तहरी और बिरयानी में क्या है रिश्ता ? बता रहे हैं मशहूर शेफ विराज शेनॉय

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-10-2023
तहरी और बिरयानी में क्या है रिश्ता ?  बता रहे हैं मशहूर शेफ विराज शेनॉय
तहरी और बिरयानी में क्या है रिश्ता ? बता रहे हैं मशहूर शेफ विराज शेनॉय

 

बिरयानी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आए बिना नहीं रहता. बिरयानी कई प्रकार की होती है; लेकिन विशेष रूप से हैदराबादी और लखनऊ की किस्में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं.वैसे तो हर कोई बिरयानी का चहेता है, लेकिन लज़ीज़ बिरयानी बनाना कोई आसान काम नहीं है.इसके लिए मसालों के साथ हाथों में स्वाद होना भी ज़रूरी होता है.

मशहूर शेफ विराज शेनॉय ने बिरयानी के बारे में कई रोचक जानकारी दी.आवाज द वॉयस मराठी की पूजा सामंत ने जब उनसे बातचीत की तो उन्होंने कहा,बिरयानी का भारत में कम से कम 100साल से दबदबा है.पिछले 15-20 सालों से यह विश्वस्तर पर एक लोकप्रिय व्यंजन बन गया है.

biryani

सवाल:  बिरयानी के इतिहास के बारे में हमें बतायें !

 बिरयानी का इतिहास बहुत पुराना है. बिरयानी एशिया के कुछ चुनिंदा लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक है.बिरयानी की उत्पत्ति फारस से हुई है.फारस में मुगलों के बाद यह बिरयानी पूरे उत्तर भारत में फैल गई .फिर उत्तर भारत से शेष भारत तक फैल गई.हालाँकि बिरयानी भारत के अधिकांश क्षेत्रों में एक पसंदीदा मेनू आइटम है, स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करके बिरयानी को और लज़ीज़ किया जाता है.

लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हमारे देश में मुख्य रूप से दो तरह की बिरयानी होती हैं. पहली है हैदराबाद की बिरयानी (किती गैरमामूली बात है की इस शहर और बिरयानी को हैदराबादी के नाम से जाना जाता है) और दूसरी उतनी ही प्रसिद्ध बिरयानी है लखनऊ की बिरयानी.

हैदराबाद के लोग कच्ची बिरयानी बनाने के लिए मशहूर हैं; तो लखनऊवालों को पक्की बिरयानी में महारथ हासिल है. चूँकि बिरयानी मूल रूप से कच्चे मांस से बनाई जाती ,इसलिए कच्ची बिरयानीही असली बिरयानी होती है ऐसा अमूमन कहा जाता है! यह दम बिरयानी होती है. इसेमें कच्चे मांस के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है.फिर उसपरआंशिक रूप से कच्चे पके हुए चावल लगाये मैरीनेट करके लगाये जाते है.

लखनवी यानि पक्की बिरयानी. इस बिरयानी में टुकड़ों को पकाया जाता है. फिर आंच दिए हुए चावल पर उन्हें फैलाया जाता है.ऐसे पके हुए मटन और भाप दिए हुए चावल की परतें और गर्म मसालों की खुशबु इस लखनवी बिरयानी की पहचान है.

फारस यानी ईरान...मुग़ल क्षेत्र. मुग़ल अपने जीवन का सत्तर प्रतिशत हिस्सा युद्धों और युद्धक्षेत्रों में बिताते थे.ये सैनिक, जो कई वर्षों से अपने परिवारों से दूर थे, लड़ते-लड़ते थक गए थे, लेकिन लड़ाई के दौरान उन्हें अपने शरीर में ताकत की ज़रूरत थी, और उनके पास खानसामे नहीं थे जो सैनिकों और सेनापति के लिए भोजन उपलब्ध कराते थे.

कभी-कभी होते भी तो कम होते. लड़ाई में मटन, फिर चावल अलग से पकाने जितनी फुर्सत नहीं होती थी.इसी दौरान बिरयानी की इजाद हुई.चावल और मटन का कॉम्बिनेशन यानी जुबान की मौज. साथ ही इस से लड़ने के लिए ताकत भी मिलती थी... इसी वजह बिरयानी चारों ओर फैल गयी. और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती रही.

biryani

मुगलों के कई सेवक हिंदू थे.लड़ाई के दौरान वे मुगलों के साथ होते थे. लेकिन वे शाकाहारी थे.जहां मांसाहारी मुगल बिरयानी बनाते थे, वहीं ये नौकर खुद के लिए तहरी बनाते थे.तहरी बिरयानी का शाकाहारी संस्करण है.इस तहरी को मटन के टुकड़ों की जगह आलू से बनाया जाता था.

आज के दौर में भारतीय-एशियाई बिरयानी विश्वस्तर पर एक बेहद लोकप्रिय व्यंजन बन गया है.बिरयानी मध्य-पूर्व (जहां बिरयानी को 'बुरयानी' कहा जाता है), अन्य इस्लामी देश, अमेरिका, लैटिन अमेरिका, म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका, फिलीपींस... हर जगह बिरयानी फैल गई है.

सवाल : बाद के समय में बिरयानी में क्या बदलाव आए ?

 बिरयानी एक ऐसी डिश है जो पेट भी भरती है और दिल भी तृप्त करती है. इसमें बहुत सारे मसाले होने की वजह से यह थोड़ी तीखी भी होती है. जहाँ जो सामग्रियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थीं, वहा उन चीज़ों का इस्तेमाल बिरयानी में खुले हाथों से किया जाने लगा.अब तो मुंबई की बिरयानी भी मशहूर है. साथ ही कालीकट , केरल, कोलकाता की बिरयानी की भी अपनी अलग खासीयत है.

इन्हें स्थानीय मसालों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है.कोलकाता बिरयानी में आलू का इस्तेमाल किया जाता है. ये आलू इसमें मिलाए गए मांस का स्वाद सोख लेते हैं.बिरयानी की सबसे महत्वपूर्ण सामग्री मांस और चावल हैं.इन दो मुख्य सामग्रियों और विभिन्न मसालों का एक लाजवाब कॉम्बीनेशन यानी बिरयानी.

tahri

सवाल :क्या घर पर बिरयानी बनाना मुश्किल होता है ? बिरयानी का मजा लेना है तो क्या होटल में खाना पड़ेगा ?

 घर पर बिरयानी बनाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है. बहुत से लोग घर पर स्वादिष्ट बिरयानी बनाते हैं! लेकिन अगर आप ऑथेंटिक बिरयानी बनाना चाहते हैं, तो यह बड़े स्किल का कम है.इट्‌स अ सायंटिफिक प्रोसेस मांसाहारी बिरयानी बनाने के लिए मांस को मसालों और दही के मिश्रण में मैरीनेट करना पड़ता है. इन मसालों का संतुलन ही बिरयानी का ज़ायका है.

सवाल :बिरयानी बनाते वक़्त और क्या क्या ख़ास किया जाता है ?

 बिरयानी पकाते समय उसमें एक छोटी सी पोटली रख दी जाती है. यह हरएक के पसंद के अनुसार है. यह पोटली कुछ ताजे मसालों से भरी होती हैं जिस से बिरयानी में पुदीना, धनिया और केसर की खुशबू आती है. इस पोटली को खड़ा मसाला के नाम से भी जाना जाता है.

सवाल :क्या आप मुझे कुछ सीक्रेट बता सकते हैं जिससे एक आम इन्सान भी घर पर बेहतरीन बिरयानी बना सके ?

- 3/4 चावल पकाना वास्तव में बिरयानी पकाने में सबसे बड़ी परीक्षा है.क्योंकि बिरयानी चावल को पूरी तरह से पकाना नहीं होता. बिरयानी चावल ढीला होना चाहिए, खिचड़ी जैसा नहीं. यह एक इम्तिहान होता है. इम्तिहान और एक होता है,  बिरयानी का कच्चा मसाला... इस मसाले को अच्छे से भूनना भी एक हुनर है. इस मसाले का स्वाद बिरयानी में पूरी तरह समा जाना चाहिए.

कच्चा मसाला कितनी देर तक भूना गया है इसका भी स्वाद पर असर पड़ता है.बिरयानी को थोड़ा खट्टा-मीठा स्वाद देने के लिए दही का इस्तेमाल किया जाता है. ये दही कितना होना चाहिए (कितने लोगों के लिए बिरयानी बनाई जा रही है, सामग्री इस पर निर्भर करती है) ऐसी सभी छोटीमोटी चीजों से बिरयानी बनाई जाती है... इसलिए कहा जाता है, भट्टी अच्छे से जमनी चाहिए.

अगर इनमें से एक भी गलत हो जाए तो बिरयानी के स्वाद में तुरंत फर्क आ जाता है. हर एक जगह की अपनी-अपनी विशेषता है.स्थानीय सामग्रियों के इस्तेमाल से बिरयानी का स्वाद बढ़ जाता है.

tahri

सवाल:बिरयानी पचाने में मुश्किल होती है. यह घी, तेल, मसालों और मांस से भरपूर होती है.डाइटिंग करने वाले इस से दूर रहते हैं...

 शरीर के लिए जरूरी स्टार्च, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट... जैसे सभी पोषक तत्व बिरयानी से पेट में जाते हैं.इसीलिए तो सैनिक महीनों-महीनों तक बिरयानी खाते थे! बिरयानी कभीकभार खाई जाती है, उसका इतना हव्वा बनाने की ज़रूरत नहीं है . हाँ, डाइटिंगवाले लोगों को अधिक तेल, घी, मसालों से बचना चाहिए.

(अनुवाद - समीर शेख)