उर्दू का रिश्ता हमारी रूह से है: मुजफ्फर अली

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-02-2025
Urdu is related to our soul: Muzaffar Ali
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नई दिल्ली

राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद द्वारा आयोजित विश्व उर्दू सम्मेलन के दूसरे दिन कई अहम सत्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में चल रहे इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन चार तकनीकी सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम 'उर्दू के मधुबन में राधाकृष्ण' प्रस्तुत किया गया.

शिक्षा माध्यम के रूप में उर्दू का वर्तमान परिदृश्य

सम्मेलन के पहले सत्र का विषय 'उर्दू शिक्षा का माध्यम' था. इस सत्र में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक डॉ. शम्स इक़बाल ने उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि उर्दू शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर विचार करना और उसमें सुधार के उपाय खोजना बेहद जरूरी है.

उन्होंने कहा कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने के महत्व को समझना चाहिए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अम्मार रिज़वी और प्रो. ग़ज़नफ़र ने की, जबकि प्रो. रियाज़ अहमद और प्रो. तलअत अज़ीज़ ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.

इन्फोटेनमेंट संसाधनों से उर्दू का प्रचार-प्रसार

दूसरे तकनीकी सत्र का विषय 'उर्दू के हित को आगे बढ़ाने के लिए इन्फोटेनमेंट संसाधनों का उपयोग' था। इस सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मुज़फ़्फ़र अली और सुश्री कामना प्रसाद ने की.

इस सत्र में प्रो. शफ़ी क़िदवाई,  जावेद दानिश और डॉ. सलीम आरिफ़ ने उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में मीडिया और मनोरंजन संसाधनों की भूमिका पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि प्राचीन भारतीय मनोरंजन के विभिन्न माध्यमों में उर्दू का अहम स्थान रहा है और इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना जरूरी है.

युवा पीढ़ी और उर्दू में विज्ञान विषयों का प्रकाशन

तीसरे सत्र का विषय 'युवा पीढ़ी में विभिन्न विज्ञानों का प्रकाशन' था. इस सत्र में प्रोफ़ेसर इदरीस सिद्दीक़ी, प्रोफ़ेसर सरवतुल-निसा खान और शादाब उल्फ़त ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.

अध्यक्षता प्रोफ़ेसर रवि प्रकाश टेकचंदानी ने की, जबकि चर्चा में फ़िरोज़ बख़त अहमद, सुश्री शाह ताज खान और डॉ. सलमान अब्दुल समद ने भाग लिया. वक्ताओं ने उर्दू में विज्ञान और तकनीकी विषयों पर अधिक से अधिक सामग्री प्रकाशित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में उर्दू की स्थिति और सुधार के उपाय

चौथे सत्र में 'सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में उर्दू का दायरा और सुधार के उपाय' विषय पर चर्चा की गई. इस सत्र में आईआरएस श्री गुलज़ार वानी और डॉ. मुहम्मद अहसन ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.

अध्यक्षता प्रो. एआर फातिही और प्रो. ख्वाजा मुहम्मद शाहिद ने की। चर्चा में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उर्दू के सिकुड़ते दायरे पर चिंता व्यक्त की और इसे सुधारने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर प्रकाश डाला.

'उर्दू के मधुबन में राधाकृष्ण' सांस्कृतिक प्रस्तुति

शाम 6 बजे चिनमय मिशन, लोधी रोड में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'उर्दू के मधुबन में राधाकृष्ण' प्रस्तुत किया गया. इस कार्यक्रम का लेखन और निर्देशन प्रोफ़ेसर दानिश इक़बाल ने किया था, जबकि सुश्री नीलाक्षी और पारंगत प्रयाग कलाकेंद्र के कलाकारों ने इसका शानदार मंचन किया। इस कार्यक्रम ने दर्शकों को उर्दू भाषा की गहराई और उसकी सांस्कृतिक समृद्धि से परिचित कराया.

सम्मेलन की सार्थकता

इस सम्मेलन में शिक्षाविदों, लेखकों, शोधकर्ताओं और उर्दू प्रेमियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. इस सम्मेलन में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार के नए तरीकों पर चर्चा की गई और इसके भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए.

सम्मेलन के अंत में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक डॉ. शम्स इक़बाल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और उर्दू भाषा को समृद्ध बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करने का आह्वान किया.