मलिक असगर हाशमी / श्रीनगर
‘‘सूबे के तकरीबन सभी होटलों में रिनोवेशन का काम चल रहा है. जहां नहीं चल रहा, उसके संचालक इसपर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.’’ यह कहना है जम्मू-कश्मीर होटेलियर क्लब (Jammu Kashmir Hoteliers Club ) के अध्यक्ष मुश्ताक छाया का.
दरअसल, दो साल पहले तक मृतःप्रयाः पड़े केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के होटल उद्योग की यह चमक सूबे में उमड़ने वाले पर्यटकों की भीड़ के कारण लौटी है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के अधिकांश होटलों में सुविधाएं बढ़ाने पर भी जोर दिया जाने लगा है.
एक समय था जब आतंकवादी गतिविधियां चरम पर होने के कारण पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का रुख करना लगभग बंद कर दिया था. उसके बाद 5अगस्त 2019को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने और कोरोना के कारण उपजे हालात ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन और होटल उद्योग की रही-सही कसर पूरी कर दी.
मुश्ताक छाया कहते हैं-‘‘ पिछले दो साल में माहौल बदलने के साथ न केवल जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की भीड़ उमड़़ी है, सूबे के होटल उद्योगों का कारोबार भी बढ़ा है.कश्मीर होटेलियर क्लब के एक आंकड़े के अनुसार, पिछले साल जम्मू-कश्मीर में एक करोड़ 87लाख के करीब पर्यटक आए थे, जिसमें कश्मीर आने वालों की संख्या 22 लाख थी.
संगठन को उम्मीद है कि 2023 पिछले साल के मुकाबले और बेहतर होने वाला है. चालू वर्ष में 25 से 30 लाख पर्यटकों के ‘धरती का स्वर्ग’ कहे जाने वाले कश्मीर में आने की उम्मीद है.बारिश के मौसम में भी कश्मीर के होटल फुल चल रहे हैं.
डल झील में तकरीबन तीन दशक से शिकार चलाने वाले अब्दुल गनी कहते हैं-‘‘उनका धंधा भी अच्छा चल रहा है. पिछले साल बहुत अच्छा काम हुआ. इस साल और बेहतर होने की उम्मीद है.’’होटल उद्योग से जुड़े मौसम बख्शी कहते हैं-पर्यटकों की संख्या बढ़ने से होटलों में कमरे कम पड़ने लगे हैं. इस लिए कई होटलों में कमरे बढ़ाने का काम चल रहा है, जबकि कई होटल संचालक नए होटल के निर्माण पर भी विचार करने लगे हैं.
बता दूं कि जम्मू-कश्मीर होटेलियर क्लब से जुड़े करीब 300से ज्यादा होटल हैं. इसके अध्यक्ष मुश्ताक छाया कहते हैं कि सूबे में शांति और पर्यटकों के लौटने से होटलों को विस्तार देने के मुद्दे पर उनके संगठन की कई बार बैठक हो चुकी हैं.
उनके मुताबिक, कश्मीर के दूर-दराज के इलाके में होटलों के निर्माण को लेकर नियम बेहद सख्त हैं. चूंकि होटलों में बाहरी लोगों ने अभी तक पूंजीनिवेष में दिलचस्पी नहीं दिखाई है, इसलिए चाहते हैं कि वे खुद ही पूंजी निवेश कर अपने होटलों को विस्तार दें.
मुश्ताक छाया के अनुसार, गुलमर्ग, सोनमर्ग जैसे इलाकों में यदि नियमों में थोड़ी ढील दी जाए तो उन्हें अपना काम आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. शिकारा वालों ने बताया कि पर्यटन विभाग ने फिलहाल नए शिकारा के पंजीकरण पर रोक लगाई हुई है.
जम्मू-कश्मीर के होटल संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि पर्यटकों के बढ़ने से केवल होटल उद्योग का ही भला नहीं हो रहा है. सब्जी, गोष्त, अनाज, फल, दस्कारी, काश्तकारी, घोड़ा, ट्रांसपोर्ट का कारोबार करने वालों को भी लाभ हो रहा. इस लिए सरकार को चाहिए कि होटलों के विस्तार के नियमों में थोड़ी ढील दी जाए.
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