व्यंग्यकार एवं पत्रकार खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का 79 वर्ष में निधन, सहाफत की दुनिया में मायूसी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-01-2025
Satirist and journalist Khurshid Parvez Siddiqui dies at the age of 79, a loss in the world of journalism
Satirist and journalist Khurshid Parvez Siddiqui dies at the age of 79, a loss in the world of journalism

 

quafdrसैयद अहमद कादरी

उर्दू पत्रकारिता के गौरवशाली युग के एक महानायक और साहसिक पत्रकार खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का 9 जनवरी  को रांची के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे. उनके निधन की खबर ने उर्दू पत्रकारिता जगत को शोक में डाल दिया. उनके अंतिम संस्कार का आयोजन रांची में किया जाएगा.

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का जन्म 2 दिसंबर 1945 को बिहार के बाढ़ में हुआ था. एक सामान्य परिवार में जन्मे खुर्शीद ने जीवनभर अपनी कलम को सच्चाई, न्याय और निर्भीकता के लिए समर्पित रखा. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उर्दू पत्रकारिता से की और जल्दी ही अपने बेबाक लेखन और निर्भीक शैली के लिए प्रसिद्ध हो गए.

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी अपने संपादकीय लेखन के लिए जाने जाते थे. उनके लेखों में निर्भीकता और साहस की झलक स्पष्ट दिखाई देती थी. उनके संपादकीयों में सामाजिक मुद्दों, राजनीतिक अन्याय और शोषण के खिलाफ उनकी तीव्र आलोचना देखने को मिलती थी. उन्होंने कभी भी पत्रकारिता को व्यवसाय के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे इबादत समझकर निभाया.

उनके लेखन की शैली ऐसी थी कि पाठक उनके विचारों के साथ गहराई से जुड़ जाते थे. उन्होंने अपने लेखों में न केवल मुद्दों को उजागर किया, बल्कि समाधान के दृष्टिकोण से भी लिखा. उनकी लेखनी न केवल सटीक थी, बल्कि व्यंग्य और हास्य से भी परिपूर्ण थी.

स्तंभ "शज़रत" की लोकप्रियता

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का स्तंभ "शज़रत" अपने आप में उर्दू पत्रकारिता की एक धरोहर है. इसमें उन्होंने विभिन्न विषयों पर गहन अध्ययन और विचारों को प्रस्तुत किया. उनके व्यंग्य और हास्य से भरे लेख पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करते थे, बल्कि उन्हें प्रभावित भी करते थे.

निर्भीकता और सत्य का प्रतीक

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का जीवन और लेखनी इस बात का प्रतीक है कि सत्य के लिए खड़ा होना ही पत्रकारिता का असली उद्देश्य है. उन्होंने कभी किसी के सामने झुकने या समझौता करने की जरूरत महसूस नहीं की. उनकी निर्भीकता और सत्य के प्रति समर्पण ने उन्हें अद्वितीय बना दिया.

उनके लेखन में समाज के उन पहलुओं की झलक मिलती थी, जिनसे अक्सर लोग मुंह मोड़ लेते हैं. अन्याय, शोषण और अधिकारों के हनन के खिलाफ उनकी लेखनी नंगी तलवार की तरह काम करती थी. उन्होंने बिना किसी भय, दबाव या प्रलोभन के सच्चाई को प्रस्तुत किया.

शिक्षा और ज्ञान का खजाना

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का ज्ञान और स्मरण शक्ति अद्भुत थी. वे किसी भी विषय पर गहनता से चर्चा करते और ऐसी पुरानी बातें याद दिलाते जो शायद लोग भूल चुके होते. उनकी आलोचनात्मक शैली में भी एक हास्य का पुट होता था, जो उनके लेखन को और भी प्रभावशाली बनाता था.

मृत्यु के बाद भी उनकी छवि अमर

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी का निधन उर्दू पत्रकारिता के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनका योगदान, उनकी लेखनी और उनका साहसिक दृष्टिकोण हमेशा याद किए जाएंगे. उन्होंने उर्दू पत्रकारिता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उसे एक नई दिशा दी.

उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेकर आज की पीढ़ी उनके सिद्धांतों और मूल्यों को अपनाकर पत्रकारिता के असली अर्थ को समझ सकती है. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्चाई और निर्भीकता से बढ़कर पत्रकारिता में कुछ भी नहीं.

खुर्शीद परवेज़ सिद्दीकी को श्रद्धांजलि!!

इनपुट : सैयद अहमद कादरी की फेसबुक वाॅल