ढाई - चाल : किस ओर जाएगी महाराष्ट्र की बदलती हवा

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 24-04-2023
ढाई - चाल : किस ओर जाएगी महाराष्ट्र की बदलती हवा
ढाई - चाल : किस ओर जाएगी महाराष्ट्र की बदलती हवा

 

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राजनीति में अक्सर कुछ बदलाव ऐसे होते हैं जिनके बारे में हम पहले सोच भी नहीं पाते. महाराष्ट्र में इन दिनों एक ऐसा ही बदलाव हो रहा है.शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे आजकल समर्थन जुटाने के लिए पूरे प्रदेश में जगह-जगह रैलियां कर रहे हैं. पिछले हफ्ते ऐसी ही एक रैली उन्होंने नागपुर में की.

जैसी कि उम्मीद थी इस रैली में वे भाजपा के खिलाफ खूब गरजे. साथ ही उन्होंने छत्रपति संभाजी नगर में हुई महाविकास अघाड़ी की रैली का जिक्र किया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सवाल पूछा कि भाजपा जो कर रही है क्या वह सही है ? संघ का मुख्यालय नागपुर में ही है.
 
संभाजी नगर की रैली के बाद भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने रैली वाले मैदान पर गोमूत्र छिड़क कर उसका ‘शुद्धिकरण‘ किया था. उद्धव ठाकरे का कहना था कि ऐसा इसलिए किया गया कि उस रैली में काफी संख्या में मुस्लिम भी शामिल हुए थे.
 
रैली और उस ‘शुद्धिकरण‘ का सच जो भी हो, लेकिन वे जिस तरह से मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं वह हैरत में डालने वाला है. पिछले कुछ महीनों से वे लगातार अपनी कट्टर हिंदूवादी और मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने में लगे हुए हैं.
 
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सबसे बड़ी बात है कि इसके कुछ एक नतीजे भी नजर आने लगे हैं. इन दिनों उनकी रैलियों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिखने लगे हैं. मार्च महीने के अंत में उद्धव ठाकरे ने एक रैली मालेगांव में की थी. तब ज्यादा चर्चा इस बात की हुई थी कि रैली स्थल पर रैली से पहले मुस्लिम समुदाय को लोगों ने रोजा इफ्तार किया उसके बाद सभा शुरू हुई.
 
महाराष्ट्र में काफी राजनीतिक प्रभाव वाला एक संगठन है - मराठी मुस्लिम सेवा संगठन. इस संगठन के तहत तकरीबन तीन दर्जन छोटे संगठन है- जैसे मछुवारों का संगठन, टैक्सी ड्राईवरों का संगठन, महिलाओं का संगठन वगैरह.
 
इसके नेता फकीर ठाकुर ने पिछले दिनों उद्धव ठाकरे से एक लंबी मुलाकात की थी. इसके बाद इस संगठन ने मराठी मुसलमानों से यह अपील जारी की थी कि वे शिव सेना की रैलियों में बड़ी संख्या में शामिल हों.
 
सिर्फ मराठी मुस्लिम ही नहीं, बाकी अल्पसंख्यकों को भी उद्धव ठाकरे की शिव सेना से जोड़ने की जोरदार कोशिशें हो रही हैं. मार्च महीने में ही मौलाना आजाद विचार मंच के हुसैन दलवई ने इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब देश के मुसलमान उद्धव ठाकरे को एक उदार नेता के रूप में देखते हैं.
 
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विधायक और राज्यसभा सदस्य रह चुके हुसैन दलवई कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. वे मशहूर समाज सुधारक हमीद दलवई के भाई है जिन्होंने मुस्लिम सत्यशोधक मंडल की स्थापना की थी.
 
इस सबका असर होता भी दिख रहा है. राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को यह बयान देना पड़ा कि उनकी पार्टी मुस्लिम विरोधी नहीं है, वह बस मुसलमानों के तुष्टिकरण की राजनीति का विरोध करती है.
 
वह राज्य जहां कुछ ही महीने पहले अजान और हनुमान चालीसा को लेकर बवाल हुआ था वहां राजनीति धीरे-धीरे बदल रही है. यह बदलाव किधर जाएगा अभी ठीक से नहीं कहा जा सकता, लेकिन जरूरी है कि यह किसी टकराव की ओर न जाए.
 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )