हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती
आवाज़ द वॉयस को उसके चार साल पूरे होने पर दिल से मुबारकबाद देता हूं.संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली यात्रा में, इस मंच ने सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है.यह मंच न केवल सही और संतुलित खबरें प्रस्तुत करता है,भारत की आत्मा,उसकी आध्यात्मिकता, संस्कृति और अनमोल धरोहर से हमें जोड़ने को प्रेरित भी करता है.
आवाज़ द वॉयस" पर प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट्स सचमुच दिल को छूने वाली होती हैं.प्रत्येक लेख और फीचर भारत की प्राचीन संस्कृति और आध्यात्मिक इतिहास के साथ हमारी आत्मा को जोड़ता है.हमारे लिए, अजमेर शरीफ और चिश्ती फाउंडेशन के साथ, "आवाज़ द वॉयस" एक अमूल्य साझेदार है.इस मंच ने सूफीवाद और उसके शांति, प्रेम और समर्पण के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सूफीवाद, जो प्रेम और मानवता की सेवा पर आधारित है, हमेशा एकता का संदेश देता है.आवाज़ द वॉयस पर सूफी शिक्षाओं और सूफी परंपराओं से जुड़ी कहानियों ने सांस्कृतिक जागरूकता और विभिन्न धर्मों के बीच समझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
भारत में दरगाहें हमेशा शांति और सामंजस्य का प्रतीक रही हैं.ये पवित्र स्थल हर धर्म और पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करने का कार्य करते हैं.आवाज़ द वॉयस ने इन दरगाहों की भूमिका को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है.दरगाह अजमेर शरीफ, हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (र.अ.) की मज़ार शरीफ, प्रेम और एकता के सूफी आदर्श को प्रदर्शित करती है.
यह स्थल सदियों से विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए आशा और एकता का केंद्र बना हुआ है.आवाज़ द वॉयस ने चिश्ती फाउंडेशन की गतिविधियों, जैसे अंतरधार्मिक संवाद, सांस्कृतिक आयोजन और वैश्विक सम्मेलनों को कवर करके अजमेर शरीफ के संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित किया है.
आवाज़ द वॉयस का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उसने भारत को वैश्विक मंच पर सही रूप में प्रस्तुत किया है.इसने भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामंजस्य की कहानियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया है.अंतरधार्मिक संवाद और वैश्विक सम्मेलनों में भारत की भागीदारी को कवर करते हुए, इस मंच ने भारत की पहचान को शांति और एकता के प्रतीक के रूप में मजबूती दी है.
आवाज़ द वॉयस का अरबी संस्करण इस मंच के विस्तार का एक महत्वपूर्ण कदम है.यह भारत और अरब दुनिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का एक अद्वितीय प्रयास है.अरबी संस्करण भारत की सूफी परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को नए दर्शकों तक पहुंचाने में सक्षम होगा.यह पहल मंच की पहुंच को बढ़ाने के साथ-साथ इसे शांति और एकता का संदेशवाहक भी बनाएगी.
इस सफलता का जश्न मनाते हुए, हमें भविष्य के लिए एक बड़ी दृष्टि रखनी चाहिए.आवाज़ द वॉयस की यात्रा सिर्फ एक शुरुआत है.यह मंच भविष्य में और भी प्रेरणादायक कहानियां प्रस्तुत कर सकता है, जो हमारी साझा मानवता को और मजबूत करेंगी.इस मंच से आग्रह करता हूं कि वह और भी ऐसी कहानियां ढूंढे, जो आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक धरोहर और अंतरधार्मिक सहयोग की शक्ति को प्रदर्शित करें.
दरगाह अजमेर शरीफ और चिश्ती फाउंडेशन की ओर से, आवाज़ द वॉयस की पूरी टीम और इसके संस्थापक को दिल से शुभकामनाएं देता हूं.आपकी सकारात्मक पत्रकारिता के लिए आप सभी की मेहनत और समर्पण सचमुच सराहनीय है.आपका यह सफर केवल खबरों का माध्यम नहीं, बल्कि सच्चाई, करुणा और आशा का प्रतीक बने.
दुआओं और आशीर्वाद के साथ!!
( चेयरमैन,चिश्ती फाउंडेशन, अजमेर)