आतिर खान
भारत को ‘विश्व नेता’ बनने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने पहले ही साबित कर दिया है कि वह वास्तव में एक वैश्विक स्तर का वैचारिक नेता बन गया है.
ऐसी दुनिया में, जहां राष्ट्रों के बीच सत्ता के लिए संघर्ष और शक्ति का उपयोग होता है, प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ (वसुधैव कुटुम्बकम) के प्राचीन भारतीय दर्शन की याद दिलाई है. जिस अवधारणा को भारत ने सदैव प्रचारित किया है.
एक विचार के रूप में यह प्राचीन भारतीय सभ्यता का ज्ञान है, जिससे भारत इस विचार का नेतृत्व करने के लिए अधिक आश्वस्त राष्ट्र बन गया है. यह विश्व की निरंतर बदलती और गतिशील प्रकृति में राष्ट्रों के लिए भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है.
अड़तीस साल पहले, पॉप संगीत के बादशाह माइकल जैक्सन और प्रसिद्ध गायक लियोनेल रिची ने क्विंसी जोन्स के साथ मिलकर एक गीत तैयार किया था, जिसका नाम था - ‘वी आर द वर्ल्ड’, यह अब तक का सबसे अधिक बिकने वाला चैरिटी गीत था... इसके निम्नलिखित बोल थे. ..
एक समय आता है
जब हम एक निश्चित आह्वान पर ध्यान देते हैं
जब दुनिया को एक होकर एकजुट होना होगा
लोग मर रहे हैं
ओह, और अब जीवन में मदद करने का समय आ गया है
सभी को सबसे बड़ा उपहार
यह गीत पूर्वी अफ्रीकी देश इथियोपिया में विनाशकारी अकाल की चैरिटी के लिए तैयार किया गया था. और अफ्रीकी देशों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित किया था.
यह शायद पहली बार था कि दुनिया के प्रमुख कलाकारों की सामूहिक चेतना जागृत हुई और उन्होंने एक विदेशी देश में पड़े अकाल के लिए कुछ सार्वजनिक भलाई करने के बारे में सोचा, लेकिन दुनिया इसका संकेत लेने में विफल रही. कोविड-19 महामारी के दौरान हमने देखा है कि मौजूदा विश्व निकाय आम भलाई के लिए दुनिया को एक साथ लाने में अप्रभावी रहे.
दुख की बात है कि गीत पर वापस लौटते हुए, अमेरिकी पॉप कलाकारों के 1985 के गीत एल्बम के विचार ‘वी आर द वर्ल्ड’ को स्थगित कर दिया गया था. हालाँकि उस समय के विश्व के सबसे लोकप्रिय गायकों द्वारा इसका प्रचार किया गया था, लेकिन इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया.
जी-20 शिखर सम्मेलन में अड़तीस साल बाद भारत ने समावेशिता के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया है. उसने न केवल पैरवी की है, बल्कि अफ्रीकी संघ के लिए जी-20 का सदस्य बनना भी संभव बनाया है.
अफ्रीकी संघ के प्रवेश के साथ जी-20 अब जी-21 बन गया है और 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था वाले 1.4 बिलियन से अधिक लोगों की चिंताओं के प्रति सचेत है. यह इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जहां भरत अग्रणी रहे हैं.
महात्मा गांधी के दृष्टिकोण के तहत एक देश के रूप में भारत अपनी आजादी से पहले ही अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ खड़ा हो गया है. देश एक बार फिर इस अवसर पर खड़ा हुआ है और भारत की जी-20 अध्यक्षता की मदद से अफ्रीकी संघ भी इसमें शामिल हो गया है.
ऐसा होने तक जी-20 में बड़े पैमाने पर उन देशों का वर्चस्व था, जिन्होंने दुनिया को उपनिवेश बनाया था, अब इसमें उन देशों का भी प्रतिनिधित्व है, जो उपनिवेशित रहे थे.
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यदि हम उत्तर-आधुनिक भौतिकवाद की दुनिया के इतिहास पर नजर डालें, तो पश्चिमी देश अपने निहित स्वार्थों में व्यस्त थे. उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे महान विचारों की बुद्धिमत्ता पर अधिक ध्यान नहीं दिया. लेकिन आज दुनिया को यह एहसास हो गया है कि अगर दुनिया में व्याप्त विश्वास की कमी को दूर करना है, तो यही विचार महत्वपूर्ण है.
शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को याद दिलाया कि विश्वास की कमी दुनिया में कोविड-19 महामारी के दौरान पैदा हुई और रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ और बढ़ गई. यह संदेह की भावना तभी दूर हो सकती है, जब दुनिया शांति और सहानुभूति के सामूहिक मूल्यों को अपनाए.
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की पृष्ठभूमि में अमेरिकी दार्शनिक केन वेल्बर का एकात्म सिद्धांत भी प्रासंगिक हो जाता है. केन भारतीय मूल्यों और पूर्व के विचारों से प्रेरित रहे हैं.
उनका कहना है कि मानवता के लिए पहले से ही उपलब्ध ज्ञान और अंतर्दृष्टि का एक सुसंगत तरीके से संश्लेषण बनाने की आवश्यकता है, जो हमारे भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यावहारिक मानचित्र प्रदान कर सके.
उनके कार्यों में विज्ञान और धर्म से लेकर पूर्व-आधुनिक, आधुनिक और उत्तर-आधुनिक दुनिया के दृष्टिकोण से पूर्वी और पश्चिमी दोनों दुनिया का संश्लेषण शामिल है.
केन का मानना है कि कुछ भी सौ प्रतिशत सही या गलत नहीं है, वे केवल अपूर्णता और शिथिलता की डिग्री में भिन्न होते हैं. कोई भी या कुछ भी 100 प्रतिशत अच्छा या बुरा नहीं है, वे अपनी अज्ञानता और वियोग की डिग्री में भिन्न होते हैं. सारा ज्ञान ‘कार्य प्रगति पर’ है.
विकास में छलांग आम तौर पर ‘आगे बढ़ने और शामिल करने’ के तरीके से होती है, न कि जो पहले आया था, उसे मिटाकर. उनका दावा है कि तर्कसंगत विचार ने भावना को खत्म नहीं किया, बल्कि इसे चेतना के एक बड़े विकासात्मक स्तर में शामिल किया.
औद्योगिक समाजों ने कृषि को ख़त्म नहीं किया, बल्कि कृषि को दक्षता और समृद्धि के उच्च स्तर तक पहुँचाया. यदि हम वास्तव में विकसित होने जा रहे हैं, तो हम जो पहले आया था, उसे किसी बड़ी चीज में शामिल और एकीकृत करके ऐसा करते हैं, न कि उसे मिटाकर.
इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को याद दिलाया कि प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए. जीडीपी खुशी का सच्चा संकेतक नहीं हो सकता, समय की मांग मानव-केंद्रित दृष्टिकोण है, जिसके लिए भारत हमेशा खड़ा रहा है.
वस्तुनिष्ठ रूप से राष्ट्रीय हित और सुरक्षा को देखना वह लक्ष्य है, जिसे प्रत्येक देश अन्य देशों पर राष्ट्रीय शक्ति के उपयोग से प्राप्त करने का प्रयास करता है. प्रत्येक देश अपने हितों की रक्षा करना चाहता है.
जी-20 मुख्य रूप से एक आर्थिक शिखर सम्मेलन है, लेकिन ऐसे में जब भारत वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर प्रकाश डालता है, तो यह संपूर्ण विश्व की शांति और समृद्धि के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.