फरहान इसराइली -मोहम्मद अकरम/ जयपुर- नई दिल्ली
बकरीद पर राजधानी जयपुर के ईदगाह से ट्रांसपोर्ट नगर तक बकरों का बाजार सज गया है. यहां जयपुर, हरियाणा, यूपी समेत आस-पास के शहरों से व्यापारी और खरीददार पहुंच रहे हैं. इस बाजार में कोटा करौली, सोजती, सिरोही, गुर्जरी, नागौरी, मारवाड़ी नस्ल के बकरों की बिक्री जारी है. बाजार में 10 हजार से लेकर सवा लाख रुपये के बकरे बिक्री के लिए मौजूद हैं.
इस बाजार में सवाई माधोपुर से बकरों का जोड़ा लाया गया है, जो कोटा करौली नस्ल के हैं. यह जोड़ा बकरा मंडी में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इनके मालिक शकील खान ने बताया- इस जोड़े की कीमत डेढ़ लाख रुपए है.
बकरे के छह-छह दांत हैं. सींग अलग तरीके से मुड़े हुए हैं. कान अन्य बकरों की तुलना में लंबे हैं. यह हाइट में सबसे लंबे हैं. यह बकरा साढ़े तीन फुट से ऊपर के हैं. इन बकरों को चना, मक्का खिलाया जाता है.
काजू और बादाम खाते हैं बकरा
हरियाणा के बायल गांव के रहने वाले अजीत सिंह जयपुर की ईदगाह मंडी में बकरे बेचने आए हैं. उन्होंने बताया- वह कुचामन से गुर्जरी नस्ल के बकरे लेकर के आए हैं. इन बकरों को जाटी की हरी पत्ती, गेहूं, जौ, मक्का, काजू और बादाम किशमिश खिलाते हैं. बकरे का वजन 1 क्विंटल 25 किलो के आसपास है.
उन्होंने बताया- उसे इस बकरीद पर निराशा हाथ लगी है.बकरे को रखने में 60 हजार से ज्यादा का खर्च आया है. उम्मीद थी कि बकरा मंडी में लाख सवा लाख रुपए का बिकेगा. अब तक इसकी कीमत 25 हजार से 30 हजार से ज्यादा लोग नहीं लगा रहे हैं. इससे मायूसी है. बकरा मंडी का बाजार सुस्त है. बकरों की तय लागत से भी कम कीमत लोग लगा रहे हैं.
पारवी नस्ल के मेंढ़े
पानीपत से भेड़ बेचने आए विजयपाल भडाड़ ने बताया- उनकी पारवी नस्ल की भेड़ हैं. यह पानीपत से लाई गई हंै. इनके कान और पूंछ लंबी होती हैं. इनके 4 दांत से ज्यादा होते है. वजन एक कुंतल से ज्यादा होता है.
विक्रेता ने इन भेड़ों की कीमत 35 हजार रुपए तय की है. हालांकि इस बार उन्हें बाजार में तय भाव नहीं मिल रहे है. पिछली बार कि तुलना में यहां मंडी में खरीददार कम पहुंचे हैं.अलवर से यहां बकरे बेचने आए शब्बीर खान ने बताया- उनके तोतापुरी नस्ल के बकरे हैं.
इनके कान लंबे होते हैं. इनकी ऊंची कद काठी है. इनकी कीमत 20 हजार से 50 हजार तक है. बकरों के मुंह अन्य बकरों की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं. इन बकरों की अलग दिखावट और कद काठी के कारण ग्राहक इन्हें खरीदना पसंद करते हैं.
बकरों की कीमत बढ़ी
व्यापारियों ने बताया कि बकरों को खिलाए जाने वाले जौ, हरा-चरा, लौंग का पत्ता और तिल्ली के तेल की कीमतें बढ़ने से भाव में तेजी आई है. पशुआंे की कीमतों में प्रति क्विटंल 3 से 5 हजार रुपए बढ़ोतरी हुई है. इसका असर बकरों की कीमत पर पड़ा है.
10 हजार से 1.25 लाख रुपए तक कीमत
व्यापारी शकील ने बताया- पिछले साल बकरों के भाव 8 से 80 हजार रुपए तक थे. इस बार भाव 15 हजार से 1.25 लाख रुपए तक पहुंच गए हैं. मंडी में होकरा, माकड़वाली, नागौर, ब्यावर, किशनढ़, दौराई और आसपास के इलाकों से भी बकरे लाए गए हैं.
दो से कम दांत के बकरों की नहीं होती कुर्बानी
ईदगाह निवासी बुरहान यहां लगी बकरा मंडी में कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने पहुंचे थे. उन्होंने बताया- कुर्बानी के बकरों के लिए कम से कम दो दांत होने जरूरी हैं. दो दांत से कम होने पर बकरे की कुर्बानी नहीं होती. बकरे का कान कटा नहीं होना चाहिए. सींग टूटा नहीं हो. बकरा लंगड़ा कर नहीं चल रहा हो. कुर्बानी के लिए इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है.
दिल्ली के मीना बाजार में ग्राहकों के नहीं पहुंचने से कारोबारी परेशान
बकरीद त्योहार से पहले दिल्ली का मीना बाजार गुलजार है. सजे धजे बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए ग्राहकों को सौदेबाजी करते देखा जा सकता है. बाजार में लोग बकरे खरीदने आ रहे हैं. लेकिन भीषण गर्मी के कारण व्यापारियों के लिए बकरों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है.
देश के कोने-कोने से व्यापारी अपने बकरों के साथ यहां आते हैं. बाजार में कई ऐसे बकरे भी हैं जो काफी महंगे हैं. लेकिन पहले की तरह बाजार में रौनक नहीं है. विक्रेताओं में मायूसी है. उन्हें उम्मीद है कि बकरीद के आखिरी एक-दो दिन बाजार चलने वाला है.
यहां लगता है 50 सालों से बाजार
जामा मस्जिद के सामने बने उर्दू पार्क यानी मीना बाजार में बीते 25 सालों से बकरे का बाजार एक माह पूर्व ही सज जाया करता था, लेकिन इस साल बाजार में उस तरह की रौनक नहीं दिख रही. न ही ग्राहक पहुंच रहे हैं. बताते हैं कि जामा मस्जिद के सामने लगने वाले इस बाजार में अब तक जिस तरह ग्राहकों की भीड़ होनी चाहिए थी, नहीं दिखाई दे रही है.
महंगाई का असर जानवरों पर
उत्तर प्रदेश के रहने वाले साजिद मंसूरी बीते 10 सालों से मीना बाजार में कुर्बानी के पशु फरोख्त करने आते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार महंगाई का असर जानवरों पर देखने को मिल रहा है. लोग बहुत कम पहुंच रहे हैं जिसकी उम्मीद नहीं थी. जो बकरे बीते साल 15- 20 हजार में बेचते थे वह इस बार 25 से 30 हजार रुपये में बिक रहे हैं.
बाजार में पहले जैसी रौनक नहीं
हरियाणा के मेवात से बकरे फरोख्त करने पहुंचे मोहम्मद इकबाल ने बताया कि इस बार बाजार ज्यादा महंगा है. वह बीते 20 वर्षों से यहां पशु बेचने आ रहे हैं, पर इस बार बाजार में पहले जैसी रौनक नहीं. उन्हांेने बताया कि उनके पास 15 हजार से 50 हजार के कई नस्लों के बकरे मौजूद है.
बकरे लाने में होती है परेशानी
मेवात से दिल्ली पहुंचने के सफर के बारे में उन्हांेने बताते कि हमें इस दौरान जगह जगह पुलिस के द्वारा जबरदस्ती पैसा वसूली से जूझना पड़ता है. जिसके कारण भी हमें महंगे बकरे बेचने पड़ रहे हैं.
मोहम्मद अतहर की शिकायत भी मोहम्मद इकबाल की तरह है. उन्होंने बताया कि तमाम कागजात होने के बावजूद पुलिस परेशान करती है. यहां टेंट लगाने पर गैरकानूनी बता कर पैसे वसूले जाते है.
पशु लाने पर काफी खर्च होते हैं पैसे
फरीद अहमद ने बताया कि उनके पास 30 से एक लाख रुपये तक के बकरे मौजूद हैं. बकरों को चारा खिलाने से लेकर यहां तक लाने में काफी पैसे खर्च होते हैं. पहले की तरफ बाजार में रौनक नहीं है. उम्मीद है कि आखिर के दो-एक दिन बाजार में लोग पहुंचेंगे और कारोबार अच्छा होगा.
वजनदार बकरा जाता है मुंबई, बेंगलुरु
नूरुद्दीन बिहार के पूर्णिया जिला के रहने वाले हैं. वह कई वर्षों से इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. वह कहते हैं कि जामा मस्जिद दिल्ली समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मेवात के ग्राहक यहां पहुंचते हैं. वह बताते हैं कि अच्छा और वजन वाला बकरा मुंबई, बेंगलुरु जाता है. बकरे कम होने के कारण बकरे की कीमत में बढ़ोतरी हुई है. फिलहाल मार्केट अच्छा नहीं है. आगे उम्मीद है कि बेहतर होगा.