इस विवाद से निकल सकती है एक नई राह

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  onikamaheshwari | Date 14-10-2024
A new path can emerge from this dispute, shimla mall road
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harjinderहरजिंदर

पर्यटक जब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पंहुचते हैं तो उनके लिए सबसे बड़ा आकर्षक होता है माॅल रोड के ऊपर बना रिज का मैदान जिसके एक किनारे पर एक खूबसूरत चर्च है. वहां अगर सर उठाकर ऊपर पहाड़ की ओर देखें तो हनुमान की एक विशाल मूर्ति दिखाई देती है.
 
यह मूर्ति जिस मंदिर में लगी है उसका नाम है जाखू मंदिर. जाखू मंदिर वाले पहाड़ के अगर हम दूसरी तरफ जाएं तो वहां एक रिहायशी इलाका है संजोली. इसी संजोली की एक मस्जिद इन दिनों विवादों में बनी हुई है.
 
बताया जाता है कि इस मस्जिद में सिर्फ दो मंजिल बनाने की इजाजत स्थानीय प्रशासन से ली गई थी लेकिन बाद में वहां बना दी गईं पांच मंजिल. पहाड़ों में जरूरत से ज्यादा निर्माण पर्यावरण की नजर से एक संवेदनशील मुद्दा हो सकता है. लेकिन इसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मसला बना दिया गया. इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए और तनाव फैल गया.
 
यह तनाव शिमला के दूसरे सिरे पर बनी कासुंप्टी की मस्जिद तक ही नहीं पहुचा शिमला के बहुत दूर मंडी शहर की मस्जिद तक फैल गया. वहां भी प्रदर्शन हुए. राज्य के और छोटे बड़े हिस्सों से भी इस तरह के तनाव की खबरें सुनाई दीं.
 
बाद में अदालत ने जब स्थानीय अदालत ने इस निर्माण को गिराने का आदेश दिया तो स्थानीय मुस्लिम समुदाय इसे गिराने के लिए तैयार भी हो गया. इसे सदभावना की दिशा में उठाया गया एक कदम माना गया. 
 
लेकिन तभी ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाईजेशन आगे आया और उसने वह रास्ता सुझाया जो हमारे देश में आमतौर पर अवैध निर्माण करने वाले लोग अपनाते हैं. संगठन ने कहा कि इस मस्जिद की ऊपरी मंजिलों को इस तरह से नहीं गिराया जाना चाहिए और वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया जाएगा.
 
यह दो विकल्प तो मुस्लिम समुदाय के संगठनों के पास हैं और पता नहीं आखिर में किस विकल्प की ओर बढ़ेंगे.लेकिन एक और विकल्प भी है जो सभी समुदायों के लोगों के पास है. वह यह कि संजोली की मस्जिद के विवाद को एक मौका मानते हुए एक सर्वधर्म सहमति बनाई जाए और सांप्रदायिक एकता, कानून के राज व पर्यावरण रक्षा जैसी कईं जरूरी मंजिलों की ओर बढ़ा जाए.
 
यह कईं तरीकों से हो सकता है लेकिन यहां सिर्फ एक सुझाव.सभी धर्मों के धर्मगुरू अगर राजी हों तो देश भर के धार्मिक स्थलों का एक ऑडिट किया जा सकता है.
 
इस ऑडिट में यह पता लगाया जा जाए कि किस-किस जगह स्थानीय प्रशासन से अनुमति लिए बिना अवैध निर्माण किया गया है. इससे हर दूसरे रोज खड़े होने वाले विवादों पर और उसके वजह से बनाए गए सांप्रदायिक तनाव के माहौल पर रोक लगेगी. 
 
हालांकि इसका तभी कोई बड़ा अर्थ निकलेगा जब  इसके साथ ही यह संकल्प भी जुड़ा हो कि धार्मिक स्थलों के सभी अवैध निर्माण को गिराया जाएगा.धार्मिक स्थलों का अवैध निर्माण अगर निशाने पर आएगा तो बाकी अवैध निर्माण के खिलाफ भी एक तरह की जागरुकता का निर्माण होगा. वे लोग भी अवैध निर्माण से बचेंगे जो निजी कारणों से ऐसा करते हैं.
 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)