खलील अहमद नैनी तलवाला
अब नौबत यह आ गई है कि क्रिकेट प्रशंसक भी कहने लगे हैं कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में एक बड़ी सर्जरी की जरूरत है. मुझे आयरलैंड और इंग्लैंड के हालिया दौरे से एहसास हुआ कि शादाब खान के नेतृत्व में एक समूह बाबर आजम के दोबारा कप्तान बनने से खुश और संतुष्ट नहीं था .
इस समूह के खिलाड़ी या तो निराश थे या जानबूझकर अच्छा नहीं खेलते थे. यह भी एक मनोवैज्ञानिक समस्या है कि पूर्व चेयरमैन ने शाहीन अफरीदी पर भरोसा किया. उन्हें कप्तान बनाया, लेकिन जब मौजूदा चेयरमैन बाबर आजम के प्रदर्शन से प्रभावित हुए और उन्हें पसंद किया, तो उनकी बात दोबारा सुनी गई और उन्हें वनडे और टी-20 ओवर का मौका दिया गया.
यह स्वाभाविक है कि जिस खिलाड़ी को आप आत्मविश्वास के साथ लाते हैं और फिर उस पर अविश्वास दिखाते हैं वह निश्चित रूप से निराश होगा और शाहीन अफरीदी के साथ उदास महसूस करेगा.
हालांकि उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए कहा कि बाबर आजम का समर्थन करेंगे. कहना कुछ और है और करना कुछ और है. पिछले 2 दशकों में पाकिस्तान ही ऐसी टीम है जिसकी 'उपलब्धियां' गिनाई जाएं तो कई ऐसे पल आएंगे जो लाखों दिल तोड़ देंगे. लेकिन हाल ही में भारत के खिलाफ मिली हार इन सभी पर भारी है.
7 महीने पहले अफगानिस्तान के खिलाफ हार के रूप में सामने आई निराशा पर यह निश्चित रूप से भारी है कि पाकिस्तानी टीम के पास इस समय दुनिया का सबसे सफल बल्लेबाज है, जिसके पास प्रतिभाशाली मध्यक्रम उपलब्ध है और जिसकी तेज गेंदबाजी अच्छी है, दुनिया भर में चर्चा है कि जिस टीम का टेस्ट क्रिकेट में 70 साल से ज्यादा का इतिहास है, उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरे अभी 8 दिन भी नहीं हुए, वह इस टीम से कैसे हार गई ?
पिछले साल आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप में भी पाकिस्तानी टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. इसके बाद पीसीबी और पाकिस्तानी टीम की कप्तानी में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ. बाबर को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी से इस्तीफा देना पड़ा.
टी20 में शाहीन कप्तान बने . टेस्ट क्रिकेट में शान मसूद को टीम का कप्तान बनाया गया. फिर जब जका अशरफ की जगह मोहसिन नकवी पीसीबी चीफ बने तो कप्तान फिर बदल दिए गए. बाबर को फिर से टी20 की कप्तानी सौंपी गई और अब जिस तरह से टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान टीम का प्रदर्शन रहा है, ऐसे में अगर बाबर से एक बार फिर कप्तानी छीन ली जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी खिलाड़ी पीएसएल में फंस गए हैं, जहां उनका अहंकार और साम्राज्य चलता है. वास्तविक प्रतियोगिता में उनका कोई प्रदर्शन नहीं है. अगले साल पाकिस्तान को क्वालिफाई करने के लिए खेलना होगा.
चयन समिति से लेकर टीम तक का कोई प्लान नजर नहीं आ रहा है. कई बार उनका खेल देखकर ऐसा लगता है कि वे जीत रहे हैं. जब ऐसा लगता है कि वे हारने वाले हैं, तब भी वे हारते हैं.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अधिकारियों को जायजा लेने और खुद से पूछने की जरूरत है कि ऐसा कैसे हुआ कि आखिरी विश्व कप फाइनलिस्ट टीम इस मुकाम तक पहुंच गई. खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता और प्रांतीय सूचना सलाहकार बैरिस्टर मोहम्मद अली सैफ ने राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के निराशाजनक प्रदर्शन पर पीसीबी के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के तत्काल इस्तीफे की मांग की है.
पूर्व भारतीय कप्तान श्रीकांत ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि बाबर आजम को टी20 क्रिकेट खेलना चाहिए. बाबर आजम ने हाल ही में टी20 अंतरराष्ट्रीय में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में भारत के विराट कोहली को पीछे छोड़ दिया.
श्रीकांत ने बाबर की अपेक्षाकृत कम स्ट्राइक रेट पर भी सवाल उठाया. वहीं वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि अगर बाबर आजम कप्तान नहीं होंगे तो मेरे हिसाब से वह टी20 टीम में नहीं होंगे.
जगह मायने नहीं रखती. वे विकेट पर कितना समय लेते हैं या उनका स्ट्राइक रेट, टीम के प्रदर्शन ने मुख्य कोच गैरी क्रिश्चियन को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है. कोच ने आयरलैंड के खिलाफ मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों से कहा कि उनके पास आधुनिक क्रिकेट का कौशल नहीं है.
कोई नहीं जानता कि कब कौन सा शॉट खेलना है. जब से मैं शामिल हुआ हूं तब से मैंने टीम को एकजुट नहीं देखा है, न ही ऐसी एकता देखी है. न तो मैदान पर और न ही ड्रेसिंग रूम में. एक कोच के तौर पर मैंने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी.
उन्होंने खिलाड़ियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर खिलाड़ी एक टीम नहीं बनेंगे और अपनी फिटनेस और कौशल पर ध्यान नहीं देंगे तो वे टीम का हिस्सा नहीं होंगे. दूसरी ओर, बाबर आजम कप्तानी छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
उन्होंने गेंद पीसीबी के पाले में डाल दी है. आयरलैंड मैच के बाद बाबर आजम ने कहा कि अगर मुझे कप्तानी छोड़नी पड़ी तो मैं फैसला करूंगा, लेकिन मैं जो भी करूंगा, बिना डरे सबके सामने करूंगा. नेतृत्व पीसीबी द्वारा दिया गया है.
अगर बोर्ड चेयरमैन को लगता है कि टीम में सर्जरी की जरूरत है तो वह उनसे बात करेंगे. जिस टीम में 7 चयनकर्ता हों और कोच भी विदेशी हो अगर वे हार जाएं तो ऐसी टीम का क्या फायदा. मुझे लगता है कि बोर्ड को बदलने की जरूरत है.'
पाकिस्तान के अखबार ' जंग' से साभार