जोशो-जुनून और उम्मीदें लेकर आया 2024

Story by  प्रमोद जोशी | Published by  [email protected] | Date 02-01-2024
2024 brought enthusiasm, passion and hopes
2024 brought enthusiasm, passion and hopes

 

permodप्रमोद जोशी

2024 का साल देश के राजनीतिक, राजनयिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और खेल के मैदान से कुछ बड़ी खबरों या दूसरे शब्दों में सफलताओं की उम्मीदें लेकर आ रहा है. साल की शुरुआत जिस माहौल में हो रही है, उससे लगता है कि यह साल जोशो-जुनून से भरा होगा.  

राजनीतिक दृष्टि से बहुत सी बातें इस बात पर निर्भर करेंगी कि इस साल होने वाले चुनाव में किसकी सरकार जीतकर आती है. अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के साथ भारतीय जनता पार्टी अपने विजय-रथ को तार्किक परिणति पर पहुँचाना चाहती है.
 
नरेंद्र मोदी लगातार तीसरा चुनाव जीतकर जवाहर लाल नेहरू के कीर्तिमान की बराबरी की ओर बढ़ रहे हैं. आर्थिक मोर्चे पर समय उनका साथ दे रहा है. देखना होगा कि चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रदर्शन कैसा रहता है. 
 
भारत के ही नहीं वैश्विक लोकतंत्र के लिए 2024 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. 60 से ऊपर देशों में इस साल चुनाव होंगे. भारत के 2019 के चुनाव में सोशल मीडिया की जबर्दस्त भूमिका थी. अब आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस इन चुनावों को किस प्रकार प्रभावित करेगी, यह भी देखने को मिलेगा.
 
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तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

नरेंद्र मोदी घोषणा कर चुके हैं कि मेरे कार्यकाल में ही भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा. उन्हें बड़ा जनादेश मिला, तो संभव है कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर सरकार कुछ बड़े फैसले भी करे.  
सरकार किसी की भी बने, एक बड़ा काम संसदीय सीटों के परिसीमन का है. 2002 में सरकार ने इसे 25 साल के लिए टाल दिया था. अब नई सरकार के सामने दो बड़े काम होंगे. पहले जनगणना और फिर परिसीमन, जिसके साथ जुड़ा है महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण. जनगणना का काम फिलहाल 30 जून तक के लिए रोक दिया गया है. 
 
खेती, भूमि, श्रम, उर्वरकों और बिजली पर सब्सिडी जैसे बहुत से ऐसे मसलों में सुधार से जुड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं. कुछ सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण भी हो सकता है, जिनका संकेत वित्तमंत्री दे चुकी हैं. 
 
इस साल पाकिस्तान और बांग्लादेश के चुनावों के परिणाम भी हमारी विदेश-नीति को प्रभावित करेंगे. पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार बनी, तो उनके साथ बातचीत की शुरुआत भी संभव है. कम से कम उच्चायुक्तों की नियुक्ति के साथ इसकी शुरुआत हो सकती है. ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के साथ फ्री-ट्रेड की बात महत्वपूर्ण मोड़ पर है. वह भी पूरा हो सकता है.  
 
नए साल के पहले महीने में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों देश के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनकर आ रहे हैं. इस मौके पर संभव है कि दोनों देशों के रिश्तों में किसी नए कदम की घोषणा हो. भारत और फ्रांस के बीच लड़ाकू विमानों के सैफ्रान इंजनों के निर्माण को लेकर बातचीत चल रही है. 
 
मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) की निविदा में फ्रांस का दासो राफेल भी शामिल है. चूंकि भारत पहले से 36 राफेल अपनी वायुसेना के लिए खरीद चुका है और नौसेना के लिए 26 राफेल-एम खरीदने का फैसला कर चुका है, इसलिए एमआरएफए के तहत 114 राफेल का डील होने की संभावना भी है. 
 
जनवरी 2024 में भारत में क्वाड देशों का शिखर सम्मेलन होने वाला था, जो बाइडेन का दौरा रद्द होने के बाद स्थगित हो गया है. नई सरकार बनने के बाद साल के अंत में या फिर अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने के बाद वह सम्मेलन संभव है. 
 
क्रमबद्धता 

कैलेंडर की तारीखें बदल जाने मात्र से नया साल अपने से पिछले साल से अलग नहीं हो जाता, बल्कि समय की निरंतरता में वह एक नया पड़ाव होता है. इस लिहाज से पिछले समय की घटनाएं आने वाले समय को परिभाषित करती हैं. 
 
2023 का वर्ष एकदिनी क्रिकेट के विश्वकप, एशिया खेलों में एक सौ पदकों के कीर्तिमान, चंद्रयान जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के पुनरोदय का था, वहीं मणिपुर की हिंसा, और बालेश्वर ट्रेन दुर्घटना जैसी हृदय विदारक घटनाओं का सामना भी देश ने किया. 
 
 2024 का साल भी ऐसी ‘ठंडी-गरम’ प्रवृत्तियों से घिरा रहेगा. फिर भी पिछले तीन वर्षों की तुलना में यह साल बेहतर उपलब्धियों के साथ शुरू हो रहा है. दुनिया के नए आर्थिक पावर हाउस के रूप में भारत का उदय हो रहा है. 
 
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चुनाव की हवाएं

यह लोकसभा-चुनाव का वर्ष है. लोकसभा के अलावा 2024 में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, ओडिशा, सिक्किम, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभाओं के चुनाव भी होंगे. एक तरह से देश में पूरे साल चुनाव की हवाएं बहेंगी. 
 
आमतौर पर हर साल चार-पाँच राज्यों के चुनाव होते हैं, पर इस साल लोकसभा चुनावों के अलावा इतनी बड़ी संख्या में विधानसभाओं के चुनाव होना महत्वपूर्ण है. देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार इन सभी चुनावों को एकसाथ लाकर आंशिक रूप से ‘एक देश-एक चुनाव’ के सिद्धांत की ओर बढ़ने का प्रयास करेगी या अलग-अलग समय पर चुनाव कराए जाएंगे. 
 
इतना जरूर लगता है कि लोकसभा चुनाव में यदि पार्टी को उम्मीद के मुताबिक रिकॉर्ड तोड़ सफलता मिली, तो संभव है कि सरकार ‘एक देश-एक चुनाव’ के सिद्धांत को लागू भी कर दे. ऐसी ही एक संभावना समान नागरिक संहिता को लेकर भी है.
 
बड़े फैसले

जिस तरह 2019 का चुनाव जीतने के बाद सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 से जुड़ा बड़ा फैसला कर लिया, अब शायद उसी तर्ज पर कुछ दूसरे बड़े फैसले भी हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति से कहा है कि हमें इसकी तैयारी के लिए क साल का समय चाहिए.  
 
हाल में अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर 30 सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव भी होंगे. राज्य की विधानसभा नवंबर 2018 में भंग हुई थी. संभव है कि चुनाव के साथ राज्य का उसका दर्जा भी बहाल हो जाए. जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने और राज्य का दर्जा बहाल होने से वैश्विक-राजनीति में भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी. 
 
17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को पूरा होगा. उसके पहले चुनाव और मतगणना का कार्य पूरा हो जाएगा, ताकि 18वीं लोकसभा का गठन किया जा सके. मोटा अनुमान है कि अप्रैल-मई में चुनाव होंगे. यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है. 
 
जागरूक मतदाता

भारत के निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस 25 जनवरी, 1950 को मनाने के लिए 2011 से प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है. आगामी 25 जनवरी को देश 14वाँ मतदाता दिवस मनाएगा. 
 
1951 में हुए पहले चुनाव में भारत में मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ थी, जो अब 95 करोड़ से ऊपर है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 89 करोड़ 60 लाख, 76 हजार 899 पात्र मतदाता थे. मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जनवरी के महीने में ही आगामी चुनाव में मतदान के लिए अधिकृत मतदाताओं की सही संख्या सामने आ जाएगी.
 
तभी पता लगेगा कि कितने नए मतदाता आगामी चुनाव में भाग लेंगे. युवा मतदाताओं की बढ़ती संख्या भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता के प्रति नई आस्था पैदा करती है. चुनौती केवल नए मतदाताओं को उनके अधिकार के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने की ही नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के प्रशिक्षण की भी है.  मई 2023 तक देश में छह राष्ट्रीय पार्टियां, 58 राज्य पार्टियां, और 2,597 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं. 
 
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वैश्विक लोकतंत्र

भारत के ही नहीं वैश्विक लोकतंत्र के लिए 2024 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, बेल्जियम, यूरोपियन संसद, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, ताइवान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और भूटान तक में इस साल चुनाव होने वाले हैं. 
 
मोटा अनुमान है कि कम से कम 78 देशों में 2024 के अंत तक चुनाव होंगे, जिनमें दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी हिस्सा लेगी. दुनियाभर के विशेषज्ञ इसे ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शंस ईयर’ बता रहे हैं. एक ज़माने तक दुनिया की निगाहें अमेरिकी चुनाव पर ही रहती थीं, पर अब दुनिया भारतीय चुनाव की व्यापकता और सफलता को लेकर आश्चर्यचकित है.
 
सुदूर और दुरूह इलाकों तक जाकर मतदाताओं की राय को ईवीएम में दर्ज कराने वाले लोकतांत्रिक सेनानी आशा जगाते हैं. 
 
आर्थिक मोर्चा

जनवरी के अंतिम सप्ताह में संसद का बजट सत्र होगा, पर इस साल चुनाव का वर्ष होने के कारण सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. पूरा बजट नई सरकार बनने के बाद जुलाई में पेश होने की संभावना है. अलबत्ता 2019 में ऐसी ही परिस्थिति में पेश किए गए बजट में मोदी सरकार ने कुछ बड़ी घोषणाएं की थीं. संभव है कि इसबार भी ऐसा ही हो.  
 
गुजरते साल के चलते-चलाते आर्थिक मोर्चे से अच्छी खबरें मिली हैं, जो बता रही हैं कि भारतीय जीडीपी अब 7 से 7.5 प्रतिशत सालाना की दर से संवृद्धि की दिशा में बढ़ रही है. एक्सप्रेसवे और हाईवे निर्माण देश की दशा एवं दिशा बदल रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है, जो 2024 में  अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत दे रहा है.
 
जीडीपी में बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ा हुआ है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 15 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 20 माह के उच्चतम स्तर 616 अरब डॉलर हो गया है. 25 मार्च, 2022 के बाद का यह उच्चतम स्तर है. 
 
गत 30 नवंबर को जारी जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई-सितंबर की अवधि में शानदार प्रदर्शन के बाद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत तीसरी तिमाही के लिए तैयार है, जिसके आंकड़े जनवरी के अंतिम सप्ताह में प्राप्त होंगे. दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में वार्षिक आधार पर 7.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि पहली तिमाही में यह 7.8 प्रतिशत थी. 
 
अंतरिक्ष अभियान

साल की शुरुआत एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान से हो रही है. एक्सपोसैट (एक्स-रे ध्रुवणमापी उपग्रह) चरम स्थितियों में उज्ज्वल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला समर्पित ध्रुवणमापी मिशन है. 
 
अंतरिक्ष में ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन नक्षत्रों और सक्रिय मंदाकिनियों, पल्सरों वगैरह के उत्सर्जन तंत्र को समझना चुनौतीपूर्ण होता है. भारतीय अंतरिक्ष-विज्ञान इस उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ एक नई दिशा में कदम रख रहा है. 
एक मायने में यह अंतरिक्ष में भारत की तीसरी वेधशाला है.
 
पहली प्रयोगशाला है एस्ट्रोसैट जिसका प्रक्षेपण 2015 में किया गया था. इसका मकसद एक्स-रे, ऑप्टिकल, और यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में एक साथ आकाशीय स्रोतों का अध्ययन करना है. दूसरी वेधशाला है आदित्य-एल1, जिसका उद्देश्य है सूर्य का अध्ययन करना.
 
अब यह तीसरी वेधशाला है, जो भारत की नई उड़ान की घोषणा करेगी. यह वेधशाला अमेरिका की ऐसी ही एक और वेधशाला आईएक्सपीई से भी समन्वय करेगी, जिसका प्रक्षेपण 2021 में किया गया था. 
 
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गगनयान मिशन

अंतरिक्ष के क्षेत्र में 2024 का साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए अहम होगा. उसके कार्यक्रमों में प्रमुख हैं गगनयान मिशन के तहत मानव रहित दो उड़ानें. समानव उड़ान के पहले इन उड़ानों की जरूरत है ताकि असल उड़ान के ऑर्बिट मॉड्यूल की जांच हो सके. 
 
इसरो के तीनों शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम-3, पीएसएलवी और जीएसएलवी के जरिए अलग-अलग मिशन भेजे जाएंगे. इनके अलावा नए स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल (एसएसएलवी) की तीसरी विकास उड़ान भी 2024 में होगी. 
 
इसरो के कार्यक्रमों के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ भी कुछ कार्यक्रम इस साल प्रस्तावित हैं. नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने हाल में बताया कि अमेरिका 2024 के अंत तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को ट्रेनिंग देने और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजने में मदद करेगा.
 
पेरिस ओलिंपिक 

खेलों को सामाजिक विकास के आइने से भी देखा जाता है. ओलिंपिक खेलों के माध्यम से देश अपनी आर्थिक और सामाजिक प्रगति को शोकेस करते हैं. एशिया में केवल जापान, दक्षिण कोरिया और चीन ने ओलिंपिक खेलों को आयोजित किया है और तीनों ने इस मौके का इस्तेमाल अपनी आर्थिक प्रगति को दुनिया के सामने रखने के लिए किया. 
 
खेलों को आर्थिक-सामाजिक विकास का संकेतक मानें तो अभी तक हमारी बहुत सुन्दर तस्वीर नहीं है. दूसरी ओर चीनी तस्वीर दिन-पर-दिन बेहतर होती जा रही है. अलबत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खेलों में दिलचस्पी भी ध्यान खींचती है.
 
हाल में भारत में हुए विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में उनकी उपस्थिति को राजनीतिक रंग दे दिया गया, पर सच यह है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में असाधारण प्रदर्शन करने वाले भारतीय खिलाड़ियों से वे सीधे फोन पर बात करते रहे हैं. 
 
खेलो इंडिया

भारत सरकार का ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम खेल के महत्व को रेखांकित करता है. खेलों का आयोजन आर्थिक प्रगति को शोकेस करता है, और खेलों में भागीदारी सामाजिक दशा को बताती है. खासतौर से स्वास्थ्य और अनुशासन को. श्रेष्ठ राजनीति जागरूक समाज की देन है. खेल बेहतर समाज बनाते हैं. 
 
2024 के जुलाई-अगस्त में होने वाले पेरिस ओलिंपिक में भारतीय खेलों की परीक्षा होगी. तोक्यो में हुए पिछले ओलिंपिक में भारत ने सात पदक हासिल किए, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल के साथ एथलेटिक्स में पदकों का सूखा खत्म किया. नीरज भी खेल मंत्रालय के ‘टार्गेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम’ का लाभार्थी है. 
 
पिछले साल चीन के हैंगज़ाऊ में हुए एशिया खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने सौ से ज्यादा पदक जीतकर उम्मीद बँधाई है कि वे पेरिस में बेहतर प्रदर्शन करेंगे. भारतीय खिलाड़ी हॉकी, बैडमिंटन, ट्रैक एंड फील्ड, शूटिंग, तीरंदाजी, मुक्केबाजी, और कुश्ती वगैरह में पदक लाने में समर्थ हैं.  
 
( लेखक दैनिक हिन्दुस्तान के संपादक रहे हैं )