कोलकाता. ‘हम हुए तुम हुए कह मीर हुए’ - साहित्यिक उत्सव द्वारा आयोजित ‘उर्दू शायरों के मुशायरे’ में आकर मुझे बहुत खुशी हुई. मुझे यहाँ दिल को छू लेने वाली शायरी सुनने का अवसर मिला. जिम्मेदार व्यक्ति, आयोजक और मेजबान इस संस्था के लोगों ने बहुत बढ़िया काम किया है. मैं पहली बार इतने सुंदर और मनोरंजक काव्य गोष्ठी में शामिल हुई हूँ. मैं पहली बार उर्दू महिला कवियों को इस शैली में देख और सुन रही हूँ. निःसंदेह, यह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है अपनी आवाज बुलंद करने के लिए. यह सुनने के बाद मेरी इच्छा है कि मैं इन सभी कवियों के शब्दों का अंग्रेजी में अनुवाद कर सकूं और उन्हें पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर सकूं, ताकि मैं उनकी बातों को दूर-दूर तक पहुंचा सकूं.’’ ये विचार पश्चिम बंगाल के हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नंदी साहू ने व्यक्त किए, जो कोलकाता में एक कविता-पाठ में शामिल हुए थे.
यह एक नया और अनोखा अनुभव था. उन्होंने कहा कि मुशायरे के आयोजकों ने मुझे यहां मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, जिससे मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है. मैं प्रशासन और डॉ. नईम अनीस का भी आभारी हूं. इस कार्यक्रम के संचालक आईपीएस छात्र श्री मुरलीधर शर्मा और मेजबान अल्हाज कमरुद्दीन मलिक को इस ऐतिहासिक और सफल कविता पाठ के लिए बधाई.
उद्घाटन भाषण देते हुए प्रसिद्ध कवि मुरलीधर शर्मा तालिब, आईपीएस (आईजी) पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा कि पश्चिम बंगाल के उर्दू कवि प्रतिभाशाली हैं और उनका प्रोत्साहन और मान्यता भी आवश्यक है और हम यह काम करते रहेंगे. कवि सम्मेलन के मेजबान अल्हाज कमरुद्दीन ने अतिथियों, कवियों और प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और मेजबानी का दायित्व अच्छे ढंग से निभाया.
काव्यपाठ के संयोजक ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘हम हुए तुम हुए कह मीर हुए’ का पहला काव्यपाठ नई पीढ़ी का काव्यपाठ था जो अपनी विशिष्टता के कारण देश के बाहर भी चर्चा में रहा. दूसरा काव्य-पाठ उर्दू के प्रमुख और सम्मानित कवियों पर था. यह बहुत सफल रहा और यह तीसरा काव्य-उत्सव पश्चिम बंगाल के चुनिंदा कवियों द्वारा आयोजित किया गया, जो अपेक्षा से कहीं अधिक सुंदर और सफल रहा. आज, प्रतिष्ठित और सुप्रसिद्ध अकादमिक और साहित्यिक पश्चिम बंगाल राज्य के प्रमुख हस्तियों ने दर्शकों और अतिथियों के रूप में भाग लिया, जिनमें स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध कवि, लेखक और शिक्षक भी शामिल थे.
कविता पाठ की अध्यक्षता कौसर परवीन कौसर ने की तथा निर्देशन सुश्री दरख्शां अंजुम ने बड़ी शालीनता से किया. अपनी शायरी से श्रोताओं का मनोरंजन करने वाले कवियों में कौसर परवीन कौसर, शहनाज रहमत, मोहतरमा रौनक अफरोज, नादिरा नाज, शाजिया नियाजी, फवजिया अख्तर रिदा, दाताख़्शां अंजुम, हजरत जरताब गजल, मोहतरमा फवजिया अख्तर आजकी, फरजाना परवीन और हजरत वेल शामिल थे.
इस मुशायरे के अन्य महत्वपूर्ण प्रतिभागियों में अब्दुल अजीज (वरिष्ठ पत्रकार), डॉ. नईम अनीस (कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज), डॉ. आसिम शाहनवाज शिबली (मौलाना आजाद कॉलेज), अहमद कमाल हाशमी, खुर्शीद अहमद मलिक, असगर अनीस, जावेद, हुमायूं, श्री परवेज रजा (जेएनयू, नई दिल्ली के पूर्व छात्र), निसार अहमद (पूर्व एसीपी), काशिफ रजा (श्अक्कासश् के निदेशक), प्रोफेसर इम्तियाज अहमद (कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज), डॉ. वामिक-उल-इरशाद -उल-कादरी (कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज), डॉ. अहमद मेराज, डॉ. हसनैन अहमद नोमानी, श्री इस्लाम अख्तर, श्री मोइन वकार रहमानी,श्री कमरुद्दीन कमर, नियाद अहमद, श्री एडवोकेट शाहिद परवेज, एडवोकेट अत्ता मुस्तफा , शमीम चिश्ती, श्री संजय गुप्ता, अकबर मिर्जा, साजिद खान, श्री साजिद परवेज, श्री अरशद आलम, श्री मुहम्मद शाहिद, श्री मुहम्मद फैजुर रहमान, नई पीढ़ी के सफल कवियों में श्री आमिर अत्ता, बिलाल साबिर, श्री हफीज अशरफ, श्री फरहान कादरी, श्री कैफ आलम कैफ, श्री मुदस्सर हसन, श्री इमरान शमीम, साजिद अख्तर, श्री रहीम पिरानी शामिल हैं. जाहिद हुसैन का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. कविता पाठ का समापन मेजबान कमरुद्दीन मलिक के धन्यवाद शब्दों के साथ हुआ.