एहसान फाजिली/ श्रीनगर
स्कूली बच्चों सहित बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमियों को आकर्षित करने वाले 10दिवसीय पुस्तक महोत्सव का समापन हुआ.इस दौरान कश्मीर के लोगों द्वारा उर्दू भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में किए गए कार्यों की झलक देखने को मिली.
राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी), भारत सरकार के सहयोग से जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा आयोजित यह महोत्सव 17 अगस्त को डल झील के किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (एसकेआईसीसी) के विशाल लॉन में शुरू हुआ.संपन्न हुए इस महोत्सव का उद्देश्य युवाओं में पुस्तक पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना था.
भारत सरकार के अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के राष्ट्रीय आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर शाहिद अख्तर ने एसकेआईसीसी सभागार में कार्यक्रम के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा,"कश्मीर शिक्षा, साहित्य और संस्कृति का केंद्र रहा है.कश्मीर के लोगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (उर्दू) भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है."
उन्होंने कहा कि यह उर्दू भाषा के (प्रचार-प्रसार) से गहराई से जुड़े रहने का समय है.उत्सव के आयोजन के लिए एनसीपीयूएल और एनबीटी, भारत की भूमिका की सराहना करते हुए प्रोफेसर शाहिद अख्तर ने कहा कि "कश्मीर में उत्सव दोनों संस्थानों के लिए एक बड़ी सफलता रही है."
इस अवसर पर एनसीपीयूएल के निदेशक डॉ शम्स इकबाल ने कहा, "जम्मू और कश्मीर के लोगों में उर्दू भाषा के प्रति बहुत आकर्षण और प्रेम है, जबकि वे अपनी क्षेत्रीय भाषाओं, कश्मीरी और डोगरी को बढ़ावा देना जारी रखते हैं." उन्होंने कहा, "कश्मीर घाटी का उर्दू भाषा से गहरा रिश्ता है."
डॉ शम्स इकबाल ने कहा कि एनसीपीयूएल की विभिन्न योजनाओं से युवा और बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.पहली बार नहीं है कि एनसीपीयूएल कश्मीर में पुस्तक महोत्सव का हिस्सा रहा है.इससे पहले 2009, 2014और 2019में भी महोत्सव आयोजित किए हैं.ये महोत्सव हर पांच साल बाद आयोजित किए जाते हैं.
एनसीपीयूएल के शाहनवाज मोहम्मद खुर्रम के अनुसार, महोत्सव के दौरान एनसीपीयूएल और एनबीटी, भारत द्वारा एनबीटी के 147स्टॉल सहित 200से अधिक पुस्तक स्टॉल लगाए गए थे.
उन्होंने बताया कि इनमें से एनसीपीयूएल के 57प्रकाशक दिल्ली, श्रीनगर, कोलकाता, हैदराबाद, मुंबई और अन्य जगहों से थे.कुल मिलाकर 1500शीर्षक थे, जिनमें बच्चों की प्रेरणा के लिए बच्चों के साहित्य से 350 (एनसीपीयूएल) शामिल थे.
एनबीटी ने सोशल मीडिया पर कहा:श्रीनगर में चिनार पुस्तक महोत्सव के पहले संस्करण ने जम्मू-कश्मीर की बौद्धिक विरासत पर फिर से ध्यान केंद्रित किया और कश्मीर में विकसित हो रहे आख्यानों पर एक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया.
श्रीनगर के बच्चों, युवाओं, संस्थानों और नागरिकों की उत्साही भागीदारी ने पहले संस्करण को शानदार सफलता दिलाई.आशावादी और प्रगतिशील साहित्यिक आवाज़ों, सुखद यादों और ढेर सारी किताबों के साथ, यह महोत्सव भारत के साहित्यिक परिदृश्य में एक नई शुरुआत का प्रतीक है.”
ऐसे समय में जब डिजिटल स्पेस बढ़ने के कारण किताबें पढ़ना दुर्लभ हो गया है, और युवाओं में किताब पढ़ने की आदत डालने के उद्देश्य से, ‘चिनार पुस्तक महोत्सव’ नामक राष्ट्रीय कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, पढ़ने की समृद्ध संस्कृति का जश्न मनाने के लिए समर्पित इस महोत्सव में बच्चों के लिए कई आकर्षक गतिविधियाँ, साहित्यिक सत्र, श्रीनगर के लोगों के लिए पुस्तक प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाएँगी, जो डिजिटल युग में किताबों के प्रति जुनून को फिर से जगाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं.
यहाँ अपनी तरह का पहला यह महोत्सव, युवा पीढ़ी में पढ़ने की आजीवन आदत को बढ़ावा देने के अलावा, विविध साहित्यिक कृतियों की खोज के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा.पूरे महोत्सव के दौरान, उपस्थित लोग विभिन्न आकर्षणों का आनंद ले सकते, जिसमें बच्चों के लिए कहानी सुनाने वाले सत्र और युवा दिमागों को जोड़ने के लिए डिज़ाइन की गई इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ शामिल हैं.
इनके अलावा, इस महोत्सव में महत्वपूर्ण फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें ‘जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के युगों’, ‘कारगिल विजय दिवस के 25वर्ष’ और ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ जैसे विषयों को प्रदर्शित किया गया.इन प्रदर्शनियों का उद्देश्य क्षेत्र के समृद्ध इतिहास को दृश्यात्मक रूप से प्रस्तुत करना था, जिससे आगंतुकों को इसकी विरासत की गहरी समझ प्राप्त होगी.
इस महोत्सव का प्रमुख आकर्षण हिंदी, उर्दू, कश्मीरी, डोगरी और अंग्रेजी जैसी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रकाशकों की भागीदारी भी रहा, जिसमें आगंतुकों के लिए 200से अधिक पुस्तक स्टॉल उपलब्ध थे.
रचनात्मक लेखन, सुलेख, कहानी सुनाना और भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर कार्यशालाएँ लोगों को व्यावहारिक कौशल और रचनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए तैयार रहीं.इसके अतिरिक्त, इंटरैक्टिव संगोष्ठियों में सिविल सेवा में करियर, सहानुभूति मंडल, बातचीत की कला आदि जैसे विषयों को शामिल कियागया.