मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
कई बार, अच्छी किताबें बुरे अनुवाद में खो जाती हैं. लेकिन टाटा स्टोरीजः चालीस कहानियां जो आपको हमेशा प्रेरित करेंगी, ऐसी किताब है जिसका अनुवाद इतना शानदार है कि लगता है मूल किताब हिंदी में ही लिखी गई है.
असल में, हर भाषा की अपनी देहभाषा होती है. अंग्रेजी के सॉस का मतलब हिंदी में चटनी तो हो सकता है लेकिन सॉस का मजा अलग है और चटनी का रोमांच अलग. हरीश भट की लिखी किताब टाटा स्टोरीज का अंग्रेजी संस्करण अगर सॉस जैसा स्वाद देता है तो इसका हिंदी अनुवाद चटनी जैसा जायका.
असल में, इस किताब के लेखक हरीश भट टाटा संस के ब्रांड संरक्षक हैं. टाटा समूह से वे पिछले तीन दशकों से जुड़े हुए हैं. उन्होंने टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के प्रबंध निदेशक और टाइटन कंपनी लिमिटेड की घड़ियों और आभूषण व्यवसायों के मुख्य ऑपेटिंग ऑफिसर सहित कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं.
अंग्रेजी से इसे हिंदी में अनुवाद किया है डॉ. संजीव मिश्र ने. संजीव मिश्र पत्रकारिता जगत के चर्चित नाम हैं और उनकी पुस्तक ‘बवाली कनपुरिया’ भी काफी चर्चा में रही है.
टाटा के बारे में क्या ही कहा जाए, हर हिंदुस्तानी की जिंदगी में टाटा से बनी सामग्रियों कितना स्थान है इसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है. घरों को थामने वाले सरिया से लेकर रेल की पटरी तक, सेफ्टीपिन से लेकर खाने के नमक तक, घड़ियों से लेकर गाड़ियों तक, कारों से लेकर ट्रकों तक, टाटा ने हिंदुस्तान के समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है.
टाटा समूह केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अलहदा जगह रखती है. इसकी कामयाबी की सैकड़ों कहानियां हैं जो नौजवानों को प्रेरणा देती हैं. लेकिन टाटा को ब्रांड के रूप में स्थापित करने में कितने लोगों ने पसीना बहाया है, इसका अंदाजा हरीश भट की टाटा स्टोरीज से होता है.
असल में अपने डेढ़ सौ सालों के अविस्मरणीय इतिहास में टाटा ने भारत के जनजीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है. इस समूह से जुड़ी सैकड़ों कहानियां है जिनसे भारत का इतिहास जुड़ा है. मिसाल के तौर पर, टाटा समूह के पास एक ऐसा हीरा था जो आकार में कोहेनूर का दोगुना था और उसका इस्तेमाल 1930 के दशक में आर्थिक मंदी से निपटने में किया गया. स्वामी विवेकानंद के साथ जमशेदजी टाटा की बातचीत, ओलिंपिक जाने वाली पहली भारतीय टीम के साथ टाटा के रिश्ते, भारत की पहली व्यावसायिक एयरलाइन और पहली घरेलू कार की कहानी, और साथ ही सूमो जैसी गाड़ी का नाम सूमो क्यों पड़ा, देश की सड़कों पर दौड़ते लाखों ट्रकों पर ओके टाटा लिखे जाने के पीछे की कहानी, इस किताब में ऐसी चालीस दिलचस्प कहानियां हैं.
किताबः टाटा स्टोरीज-चालीस कहानियां जो आपको हमेशा प्रेरित करेंगी
लेखकः हरीश भट
अनुवादः संजीव मिश्र
प्रकाशकः पेंगुइन-हिंद पॉकेट बुक्स
मूल्यः 299 रुपये