कविता शर्मा
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, जो विकास की राह में रुकावट बन रहे हैं. राजस्थान के बीकानेर जिले के लूणकरणसर ब्लॉक स्थित राजपुरा हुडान गांव, जहां के निवासी वर्षों से बिजली और पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं, इस बात का उदाहरण है.
इस गांव में बिजली की किल्लत ने न सिर्फ किसानों की कृषि गतिविधियों को प्रभावित किया है, बल्कि यहां की शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र जीवन की गुणवत्ता को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है.
कृषि पर बिजली संकट का असर
राजपुरा हुडान गांव के 55 वर्षीय किसान आत्माराम, जो कृषि और पशुपालन के माध्यम से अपना जीवन यापन करते हैं, बताते हैं, "हमारे जीवन का एकमात्र आधार कृषि है, लेकिन बिजली की अनियमित आपूर्ति ने हमारी मेहनत पर पानी फेर दिया है.
खेतों की सिंचाई के लिए मोटरों का उपयोग करते हैं, लेकिन जब बिजली नहीं मिलती, तो फसलें सूख जाती हैं. इससे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है."बिजली की कमी के कारण मवेशियों को पानी पिलाने में भी कठिनाइयां आती हैं, जिससे पशुपालन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. आत्माराम का कहना है कि "अगर बिजली नियमित रूप से मिले, तो हमारी मेहनत सफल हो सकती है."
शिक्षा और स्वास्थ्य पर बिजली संकट का असर
बिजली की समस्या सिर्फ कृषि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. डिजिटल शिक्षा के इस युग में जहां बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठा सकते हैं, वहीं इस गांव में बिजली की कमी इस अवसर को भी सीमित कर रही है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तीजा बाई ने बताया, "गर्मी के दिनों में बिजली की समस्या के कारण बच्चों की पढ़ाई में बाधा आती है. वे केंद्र में आना नहीं चाहते हैं। अगर बिजली की नियमित आपूर्ति हो, तो बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है."
वहीं, गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी बिजली की कमी के कारण गंभीर बनी हुई है. निर्मला सारस्वत, जो स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं, कहती हैं, "गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की समस्या और बढ़ेगी। यहां लगे वाटर प्यूरीफायर की समस्या सबसे बड़ी है, जो बिजली नहीं होने के कारण काम नहीं करता."
पलायन की ओर मजबूर लोग
बिजली और पानी की समस्या ने ग्रामीणों को अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. रोजगार के अवसरों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. 45 वर्षीय खेता देवी कहती हैं, "हमने कई बार इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
जब तक बिजली और पानी की समस्या का समाधान नहीं होगा, लोग यहां नहीं रह पाएंगे." 28 वर्षीय हेमलता, जो एक गृहणी हैं, कहती हैं, "बिजली नहीं होने से घर का काम बढ़ जाता है. पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है, और अगर मोटर पंप है, तो उसे चलाने के लिए बिजली जरूरी है."
विकास की कुंजी: सौर ऊर्जा
राजपुरा हुडान गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों में बिजली और पानी की समस्या केवल एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि विकास की राह में एक बड़ी रुकावट है. हालांकि, इस संकट से निपटने के लिए सौर ऊर्जा एक संभावित समाधान हो सकता है.
राजस्थान के कई दूरदराज के गांवों में सौर ऊर्जा प्रणालियों के माध्यम से बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है. यदि राजपुरा हुडान जैसे गांवों में भी सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाए, तो बिजली की कमी को काफी हद तक हल किया जा सकता है.
सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. इससे न सिर्फ खेती में सुधार होगा, बल्कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सकारात्मक बदलाव आएगा.
गांव में उजियारे की उम्मीद
बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं ग्रामीण जीवन के विकास की नींव होती हैं. यदि इनका उचित प्रबंध किया जाए, तो गांवों का समग्र विकास संभव हो सकता है. राजपुरा हुडान गांव में यदि बिजली और पानी की समस्या का समाधान किया जाए, तो न केवल कृषि और शिक्षा में सुधार होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहतर होंगी, जिससे पलायन की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा.
गांव के अंधेरे को दूर करने और उजियारे की आस को पूरा करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों का उपयोग इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, जो गांव में विकास की लौ जलाए और हर घर में रोशनी फैलाए.