मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
शेर-ओ-शायरी, उर्दू और सांस्कृतिक गतिविधियों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह अच्छी खबर है. जश्न-ए-रेख्ता ने अपने वार्षितक तीन दिवसीय कार्यक्रमों की तारीखों का ऐलान कर दिया है.उर्दू भाषा साहित्य के विकास के लिए समर्पित संस्था जश्न-ए-रेख्ता पिछले कई सालों से साल के अंतिम महीने में उर्दू भाषा साहित्य को केंद्र में रखकर तीन दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन करती है.
इस दौरान न केवल शेर-ओ-शायरी की महफिल सजती है, दुर्लभ किताबों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है. इसके अलावा इस दौरान कई नामवर साहित्यकारों, कलाकारों को भी सुनने-देखने-मिलने का मौका मिलता है.
जश्न-ए-रेख्ता का यह आयोजन इतना शानदार होता है कि उर्दू साहित्य और शेर-ओ-शायरी में दिलचस्पी रखने वाले इसका प्रत्येक वर्ष बेसब्री से इंतजार करते हैं. दिल्ली के जवाहर लाल स्टेडियम में तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में इतनी भीड़ उमड़ती है कि चलना मुश्किल हो जाता है, तभी इसका भी एहसास होता है कि जब तक ऐसी भीड़ कार्यक्रमों में उमड़ती रहेगी, उर्दू नहीं मरने वाली.
जश्न-ए-रेख्ता के आयोजन कर्ताओं ने इस वर्ष के तीन दिवसीय आयोजन की तारीख का ऐलान कर दिया है. इस दफा यह आयोजन दिसंबर की 13,14 और 15 तारीख को होगा. इसके साथ ही इसके पास की कीमत का भी ऐलान किया गया है.
जश्न-ए-रेख्ता के पास की कितनी है कीमत ?
पहले जश्न-ए-रेख्ता में शेर-ओ-शायरी का लुत्फ उठाने वालों से किसी तरह के शुल्क नहीं वसूले जाते थे. इसका प्रवेश मुफ्त होता था. मगर पिछले साल से पास हासिल करने वालों से मोटी रकम वसूली जा रही है.
आयोजकों ने इस बार एक दिन के पास का मुल्य 499 रूपये रखा है. यदि कोई तीनों दिन के कार्यक्रम का पास एक साथ लेना चाहे तो इसके बदले उसे 1200 रूपये अदा करने होंगे. यानी एक मुश्त तीन दिन का पास लेने पर तीन सौ रूपये की छूट, जबकि छात्रों को तीन के पास के बदले 1000 अदा करने होंगे. मगर एक दिन का पास लेने पर उन्हें किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी.
महफिल खाना के लिए कितने भरने होंगे पैसे
जश्न-ए-रेख्ता में एक मेन पांडाल होता है, जहां मुख्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसे महफिल खाना कहा जाता है. इस पांडाल में ही बड़े कलाकारों, गायकों, फिल्मी शख्सियतों की महफिल सजती है.
मगर स्टेज के सामने कुर्सी पर बैठकर उन्हें सुनने वालों को इसके लिए अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है. इस पांडाल को तीन वर्गों प्लाटीनम, गोल्ड और सिलवर में बांटा गया है. यदि इन कुर्सीयों पर बैठक कार्यक्रम का लुत्फ उठाना है, बदले में तीन दिनों के लिए क्रमशः 22,500,9000 और 4500 रूपये अदा करने होंगे.
जश्न-ए-रेख्ता की थीम का नहीं किया खुलासा
जश्न-ए-रेख्ता प्रत्येक वर्ष गालिब, मीर आदि के नाम पर अपने कार्यक्रमों को एक थीम में पिरोती है. पिछले साल मीर इसके थीम थे. इस बार किस उर्दू अदीब के नजर यह कार्यक्रम होगा अभी आयोजकों ने इसका खुलासा नहीं किया है.
इसकी जगह कार्यक्रमों को लेकर जो प्रारंभिक जानकारी दी गई है, उसके अनुसार, जश्न-ए-रेख्ता को ऐवान-ए-जायका, रेख्ता बुक बाजार, रेख्ता बाजार से सजाया जाएगा.