डॉ.कबीरुल बशर
यद्यपि विभिन्न संक्रामक रोग पशुओं से उत्पन्न होते हैं, लेकिन समय के साथ वे मनुष्यों में फैलकर महामारी बन सकते हैं.ऐतिहासिक रूप से, कुछ बीमारियाँ पशुओं से मनुष्यों में फैलती रही हैं, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए खतरा पैदा हुआ है.एचआईवी/एड्स, इबोला, सार्स, एमईआरएस और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों का प्रभाव दुनिया भर में देखा गया है.
इन रोगों के प्रसार, संचरण प्रक्रिया और विनाशकारी परिणामों ने मानव स्वास्थ्य प्रणालियों को गंभीर परीक्षा में डाल दिया है.कुछ पशु-जनित बीमारियाँ ऐसी होती हैं जो पहले पशुओं में रहती हैं और फिर मनुष्यों में फैलती हैं.
इनमें से कुछ बीमारियाँ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलती हैं, जिनका महामारी बनने का इतिहास रहा है.इनमें से कुछ बीमारियों ने दुनिया भर में स्वास्थ्य प्रणालियों को भारी नुकसान पहुंचाया है.यहां कुछ बीमारियों का विस्तृत विवरण दिया गया है जो पहले जानवरों में पाई गईं और बाद में मनुष्यों को संक्रमित करके मनुष्यों में फैल गईं.
मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी)/एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम-एड्स): एचआईवी सबसे पहले अफ्रीकी बंदरों में पाया गया था.यह एक ऐसा वायरस है जो बंदरों से मनुष्यों में फैलता है, मुख्यतः बंदरों का मांस खाने से.
1960 के दशक में यह मनुष्यों में फैल गया.इसकी उत्पत्ति SIV (सिमियन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस) नामक वायरस से हुई है.मनुष्यों में यह वायरस एचआईवी के नाम से जाना जाता है और यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप एड्स नामक बीमारी होती है.
एचआईवी मनुष्यों के बीच मुख्य रूप से रक्त, वीर्य, मूत्र और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है.यह असुरक्षित यौन संबंध, सुइयों का प्रयोग, या संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम से फैलता है.एचआईवी शुरू में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे रोगी के शरीर में विभिन्न संक्रमण, कैंसर और अन्य बीमारियाँ विकसित हो जाती हैं.
एड्स के रोगी विभिन्न गंभीर संक्रमणों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इससे उनकी मृत्यु भी हो सकती है.दुनिया भर में प्रतिवर्ष लगभग 36 मिलियन लोग एचआईवी/एड्स से मरते हैं तथा 1.7 मिलियन लोग इससे संक्रमित होते हैं.यह मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है.
इबोला: इबोला वायरस का पहला संचरण जानवरों से मनुष्यों में हुआ.विशेष रूप से, चमगादड़, बंदर और अन्य जीव इबोला वायरस के वाहक के रूप में कार्य करते हैं.फिर यह लोगों में फैलने लगा.इबोला वायरस महामारी पहली बार 1976 में अफ्रीका के सूडान और कांगो में सामने आई थी.यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ (जैसे रक्त, लार, मूत्र, आदि) के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है.
इबोला शारीरिक संपर्क के माध्यम से लोगों के बीच तेजी से फैल सकता है.वे एक दूसरे को संक्रमित करने में सहायक भूमिका निभाते हैं.इबोला वायरस संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, ठंड लगना, रक्तस्राव, पेट दर्द और अन्य समस्याएं शामिल हैं.
यदि यह गंभीर हो तो इससे सदमा और मृत्यु हो सकती है.इबोला वायरस महामारी आमतौर पर बहुत तेजी से फैलती है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक होती है.पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 में इबोला महामारी से लगभग 11,000 लोग मारे गये.
सार्स: सार्स सबसे पहले चमगादड़ों में पाया गया था, जो फिर सिवेट (एक प्रकार का मांसाहारी जानवर) और अन्य जानवरों के माध्यम से मनुष्यों में फैल गया.इसकी पहचान सर्वप्रथम 2002 में चीन में हुई और यह शीघ्र ही पूरे विश्व में फैल गयी.SARS-CoV वायरस मुख्य रूप से मनुष्यों में श्वसन संकट और फेफड़ों में सूजन का कारण बनता है.
यह रोग मुख्य रूप से लोगों के बीच श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है, जैसे कि संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक या अन्य शारीरिक तरल पदार्थ.यह संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है.सार्स से संक्रमित लोगों में सांस लेने में गंभीर तकलीफ, बुखार, खांसी, सिरदर्द और मस्तिष्क में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
सार्स महामारी से 800 से अधिक लोग मारे गये.यद्यपि यह बीमारी विश्व भर में व्यापक रूप से नहीं फैली, फिर भी यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का ध्यान आकर्षित करने में एक महत्वपूर्ण कारक थी.
MERS: MERS वायरस सबसे पहले ऊँटों में पाया गया था और बाद में मनुष्यों में फैल गया.इसकी पहचान पहली बार मध्य पूर्व में 2012 में हुई थी.ऊँट के शरीर में मौजूद वायरस जब मानव शरीर को संक्रमित करता है तो गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा करता है.
MERS-CoV आमतौर पर श्वसन पथ के माध्यम से फैलता है, जिसका अर्थ है कि वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या सांस लेने के माध्यम से दूसरों में फैल सकता है.MERS से संक्रमित व्यक्ति को बुखार, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश और सांस लेने में गंभीर समस्या हो सकती है.
MERS से संक्रमित होने के बाद मृत्यु दर काफी अधिक है, लगभग 35 प्रतिशत.यद्यपि यह SARS की तरह विश्व स्तर पर नहीं फैला, लेकिन इसके संचरण और संक्रामकता के कारण यह एक बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बन गया.
इन्फ्लूएंजा: इन्फ्लूएंजा वायरस आमतौर पर पक्षियों और सूअरों में रहते हैं और मनुष्यों में फैलते हैं.2009 में एच1एन1 इन्फ्लूएंजा महामारी मूलतः सूअरों से मनुष्यों में फैली और फिर पूरे विश्व में फैल गयी.
इन्फ्लूएंजा वायरस श्वसन बूंदों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है.संक्रमित व्यक्ति खांसने, छींकने या सांस लेने के माध्यम से वायरस फैलाता है.इससे आमतौर पर श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं, जैसे बुखार, नाक बहना, गले में खराश, खांसी, शरीर में दर्द और थकान.विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2009 में H1N1 महामारी से लगभग 20,000-50,000 लोग मारे गये.
पशु जनित रोगों ने दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली है और ये वैश्विक महामारी बन गए हैं.प्लेग, मलेरिया, रेबीज, डेंगू आदि बीमारियों ने पूरे विश्व में भयावह स्थिति पैदा कर दी है.इन बीमारियों की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उचित कदम उठाना तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन से सहायता प्राप्त करना बहुत जरूरी है.
जन जागरूकता बढ़ाकर, स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार करके तथा त्वरित उपचार प्रणालियां स्थापित करके इन रोगों के प्रसार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
(डॉ कबीरुल बशर. प्रोफेसर, शोधकर्ता, प्राणीशास्त्र विभाग, जहांगीरनगर विश्वविद्यालय)