प्रमोद जोशी
यूक्रेन में लड़ रही रूसी सेनाओं के अभियान को पिछले शुक्रवार और शनिवार को अचानक उस समय धक्का लगा, जब उसका साथ दे रही वागनर ग्रुप की प्राइवेट सेना ने बगावत कर दी. आग को हवा देने का काम किया राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस घोषणा ने कि वागनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोज़िन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से बगावत थम गई है, पर उससे जुड़े सवाल सिर उठाएंगे. रूसी सेना यूक्रेन में लंबी लड़ाई की रणनीति पर चल रही थी, ताकि पश्चिमी देश थककर हार मान लें, पर उसकी रणनीति विफल साबित हो रही है. उल्टे पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन ने अपनी पकड़ बना ली है और रूसी सेना थकती नज़र आ रही है.
प्रिगोज़िन के साथ डील
बगावती प्राइवेट-सेना एक डील के तहत ही पीछे हटी है. रूसी सरकार ने प्रिगोज़िन को बेलारूस तक जाने के लिए सुरक्षित रास्ता देने की घोषणा की है. उनके सैनिकों को किसी भी प्रकार की सजा नहीं दी जाएगी, और उन्हें रूसी सेना के साथ एक कांट्रैक्ट पर दस्तखत करने का मौका दिया जाएगा.
सवाल है कि वागनर के सैनिक अब युद्धस्थल पर जाएंगे, तो क्या उनपर पूरा भरोसा होगा? यदि उन्हें हाशिए पर डाला गया, तो करीब तीस से पचास हजार के बीच हार्डकोर लड़ाकों की कमी कैसे पूरी की जाएगी? एक अनुमान है कि अब पुतिन अपने रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू का पत्ता भी साफ करेंगे, जो पिछले एक दशक से उनके विश्वस्त रहे हैं. इससे पूरी सेना की व्यवस्था गड़बड़ हो जाएगी.
बगावत की खबर सुनते ही पुतिन ने वागनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोज़िन पर आरोप लगाया कि वे सशस्त्र विद्रोह कर रूस को धोखा दे रहे हैं. उन्होंने देश की पीठ में छुरा भोंका है. जवाब में वागनर ग्रुप के सैनिकों ने ‘मॉस्को कूच’ की घोषणा कर दी. प्रिगोज़िन का कहना था कि हमारा इरादा फौजी बगावत का नहीं है, हम केवल न्याय के लिए अभियान छेड़ रहे हैं.
जनरलों के मतभेद
यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध के दौरान संघर्ष की कमान संभाल रहे अफसरों से उनका विवाद नया नहीं है, लेकिन इस विवाद ने विद्रोह की शक्ल ले ली, तब खटका पैदा हुआ. देखते ही देखते पूर्वी यूक्रेन की सीमा के पास तैनात वागनर ग्रुप के लड़ाके सीमा पारकर दक्षिणी रूस के शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में प्रवेश कर गए, जहां से यूक्रेन युद्ध का संचालन हो रहा है.
हालांकि मुख्यालय इसके 30 किलोमीटर पूर्व में स्थित नोवोचेरकास्क में है, पर दोनेत्स्क और लुहांस्क प्रांतों की ओर जाने वाले रास्ते पर यह पड़ता है. लड़ाई में हताहत रूसी सैनिकों को पहले यहीं लाया जाता है.
बागियों का दावा था कि मंत्री और चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जगह छोड़कर भाग गए हैं. प्रिगोज़िन का एक वीडियो शुक्रवार को सामने आया, जिसमें वे उप रक्षामंत्री और रोस्तोव में मौजूद एक जनरल से कहते हैं कि अगर रूस के रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू और वैलेरी गेरासिमोव से रूबरू मुलाक़ात नहीं कराई गई, तो वे मॉस्को की तरफ़ कूच करेंगे.
यूक्रेन को फायदा
यूक्रेन की ओर की जा रही फौरी टिप्पणियों के अनुसार बगावत भले ही रुक गई, पर दूरगामी दृष्टि से उन्हें इसका लाभ मिलेगा. अब इस इलाके में रूसी सेना की फिर से तैनाती में दिक्कतें पैदा होंगी. वैसे भी रूसी सेना की तादाद कम होती जा रही है.
सवाल यह भी है कि ‘मॉस्को कूच’ पर गए वागनर के लड़ाके क्या फिर से मोर्चे पर भेजे जाएंगे या नहीं? इस प्रकार के संशयों का लाभ यूक्रेन को मिलेगा, पर इससे दक्षिण में हो रही लड़ाई कोई बड़ा फायदा नहीं मिलेगा, जहाँ रूसी सेना पर हमले हो रहे हैं.
ज्यादा बड़ा असर रूस के सैनिक नेतृत्व पर पड़ेगा, जिसकी भीतरी कलह अब खुलकर सामने आ रही है. 24जून को प्रिगोज़िन के साथ रोस्तोव में हुई मुलाकात में रूसी सैनिक इंटेलिजेंस एजेंसी ‘ग्रू’ के उप-प्रमुख व्लादिमीर अलेक्सयेव ने रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू और सेनाध्यक्ष वैलेरी गेरासिमोव का उपहास किया.
साँसत की स्थिति
इस बगावत की वजह से करीब 24घंटे तक रूस में साँसत की स्थिति रही. दुनियाभर के राजनेताओं, पत्रकारों और फौजी अधिकारियों के कान खड़े हो गए. अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने यूरोप की राजधानियों से पूछना शुरू किया कि यह हो क्या रहा है.
सवाल था कि क्या पुतिन इस बगावत का सामना कर पाएंगे? क्या अब रूस के भीतर जबर्दस्त खून-खराबा होने वाला है? क्या पुतिन के नेतृत्व की कमियाँ उजागर होने लगी हैं? हालांकि सीआईए पिछले एक साल से वागनर ग्रुप की गतिविधियों का विवरण दे रही थी, पर इस घटनाक्रम से कुछ हैरत हो रही थी.
पिछले कुछ महीनों से यूक्रेन की सेना ने अपनी ज़मीन को मुक्त कराना शुरू किया है, जिसके कारण रूसी रणनीतिकारों के अंतर्विरोध उभरने लगे हैं. क्या यह बगावत उन्हीं अंतर्विरोधों की देन है वगैरह?
मॉस्को कूच
एक महीने पहले वागनर ग्रुप ने पूर्वी यूक्रेन के शहर बाख्मुत शहर पर कब्जा किया था. इसके लिए लड़ाई करीब एक साल तक चली थी. 24 जून को अचानक प्रिगोज़िन के सैनिकों ने मॉस्को की ओर रुख कर दिया. वे तेजी से मॉस्को की ओर बढ़ने लगे और 1000किलोमीटर की दूरी में से करीब 800 किलोमीटर की यात्रा उन्होंने देखते ही देखते पूरी कर ली.
इस दौरान उन्होंने कुछ रूसी विमानों को भी मार गिराया. इनमें एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर हेलिकॉप्टर भी थे. इससे बगावत की पुष्टि हुई, पर यह बगावत ज्यादा देर तक चली नहीं. बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको से बात करने के बाद येवगेनी प्रिगोज़िन के वागनर ग्रुप के फौजियों का मॉस्को की ओर बढ़ रहा कूच रुक गया. यह भी खबर आई कि प्रिगोज़िन बेलारूस जा रहे हैं.
अब क्या होगा ?
बगावत रुक जाने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि अब क्या होने वाला है. इस घटना ने रूसी रणनीति को छिद्रों को भी खोल दिया है. वे कौन से कारण थे, जिनके कारण 50,000सैनिकों वाली सेना नाराज़ हो गई? वे कौन सी शर्तें हैं, जिनकी वजह से यह बगावत रुकी है? अब आगे क्या होने वाला है वगैरह.
वागनर ग्रुप एक प्रकार की प्राइवेट सेना है, जो अभी तक रूसी सेना के साथ यूक्रेन के युद्ध में शामिल रही है. इनके ज्यादातर लड़ाके की जेलों से निकालकर लाए गए हैं. पश्चिमी देशों के मीडिया के अनुसार लड़ाई अब ऐसे मुकाम पर आ गई है, जहाँ राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सत्ता को सीधे चुनौती मिलने जा रही है.
सीरिया में इस्तेमाल
यूक्रेन में इस समूह की उपस्थिति की जानकारी पहली बार 2014में सामने आई थी. यों रूस ने इस प्राइवेट सेना का इस्तेमाल सीरिया, लीबिया, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, माली, उत्तरी और सब-सहारा अफ्रीका में भी किया है. वैधानिक तरीके से इसे रूस की सेना नहीं कहा जा सकता, पर यह भी रूसी सेना है. पिछले साल दिसंबर में यूरोपियन यूनियन ने इस समूह पर भी पाबंदियाँ लगाई थीं.
पिछले साल लड़ाई शुरू होने के बाद पश्चिमी मीडिया में खबरें थीं कि रूस ने वागनर ग्रुप के 400लड़ाकों को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की हत्या करने के लिए भेजा है. यूक्रेन इसके पहले से ही आरोप लगाता रहा है कि रूस ने इस प्राइवेट सेना को पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क और दोनेत्स्क इलाकों में भेजा है.
पुतिन ने कहा है कि हालात मुश्किल हैं, लेकिन हम रूस की रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. रूसी सेना और प्रिगोज़िन के बीच इस बात को लेकर विवाद खड़ा हुआ था कि सेना उनके ग्रुप के लड़ाकों को ज़रूरी मात्रा में हथियार और गोला बारूद नहीं पहुंचा पा रही है.
सैनिक कमान को चुनौती
धीरे-धीरे यह विवाद युद्ध की कमान संभाल रहे दो आला अधिकारियों रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू और सेना के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ वैलेरी गेरासिमोव को सीधी चुनौती के रूप में परिवर्तित हो गया. पर्यवेक्षकों के अनुसार इसे तख़्तापलट नहीं कह सकते, क्योंकि अब तक सरकार के हाथों से सत्ता छीनने जैसी कोई कोशिश नहीं हुई, पर यह रूस के आला सैन्य अधिकारियों को उनकी कुर्सी से हटाने की कोशिश जरूर थी, जो सीधे-सीधे राष्ट्रपति पुतिन की सत्ता को चुनौती है.
प्रिगोज़िन की प्राइवेट मिलिटरी कंपनी औपचारिक तौर पर देश की सेना का हिस्सा नहीं है, लेकिन वे दावा करते हैं कि उन्हें देश के भीतर लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है. देश में प्राइवेट आर्मी अवैध हैं, लेकिन वागनर ग्रुप ने 2022 में एक कंपनी के तौर पर पंजीकरण कराया. सेंट पीटर्सबर्ग में इसने अपना मुख्यालय बनाया. यह ग्रुप रूसी शहरों में होर्डिंगों पर नियुक्तियों की सूचना देता है. मीडिया में उसे देशभक्त संगठन माना जाता है.
प्रिगोज़िन ने कहा है, हम 50हज़ार हैं, लेकिन जो कोई भी जो हमारे साथ आना चाहता है, उसका स्वागत है. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में लड़ रहे रूसी सैनिकों के साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं है, बल्कि उनकी लड़ाई उन ‘जोकरों’ से है जो उनका नेतृत्व कर रहे हैं.
कट्टर राष्ट्रवादी
प्रिगोज़िन रूसी राष्ट्रपति के करीबी माने जाते हैं. कहा जाता है कि उनका उभार पुतिन की सत्ता के साथ ही हुआ है. वे पहले धनी व्यापारी हुआ करते थे, बाद में वे इस प्राइवेट आर्मी के प्रमुख बने. राष्ट्रभक्ति से भरी उनकी आत्यंतिक बातों के कारण उन्हें काफी जन-समर्थन हासिल है.
प्रिगोज़िन ने फौजी अफसरों पर हथियारों की सप्लाई में कमी करने का आरोप लगाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो पोस्ट किए, जिनमें रूसी सेना की कमियों और नाकामियों के बारे में विस्तृत जानकारी थी.
उन्होंने सीधे तौर पर पुतिन पर कोई आरोप नहीं लगाया, पर कई बार उन्होंने ‘हैप्पी ग्रैंडफादर’ का ज़िक्र किया है. पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह पुतिन की ही तरफ इशारा है. पिछले महीने उन्होंने सवाल किया था कि अगर यह पता चल जाए कि ‘हैप्पी ग्रैंडफादर’ पूरी तरह से बेवकूफ़ हैं तो, रूस किस तरह युद्ध जीतेगा? इसके बाद 23 जून को उन्होंने एक लंबा वीडियो जारी कर रूसी नागरिकों से कहा कि इस युद्ध की पूरी कहानी ही झूठी है.
बगावत की खबरों के बाद पुतिन ने टेलीविज़न पर पांच मिनट का एक संदेश जारी किया. जिसमें पुतिन ने इसे देश को धोखा बताया और कहा कि देश के भीतर किसी भी सूरत में गृहयुद्ध जैसी स्थिति नहीं बनेगी.
( लेखक दैनिक हिन्दुस्तान के संपादक रहे हैं )
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