नई दिल्ली. डॉ. तनवीर अहमद अल्वी की 12वीं पुण्यतिथि के अवसर पर साहित्यिक संस्था कलमकार और गालिब अकादमी के सहयोग से प्रख्यात आलोचक, प्रख्यात अनुवादक और सम्मानित कवि एवं लेखक डॉ. तनवीर अहमद अल्वी की स्मृति में बस्ती हजरत निजामुद्दीन स्थित गालिब अकादमी में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न साहित्यिक एवं अकादमिक हस्तियों ने डॉ. अल्वी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
प्रमुख धार्मिक विद्वान अयातुल्ला अल्लामा सैयद अकील अल-घरवी विशेष अतिथि के रूप में चर्चा में शामिल हुए और मुख्य भाषण दिया. अल्लामा अकील अल-घरवी ने डॉ. तनवीर अहमद को एक सम्पूर्ण सांस्कृतिक व्यक्ति बताया और कहा कि उनके पास एक शाब्दिक व्यक्तित्व था. डॉ. अल्वी के व्यक्तित्व के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सेवाओं और व्यक्तित्व के इतने आयाम हैं कि कोई उनके बारे में बात करना तो शुरू कर सकता है, लेकिन खत्म नहीं कर सकता.
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध फारसी विद्वान प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने की. अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने डॉ. अल्वी के व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला. मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एजाज अली अरशद, साहित्य अकादमी के उर्दू सलाहकार बोर्ड के संयोजक चंद्रभान खियाल, भारत सरकार के राष्ट्रीय उर्दू भाषा प्रचार परिषद के पूर्व निदेशक प्रोफेसर इरतजा करीम, जामिया मिलिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अहमद महफूज, एमजीएम पीजी कॉलेज, संभल के उर्दू विभाग के प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पूर्व कुलपति डॉ. असलम परवेज, गालिब अकादमी के सचिव डॉ. अकील अहमद और कार्यक्रम के संयोजक लईक रिजवी ने डॉ. अल्वी के व्यक्तित्व और उत्कृष्टता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.
इनके अलावा डॉ. तनवीर अहमद अल्वी के पुत्र डॉ. नवीद इकबाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. हैदर अली, पत्रकार डॉ. मुमताज आलम रिजवी, पत्रकार डॉ. मजहर हसनैन, अध्यापन से जुड़ी लेखिका डॉ. समर जहां समेत विभिन्न हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का संचालन कवि मोइन शादाब ने किया.
इस अवसर पर डॉ. समर जहां की दो पुस्तकों, ‘उत्तर भारत की बोलियों और भाषाओं में बारह मसाई गीतों की परंपरा’ और संत दर्शन सिंह की कविता का विश्लेषणात्मक अध्ययन ‘निशानत नूर’ का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया. इस परिचर्चा में बड़ी संख्या में कवियों, लेखकों, पत्रकारों और शोधार्थियों ने भाग लिया. इनमें फ्लाइट ऑफिसर अख्तर हसनैन नकवी, शिया पीजी कॉलेज लखनऊ के पूर्व प्राचार्य सैयद इरफान, सैयद समीउल हसन वसीम जायसी, इकबाल मसूद फारूकी, हसन जिया, डॉ. शबाना नजीर, डॉ. जहीर रब्बानी आदि शामिल हैं.