मलिक असगर हाशमी
करोड़ो रूपये की जमीन के हेरा-फेरी के आरोप में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान गृहयुद्ध की राह पर है. कई इलाके में इंटनेट और मोबाइल सेवा बंद होने के बावजूद मंगलवार शाम से लेकर अब तक जिस तरह की खबरें पड़ोसी देश से आ रही हैं, वह चिंता बढ़ाने वाली हैं. आर्थिक रूप से गर्त में जा चुके पाकिस्तान की अवाम को जब राहत देने के प्रयास का समय है तो पूरी सरकार और सियासत सड़कों पर है.
पाकिस्तान के हर कोने से हिंसा और फायरिंग की खबरें आ रही हैं.प्रदर्शनकारी कल खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में घुस गए. गिरफ्तारी के तुरंत बाद बढ़ते बवाल के मददेनजरइस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं.
इस्लामाबाद पुलिस ने कहा कि इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं के हिंसक रवैये के चलते पांच पुलिस अधिकारी घायल हो गए और 43 पीटीआई प्रदर्शनकारियों को कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
पीटीआई नेता अली जैदी को कराची में कालापुल से गिरफ्तार किया गया. इसी तरह बवाल काट रहे 23 पीटीआई प्रदर्शनकारी कराची के शाहरा फैसल में गिरफ्तार किए गए. लाहौर के लोग अभी भी बड़ी संख्या में इमरान की गिरफ्तारी के विरोध में सड़कांे पर हैं.
रातभर उनकी ओर से आजादी से लाहौर कैंट की ओर बढ़ने की खबरें आती रहीं. पीटीआई ने बुधवार को इस्लामाबाद के डी चैक पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. मिल रही खबरें में कहा गया है कि क्वेटा में पीटीआई समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प से हालात बिगड़ गए. गोलियों की वजह से कम से कम 4 लोगों की मौत और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए.
हिंसक भीड़ ने आईएसआई के दफ्तर पर हमला किया. बढ़ती हिंसा के चलते पाकिस्तान में ट्विटर साहित दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म ब्लॉक किए जाने के संकेत मिले हैं. सोशल मीडिया पर आगजनी, फायरिंग और हिंसा को लेकर दर्जनों वीडियो मौजूद हैं.जुस्तजू ट्विटर हैंडल से बन्नू कैंट एरिया का एक वीडियो शेयर किया गया है,जो धूं-धूंकर जल रहा है.
पाकिस्तान के टीवी डिबेटों से पता चलता है कि फिलहाल पड़ोसी देश में हिंसा रूकाने वाली नहीं. यही नहीं यह हिंसा सेना बनाम जनता का रूप ले चुकी है. पाकिस्तान में सेना को सरकार से भी ज्यादा अहमित दी जाती है. पाकिस्तानी जनता का अपनी सेना के प्रति विश्वास बिल्कुल ‘खुदाई खिदमतगार’ जैसा है.
मगर जब से इमरान खान सत्ता से बाहर हुए हैं अपने जज्बाती नारों, बयानों, इस्लाम और तत्कालीन सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को भ्रष्टाचारी बताकर कुछ ऐसा माहौल बनाया है कि अब जनता सेना पर हमला करने से नहीं चूकती. बहुत हद तक सेना के प्रति विश्वास घटा है.
कई पार्टियों की बैसाखी के सहारे चलने वाली मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार भी इस टकराव को रोक पाने में असमर्थ है. हद तो यह है कि मौजूदा सरकार की नीतियां भी कुछ ऐसी हैं कि पाकिस्तान पटरी पर आने की बजाए बेपटरी हो गया है.
महंगाई और बेरोजगारी आसमान छू रही है. विदेशी मुद्रा भंडार आखिरी सांसे ले रहा है. ऐसे में कुछ बेहतर रणनीति बनाकर पाकिस्तान को पटरी पर लाने की बजाए सियासी दंगल की मदद से इस मुल्क को और अंधे कुएं में धकेल दिया गया है.
इसके हालिए दो बेहतर उदाहरण हैं. एक तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का हालिया भारत दौरा और दूसरा इमरान खान की गिरफ्तारी. बिलावल चार दिन पहले विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत आए थे.
बारह वर्षों बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आया था. पिछले चार-छह साल से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद खराब दौर में हैं. इस बैठक में अपने बयानों से रिश्ते में पड़ी बर्फ को पिघलाने की बजाए एक टीवी इंटरव्यू और बाद में पाकिस्तान पहुंचकर भारत के खिलाफ ऐसे वाहियात बयान दे दिए कि उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच फिल्हाल रिश्ते में सुधरा की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
अब नया मामला इमरान खान की गिरफ्तारी का है. इससे पहले कई कोशिशें इमरान की गिरफ्तारी की हो चुकी है, जिसे अपने हिंसक रवैये से इमरान के समर्थकों ने नाकाम कर दिया था. यह सब जानते-बूझते इमरान को गिरफ्तारी से पहले अवाम के बीच उनकी ‘अस्लियत’ उजागर कर विरोध के सुर धीमा करने की बजाए इसे इस कदर हवा दे दी गई है कि मामला हाथ से निकल चुका है.
पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह इमरान की गिरफ्तारी को कानून के तहत और मामूली बात बता रहे हैं. मगर इमरान समर्थक कहीं ज्यादा भड़कते हुए हैं. इसमें दो राय नहीं कि इमरा खान ने अपने क्रिकेटर, ईमानदार और कट्टर इस्लामिक छवि के चलते पाकिस्तान की जनता के बहुत बड़े हिस्से को अपना शैदाई बना लिया है. यही वजह है कि उनकी हर मार्च पर लाखों कार्यकर्ता सड़कों पर आ जाते हैं. इस बार भी यही हो रहा है.
हालांकि मौजूदा विवाद इमरान खान की छवि को बहुत हद तक नुकसान पहुंचा सकती है. बशर्ते की पाकिस्तान की सरकार इस मामले को सही ढंग से जनता के सामने में रखे. मौजूदा विवाद में बताया गया है कि इमरान खान ने अल-कादिर यूनिवर्सिटी मामले में बिजनेस टाइकून से सैकड़ों कनाल जमीन का लाभ उठाया है.
आरोप है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 26 दिसंबर 2019 को कैबिनेट के फैसले के कुछ हफ्तों के भीतर रियल एस्टेट डेवलपर के संबंध में अल कादिर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए एक ट्रस्ट पंजीकृत किया था, जो बाद में विश्वविद्यालय के लिए दाता बन गया.
‘जंग’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 दिसंबर, 2019 को ट्रस्ट के पंजीकरण से तीन सप्ताह पहले, इमरान खान की कैबिनेट ने राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (एनसीए) के खाते पर रोक लगाने के आदेश (एएफओ) और बिजनेस टाइकून और परिवार के मामले में पाकिस्तान को धन की वापसी का मामला उठाया.
इंग्लैंड की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी ने रियल एस्टेट डेवलपर के सीईओ के खिलाफ जांच बंद कर दी और विदेश में बिजनेस टाइकून के खाते से लगभग 140 मिलियन पाउंड पाकिस्तान को वापस कर दिए गए. बाद में लगभग 140 मिलियन पाउंड पाकिस्तान को वापस कर दिए गए, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह राशि नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के खाते में चली गई.
उन्होंने सवाल किया कि क्या पैसा सरकारी खाते में स्थानांतरित किया जाना था या सुप्रीम कोर्ट के खाते में जमा किया जाना था, क्योंकि व्यवसायी टाइकून भी रियल एस्टेट डेवलपर कराची मामले में जुर्माने के रूप में सुप्रीम कोर्ट को 460 अरब रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हुए थे.
रियल एस्टेट डेवलपर ने झेलम में 460 कनाल जमीन खरीदी और उप-पंजीयक कार्यालय, इस्लामाबाद में ट्रस्ट डीड के पंजीकरण के बाद महीने में जुल्फी बुखारी के नाम पर जमीन स्थानांतरित कर दी. स्टांप ड्यूटी के लिहाज से उस वक्त जमीन की कीमत 24.3 करोड़ रुपये तय की गई थी.
ट्रस्ट बनने के बाद जुल्फी बुखारी ने 22 जनवरी 2021 को यह जमीन ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर कर दी. यह 458 कनाल भूमि जुल्फिकार अब्बास बुखारी के नाम से अल-कादर संरक्षक के नाम पर मौजा बकराला, तहसील सोहावा, जिला झेलम में जुल्फिकार अब्बास बुखारी के नाम से स्थित है.
24 मार्च 2021 को इमरान खान के आवास पर इमरान की पत्नी बुशरा बीबी और रियल एस्टेट डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक समझौते के माध्यम से भूमि के इस दान के साथ अन्य दान जैसे कि बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट डेवलपर के अन्य प्रावधानों को स्वीकार किया गया था, जब इमरान खान प्रधानमंत्री के आवास में थे.
रियल एस्टेट डेवलपर ने भी समझौते में पुष्टि की कि वह प्रस्तावित अल-कादिर विश्वविद्यालय की स्थापना और चलाने की सभी लागतों को वहन करेगा और वह अल-कादिर परियोजना को स्थापित करने और चलाने के लिए ट्रस्ट को धन प्रदान करेगा.
जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक अल कादिर ट्रस्ट को 180 मिलियन रुपये का दान मिला. जुलाई 2020 से जून 2021 तक ट्रस्ट की कुल आय भी लाखों में थी जबकि कर्मचारियों के वेतन सहित कुल खर्च लगभग 85.8 लाख रुपये ही था.
एनएबी ने कथित तौर पर इमरान खान, बुशरा के खिलाफ पीटीआई सरकार की ओर से 50 अरब रुपये के लाभ के बदले अल-कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम पर एक रियल एस्टेट डेवलपर से अल-कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम से सैकड़ों कनाल जमीन का अधिग्रहण का मुकदमा दर्ज किया है.
उन्हें पहले पूछताछ के लिए बुलाया गया था. बाद में जांच में शामल कर लिया गया. मंगलवार को दोपहर के करीब इमरान जब इस्लामाबाद हाई कोर्ट परिसर में पेशी के लिए पहुंचे. रेंजर उन्हें गिरफ्तार कर बख्तरबंद गाड़ी में डालकर ले गए.
गिरफ्तारी का जो वीडियो सामने आया है, कुछ रेंजर इमरान खान के कुर्ते का काॅलर पकड़े साफ नजर आ रहे हैं. उनकी गिरफ्तारी एक पूर्व प्रधानमंत्री जैसे नहीं, निपट्ट अपराधी जैसे की गई है. इससे भी इमरान समर्थक न केवल भड़के हुए हैं, मौजूदा पाकिस्तान नौसिखों के हाथों में है, इसका भी पता चलता है.