डॉ शुजात अली कादरी
प्रिय कश्मीर और कश्मीरियों,
भले ही मैं आपको भारत की सुदूर मुख्य भूमि से लिख रहा हूँ, लेकिन मेरा विश्वास करें कि यह सीधे मेरे दिल से आ रहा है, जहां आप मेरे प्रियजनों की तरह रहते हैं. हम मुख्य भूमि के लोगों को आपकी खूबसूरत घाटी तक पहुँचने के लिए पहाड़ों की खड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जिसकी सुंदरता धरती पर फिरदौस (स्वर्ग) का एक रूप है. इसकी सुंदरता को मापने के लिए स्तुति के ग्रंथ लिखे गए हैं, फिर भी यह एक कठिन काम है.
मुझे लगता है कि आप लोगों ने सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढ़ाई की है - एक खूनी दुविधा पर निर्णय की शक्ति चुनने का पहाड़, जिसने आपकी कई पीढ़ियों को निगल लिया और आपकी रचनात्मक प्रतिभाओं को बर्बाद कर दिया. यह केवल कश्मीर का नुकसान नहीं था,
यह भारत के लिए एक आपदा थी. घाटी में माताओं की आँखों से बहते आँसू भारत के हृदय स्थल तक पहुँचे. और हर भारतीय जिसका दिल साफ है, वह उनकी पीड़ा में उसी तरह डूबा हुआ है जैसे एक माँ की कराह.
लेकिन समय बदल गया है. लोग आकांक्षाओं के साथ सड़कों पर वापस आ गए हैं, हर गली-मोहल्ले में भीड़ लगा रहे हैं, अपने नेताओं को वोट मांगने के लिए उनके बीच आने पर मजबूर कर रहे हैं. चल रहे चुनावों की कवरेज देखें, लोग चुनावों में जोश के साथ हिस्सा लेते हुए दिखाई देंगे, जो वास्तव में कश्मीरियत की जीवंत भावना को परिभाषित करता है. वे अपने भावी विधायकों की बहादुरी से जांच कर रहे हैं.
वे अपने सर्वसम्मत प्रश्न में स्पष्ट हैं - आप हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को कैसे आकार देंगे? इसका उत्तर स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार मुक्त और जवाबदेह शासन होना चाहिए. ऐसा शासन जो एक कश्मीरी में यह विश्वास पैदा करे कि उसका कश्मीर में, और फिर मुख्य भूमि और दुनिया भर में भविष्य है. एक ऐसा भविष्य जो सीमा के दोनों ओर से भय से मुक्त होगा.
सीमा की बात करें, तो, प्यारे कश्मीरियों, हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू में फिर से आतंकवाद का कहर लौटा है, क्योंकि यहां चुनाव की तैयारी चल रही थी. यह सीमा पार से ही आया है. लेकिन यह अपने बुरे इरादे के साथ उन लोगों के अनुमान से भी पहले खत्म हो जाएगा, जिन्होंने इसे युद्ध में पराजित राष्ट्र के हथियार के रूप में खड़ा किया है.
अगर वे ये दुस्साहस को जारी रखते हैं, तो यह उनके लिए एक और मूर्खतापूर्ण मिशन होगा. प्यारे कश्मीरियों, उनका भविष्य भी सहयोग और एशिया के संयुक्त उत्थान में निहित है. कोई भी राष्ट्र, खासकर गरीबी से ग्रस्त एशिया में, युद्ध छेड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता. यह आत्म-विनाश का नुस्खा है. पाकिस्तान से बेहतर यह कोई नहीं जानता. इसलिए, आइए प्रार्थना करें कि उनके नेतृत्व में बेहतर समझ पैदा हो.
यह देखकर खुशी होती है कि कश्मीर की कहानी वास्तव में निराशा से समृद्धि की ओर बढ़ रही है. लगभग हर मुख्यधारा के मीडिया आउटलेट के रिपोर्टर श्रीनगर में ऐसे लोगों से मिल रहे हैं, जो कहते हैं, ‘‘हमारे पास बेहतर सड़कें हैं, अधिक व्यवसाय फिर से खुल रहे हैं, और सामान्य स्थिति लौटने की भावना है. लोग आजादी से घूम रहे हैं, व्यवसाय बढ़ रहे हैं और शांति का ऐसा अहसास है जो सालों से महसूस नहीं हुआ था.
कभी अशांति का केंद्र रहा श्रीनगर का डाउनटाउन अब उल्लेखनीय रूप से पुनर्जीवित हो रहा है. जामा मस्जिद के आसपास का इलाका, जो कभी सुनसान था, अब जीवन से भरा हुआ है. लाल चौक में भी उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है.’’
लाल चौक वास्तव में एक ऐसी तस्वीर पेश करता है, जिसमें श्रीनगर दुनिया के अधिकांश प्रमुख शहरों से प्रतिस्पर्धा करता है और उन्हें पीछे छोड़ देता है. यह स्थल बहुत अनूठा है. यह उन यादों को संजोता है, जो कश्मीर ने वर्षों से देखी हैं - वादे पूरे किए और टूटे. फिर भी, यह उम्मीदों की एक मीनार है जो अपने शीर्ष पर कश्मीर की दृढ़ता का एक अदृश्य झंडा फहराती है, जिसने सभी विनाशक लोगों को चुनौती दी है.
पर्यटन - घाटी में बदलाव का सबसे उल्लेखनीय संकेतक है. यह डेटा कश्मीर में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि दर्शाता है. लाल चौक, गुलमर्ग, सोन मार्ग और डल झील कुछ पसंदीदा गंतव्य हैं. ये आगंतुक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और विकास में योगदान करते हैं. आप कश्मीरी सबसे अच्छी तरह जानते हैं कि पर्यटन आपकी अर्थव्यवस्था का आधार और जीवनदायिनी रहा है. यह जितना समृद्ध होगा, उतना ही आप समृद्ध होंगे.
भारत के मुख्य भाग में कश्मीर के बारे में एक और सबसे उल्लेखनीय परिवर्तन यह है कि युवा कश्मीरियों ने शिक्षा, खेल और नवाचारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं. लड़कियाँ लड़कों से आगे निकल रही हैं, जैसा कि हम भारत के बाकी हिस्सों में देखते हैं.
इसलिए, प्यारे कश्मीरियों, आज आप एक नई दहलीज पर हैं. आपको यहाँ से नई सुबह की शुरुआत करनी है और ऐसे दिन में जागना है, जो आपको, अपना अतीत, अतीत में ही छोड़ने में मदद करेगा. इसका मतलब यह नहीं है कि दुख पूरी तरह से गायब हो जाएगा और घाव अचानक ठीक हो जाएंगे.
वास्तव में, ऐसा नहीं होना चाहिए. लेकिन, जैसा कि रूमी ने कहा, ‘‘उन्हें प्रकाश के प्रवेश के लिए रास्ता बनाना चाहिए. घायल आत्माएँ पूरी दुनिया को रोशन करती हैं.’’ इस ज्ञान को आप कश्मीरियों से बेहतर कौन जान सकता है? अपने कश्मीर को भारत का ‘लाइट हाउस’ बनने दें!
(लेखक मुस्लिम छात्र संगठन के अध्यक्ष हैं.)