटे हैं.

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार, इस साल के पहले 10 महीनों में 1,500 से ज्यादा हिंसक घटनाओं में कम से कम 924 लोगों की मौत हुई है. हताहतों में कम से कम 570 कानून प्रवर्तन कर्मी और 351 नागरिक शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद स्थित शोध संगठन, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ (पीआईसीएसएस) ने 2024 में अब तक 856 से ज्यादा हमलों की रिपोर्ट की है, जो 2023 में दर्ज की गई 645 घटनाओं से ज़्यादा है.

इसके अलावा पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को बड़े पैमाने पर निर्वासित भी किया है. नवंबर 2023 में लगभग 5,41,000 अफगान शरणार्थियों को बाहर निकालने के बाद, इस्लामाबाद ने जून में कहा था कि ऐस ही एक और अभियान में 800,000 से अधिक अफगानों को देश से बाहर निकाला जाएगा. पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा चिंताओं और संघर्षरत अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए अपने फैसले का बचाव किया.

पाकिस्तान को परंपरागत रूप से तालिबान का समर्थक माना जाता है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि दोनों के बीच गहरा संबंध रहा है.

2021 में जब तालिबान दूसरी बार काबूल की सत्ता पर काबिज हुआ तो इस्लामाबाद ने मान लिया कि उनके बीच अच्छे संबंध फिर से शुरू हो जाएंगे.

पाकिस्तान की तालिबान की जीत से कितना खुश था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के तत्कालीन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जीत का जश्न मनाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनरल फैज़ हमीद ने पांच सितारा सरेना होटल में चाय की चुस्की लेते हुए मुस्कुराते हुए एक पश्चिमी पत्रकार से कहा, 'कृपया चिंता न करें - सब कुछ ठीक हो जाएगा.' हालांकि इस्लामाबाद ने जैसा चाहा था वैसा हो नहीं सका.

कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि तालिबान पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम कर चुका है. वह चीन, रूस, ईरान और कुछ मध्य एशियाई देशों के साथ जुड़ रहा है.

कुल मिलाकर मौजूदा हालात यही संकेत देते हैं कि आने वाले दिन पाक-अफगान संबंधों के लिए और तनावपूर्ण हो सकते हैं.