अरविंद कुमार
जो लोग ग़ज़ल से मोहब्बत करते हैं वे आज भी बेगम अख्तर, मेहंदी हसन के अलावा मल्लिका-ए-ग़ज़ल मलिका पुखराज,इकबाल बानो और फरीदा खानम को याद करते हैं.
नय्यारा नूर एक ऐसी ही आवाज़ थी, जो बुलबुल की तरह गाती थी.
मेहंदी हसन और गुलाम अली के बाद भारत में सबसे अधिक सुनी जानेवाली ग़ज़ल गायिका पाकिस्तान की नायरा नूर ही थी. उनके इंतकाल से भारत के संगीत प्रेमियों में भी उदासी छा गयी है.
लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाली नायरा को कराची में सुपर्दे खाक कर दिया गया. वह 71वर्ष की थीं और कुछ दिनों से बीमार थीं.
अब अब तक लोग यही जानते थे कि नायरा नूर पाकिस्तान की हैं. लेकिन सच तो यह है कि वह भारत की प्रतिभाशाली बेटी थी और असम के गुवाहाटी में जन्मी थीं. जब वह 7साल की थी तो उनका परिवार पाकिस्तान में जाकर बस गया था. लेकिन उनके अब्बा यही भारत में ही रह गए थे. वे कारोबारी थे और अपने कारोबार तथा जमीन-जायदाद के लिए यहीं रह गए थे. उनके अब्बा वैसे मुस्लिम लीग में भी थे.
पिछले 50सालों से नायरा की गायिकी ने भारत के लाखों-करोड़ों लोगों को अपना मुरीद बनाया था और जब उनका इंतकाल हो गया तो गजलों के प्रेमी मायूस हो गए.
नायरा नूर मलिका पुखराज, नूरजहां, फरीदा खानम और इकबाल बानो की तरह भारत में लोकप्रिय गायिका थीं. उन्हें लोकप्रियता पाकिस्तान रेडियो और टीवी चैनलों से मिली थी. 1971से उन्होंने गायिकी के क्षेत्र में कदम रखा. 3नवम्बर, 1950में जन्मी नायरा बेगम अख्तर और कानन देवी की मुरीद थी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर उनके इंतकाल पर शोक व्यक्त किया और भारत में भी सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दुख जताया.
नायरा ने मोमिन, ग़ालिब, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, अख्तर शीरानी, नासिर काजमी की गजलों को जिस बुलंदी से गाया था उसके कारण वह धीरे धीरे भारत के संगीतप्रेमियों के दिलों पर भी राज करने लगी थी. पाकिस्तान का जब कोई बड़ा कलाकार भारत आता रहा यहां के लोगों ने उनका भरपूर स्वागत किया. चाहे मल्लिका पुखराज हो या मेहंदी हसन हो नूरजहां हो या फरीदा खराब हो या वहां के मशहूर कव्वाल नुसरत फतेह अली खान हो.
इन महान कलाकारों के बाद धीरे धीरे नायरा की भी खुशबू भारत में फैलने लगी थी. नायरा भारत और पाकिस्तान की दोस्ती की एक पुल थी. वह जितनी पाकिस्तानी थी उससे कहीं अधिक भारतीय थी क्योंकि 1996तक उनके अब्बा यहीं रहकर अपना व्यापार करते रहे. लेकिन बहुतों को इस बात की जानकारी उनके इंतकाल के बाद मिली कि वह असम की गुवाहाटी की रहने वाली थी.
उन्हें कई अवार्ड मिले, चाहे निगार अवार्ड हो या ऑल पाकिस्तान म्युजिक कांफ्रेंस में 3गोल्ड मेडल या कोई और अवार्ड, पर वह पाकिस्तान की बुलबुल के रूप में जानी गईं.
मुझे दिल से भुला न देना,चाहे रोके ज़माना, इतना भी न चाहो मुझे,आज गम है तो क्या,रूठे हो तुम, ये इश्क हमें बर्बाद न कर उनकी लोकप्रिय गज़लें थीं.