डॉ फैयाज अहमद फैजी
आज से ठीक चार वर्ष पहले एक कड़कड़ाती सर्दी की शाम मेरे सेल फोन की घंटी बजी.मैंने कॉल रिसीव किया. उधर से एक सौम्य एवं सभ्य आवाज आई, “मैं आवाज द वॉयस से मलिक असगर हाशमी बात कर रहा हूं.मैं पसमांदा मुद्दे पर आपका एक इंटरव्यू करना चाहता हूं”.
मेरे लिए यह सुखद आश्चर्य से कम नहीं था,क्योंकि पसमांदा कार्यकर्ताओं को मीडिया से इस तरह के निमंत्रण की बहुत अपेक्षा नहीं रहती.मीडिया से इस तरह का निमंत्रण दुष्प्राप्य था.उस दिन से लेकर आजतक न सिर्फ मुझे,बल्कि पसमांदा आंदोलन से जुड़े अन्य कार्यकर्ताओं को आवाज द वॉयस बिना किसी रोक टोक के अपनी बात रखने का पूरा अवसर देता रहा है.
आज आवाज द वॉयस के चार वर्ष पूरे होने पर मैं हार्दिक बधाई देता हूं.इस अवधि में आवाज द वॉयस ने न केवल एक न्यूज पोर्टल और यू ट्यूब चैनल के रूप में अपनी पहचान बनाई है, पसमांदा समुदाय की आवाज बनकर भी उभरा है.
आवाज द वॉयस ने प्रारंभ से ही पसमांदा आंदोलन के लेखों और विचारों को प्राथमिकता दी है.यहां तक कि उन लेखों और विचारों को भी प्रकाशित किया जो अन्यत्र दबा दिए जाते थे.आवाज द वॉयस का यह प्रयास काफी सराहनीय रहा है.
आवाज द वॉयस ने समाज के एक ऐसे तबके की आवाज को बुलंद किया है जो अक्सर अनसुना रह जाता है.इसने न केवल पसमांदा समुदाय के मुद्दों को उठाया, बल्कि उनके संघर्षों को भी दुनिया के सामने रखा.आवाज द वॉयस ने पसमांदा समुदाय के लोगों को एक मंच प्रदान किया है,जहां वे अपनी बात कह सकते हैं और अपनी मांगें रख सकते हैं.
आवाज द वॉयस ने समाज में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.इसने जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई है.आवाज द वॉयस ने लोगों को जागरूक किया है.उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया है.
उम्मीद है कि आवाज द वॉयस आने वाले समय में भी पसमांदा समुदाय की आवाज बना रहेगा.आवाज द वॉयस को सच्ची पत्रकारिता एवं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए और अधिक प्रेरित करने की जरूरत है.
आवाज द वॉयस के चार साल पूरे होने पर मैं एक बार फिर से बधाई देता हूं.आशा करता हूं कि आवाज द वॉयस देश और समाज हित में ऐसे ही अपने काम को आगे बढ़ाएगा और नित नई ऊंचाइयों को छुएगा और समाज के लिए एक मिसाल बनेगा.
( लेखक पेशे से चिकित्सक, स्तंभकार और पसमांदा आंदोलन से जुडे़ हैं)