फ़िरदौस ख़ान
वेब मीडिया के आसमान में सूरज की तरह चमक रही ‘आवाज़-द वॉयस’ 23जनवरी को अपनी चौथी सालगिरह मना रही है.इन चार बरसों में इसने ख़ूब तरक़्क़ी की है.इस कामयाबी का श्रेय आवाज़-द वॉयस की टीम को जाता है, जिसने दिन-रात मेहनत करके इसे इस मुक़ाम तक पहुंचाया है.इसका श्रेय इसके पाठकों को भी जाता है, जो इसे देखते, पढ़ते और सराहते हैं.
यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि बहुत कम अरसे में आवाज़-द वॉयस ने मीडिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और इसकी जितनी तारीफ़ की जाए, वह कम ही है.इसकी शुरुआत 23जनवरी 2021को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हुई थी.
हिन्दी के साथ-साथ इसके अंग्रेज़ी, उर्दू, असमिया और मराठी संस्करण भी ख़ूब पसंद किए जा रहे हैं.इसमें अब तक विभिन्न विषयों के हज़ारों लेख लिखे जा चुके हैं.हर लेख तथ्यों और गहन क्षेत्रीय शोध पर आधारित होता है.
इसलिए इसकी विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है.फ़ेक न्यूज़ के दौर में इसकी विश्वसनीयता इसकी सबसे बड़ी ताक़त है.आज जब कई सोशल मंच फ़ेक न्यूज़ के माध्यम से नफ़रत फैला रहे हैं, ऐसे में आवाज़-द वॉयस सच के साथ खड़ा है.सच ही इसकी धरोहर है, इसकी पूंजी है.
पाठक आवाज़-द वॉयस के अमूमन सभी स्तम्भ ख़ास रिपोर्ट, समाज, शख़्सियत, विरासत, यूथ, खेल, ओपिनियन, महिला, भारत, विश्व, जीवन शैली, मनोरंजन, वीडियो, गैज़ेट, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता, व्यापार आदि बहुत पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये सभी स्तम्भ ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ पठनीय भी हैं.
इससे वे नित-नई जानकारी से अपडेट रहते हैं.ये वेब मीडिया का दौर है.अख़बारों में जो ख़बर अगले दिन मिलेगी, वह ख़बर यहां फ़ौरन मिल जाती है.आज हर हाथ में मोबाइल है.किसी जानकारी के लिए कोई भी अगले दिन तक इंतज़ार नहीं करना चाहता.
ये कहना क़तई ग़लत नहीं होगा कि आज लोग हर सूचना और जानकारी के लिए इंटरनेट पर निर्भर हो गए हैं.अपने इलाक़े में भी कोई घटना घटती है, तो लोग बाहर जाकर देखने की बजाय इंटरनेट पर सर्च करने लगते हैं.लोगों की इस आदत ने वेब मीडिया को कामयाबी के शिखर पर पहुँचा दिया है.समाचार को टीवी तक पहुंचने में भी देर लगती है, लेकिन वेबसाईट पर यह फ़ौरन आ जाता है.
यह सोशल मीडिया का ज़माना है.आवाज़-द वॉयस ने इसे समझा और इसका सदुपयोग किया.इसलिए अब यह वेबसाईट के साथ-साथ यूट्यूब, फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम जैसे सभी प्रमुख सोशल मीडिया मंचों पर मौजूदगी दर्ज करवा रही है.यूट्यूब पर इसके कार्यक्रमों को ख़ूब सराहा जा रहा है.
आवाज़-द वॉयस की सबसे बड़ी बात यह है कि ये ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की विचारधारा और भावना के साथ निरंतर काम कर रहा है.इसका अपना कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और न ये किसी राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम करता है.
यहां केवल मानवता की बात होती है.यहां जनहित और जनकल्याण की बात होती है यानी जन सरोकारों की ही बात होती है.ये मीडिया संस्थान किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, पंथ व जाति आदि की विचारधारा से निरपेक्ष है.ये किसी विशेष वर्ग आदि से भी प्रभावित नहीं है.
यह साम्प्रदायिक सद्भाव, समभाव और भाईचारे के लिए सराहनीय काम कर रहा है.वास्तव में ये देश की एकता और अखंडता के लिए काम कर रहा है और इसी पुनीत कार्य के लिए निरंतर प्रयासरत एवं अग्रसर है.
आवाज़-द वॉयस का मानना है कि हम परस्पर निर्भरता के सकारात्मक पहलुओं पर रिपोर्ट करना हमारा परम कर्तव्य है और हम इतिहास, पहचान और स्मृति के जटिल प्रश्नों को हल करने के संबंध में विभिन्न समुदायों की मदद कर रहे हैं.
ALSO READ
लोकतांत्रिक विमर्श का महत्वपूर्ण मंच
नफरत के माहौल में समझदारी का एक स्वर
ये अपनी स्वतंत्र आवाज़ को बहुत महत्व देता है और हमारी सम्पादकीय नीति- बिना किसी डर या पक्षपात के काम करना है.किसी भी मीडिया संस्थान की यह सबसे अच्छी नीति है.इसकी वजह से ही यह सच सामने लाता है.
आवाज़-द वॉयस का दावा है कि हमने इस चुनौतीपूर्ण समय में रचनात्मक पत्रकारिता करने की पूरी कोशिश की है.हमारी टैगलाइन सोच हिन्दुस्तानियत की, हमारी पत्रकारिता की भावना को रेखांकित करती है.हमारा ध्यान हमेशा लोगों का ध्रुवीकरण करने की बजाय भारतीयता और देश के समन्वित मूल्यों को बढ़ावा देने पर रहा है.यही इसकी कामयाबी की वजह भी है.
आवाज़-द वॉयस का यह दावा बिल्कुल सही है, क्योंकि पिछले कुछ अरसे से जिस तरह मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है या यूं कहें कि दुरुपयोग किया जा रहा है उससे इसकी छवि बहुत धूमिल हुई है.ऐसे में आवाज़-द वॉयस ने एक उम्मीद की किरण दिखाई है और यह बताने की कोशिश की है कि आज भी ऐसी लोग हैं, जो मीडिया की विश्वसनीयता को बनाये हुए हैं.
उम्मीद है कि आवाज़-द वॉयस हमेशा इसी तरह निष्पक्षता के साथ काम करता रहेगा। आवाज़-द वॉयस को हार्दिक शुभकामनाएं.
लेखिका स्तंभकार और वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं