तस्वीरों की नजर से श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन: रंगों की घाटी में बहार का जश्न

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-04-2025
Srinagar's Tulip Garden in Pictures: Celebrating Spring in the Valley of Colours
Srinagar's Tulip Garden in Pictures: Celebrating Spring in the Valley of Colours

 

श्रीनगर से बासित जरगर

जब देश के अधिकांश हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं, ऐसे में कश्मीर की वादियों का ठंडा और सुहावना मौसम सैलानियों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आया है. खासकर श्रीनगर का प्रसिद्ध इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन, इन दिनों पर्यटकों के बीच चर्चा का मुख्य केंद्र बना हुआ है. यहां हर साल की तरह आयोजित किया जा रहा ट्यूलिप शो इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हो रहा है.

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74 किस्मों वाले ट्यूलिप गार्डन ने तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन के रूप में पहचान रखने वाले इस बगीचे ने इस साल नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है. ट्यूलिप शो 2025 के 15वें दिन, गार्डन में आने वाले आगंतुकों की संख्या ने पिछले वर्ष के कुल रिकॉर्ड – 4,46,154 आगंतुकों – को पार कर लिया है. यह उपलब्धि ट्यूलिप गार्डन के इतिहास में अब तक का सबसे तेज़ी से हासिल किया गया आगंतुकों का आंकड़ा है.

इस साल यहां 1.7 मिलियन (17 लाख) ट्यूलिप बल्बों को रोपित किया गया है, जो 74 भिन्न-भिन्न किस्मों में खिले हैं. इन फूलों की विविधता और रंगों की चमक ने देश-विदेश से आए प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है.

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प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, ज़बरवान की गोद में बसा है यह गार्डन

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन, जिसे पहले सिराज बाग के नाम से जाना जाता था, डल झील के किनारे और ज़बरवान पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है. इस अद्वितीय स्थान पर बना यह उद्यान श्रीनगर की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाता है. यह न केवल कश्मीर घाटी के बाग-बगीचों की परंपरा का हिस्सा है, बल्कि आधुनिक हorticulture (बागवानी) के क्षेत्र में भी एक उदाहरण बन चुका है.

यह उद्यान प्रारंभिक, मध्य और देर से खिलने वाली ट्यूलिप की 60 से अधिक किस्मों का घर है. रंग-बिरंगे ट्यूलिप जब पूरी तरह खिले होते हैं, तो यह दृश्य किसी इंद्रधनुष से कम नहीं लगता.

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देशभर से उमड़ी सैलानियों की भीड़

ट्यूलिप महोत्सव के चलते इन दिनों श्रीनगर में सैलानियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। मुंबई से आई पर्यटक नेहा वर्मा ने कहा,

"मैं पहली बार कश्मीर आई हूं और इस यात्रा की योजना खास तौर पर ट्यूलिप देखने के लिए बनाई थी. यहां का नज़ारा तो मेरी कल्पना से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत है, बिल्कुल किसी सपने जैसा."

ट्यूलिप गार्डन में अब तक साढ़े चार लाख से अधिक पर्यटक आ चुके हैं और आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.

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ट्यूलिप महोत्सव: एक सांस्कृतिक और पर्यटन उत्सव

हर साल जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग मार्च-अप्रैल में ट्यूलिप महोत्सव का आयोजन करता है, जो न सिर्फ फूलों की विविधता का प्रदर्शन होता है, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत और आतिथ्य का भी उत्सव बन जाता है. इस महोत्सव के ज़रिए राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास करती है.

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🌍 ट्यूलिप की वैश्विक यात्रा और कश्मीर में इसका स्थान

ट्यूलिप की उत्पत्ति मूल रूप से फारस (वर्तमान ईरान) में मानी जाती है. 17वीं शताब्दी में यह फूल यूरोप पहुँचा, जहां इसकी कई सुंदर किस्में विकसित की गईं. आज हॉलैंड (नीदरलैंड्स) ट्यूलिप का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। ट्यूलिप पर्वतीय क्षेत्रों में उगता है, इसलिए यह कश्मीर की जलवायु के लिए उपयुक्त है.

हर साल सितंबर के आसपास ट्यूलिप बल्बों का रोपण शुरू होता है, और मार्च-अप्रैल में वे पूरी तरह से खिल उठते हैं. इस समय यह गार्डन एक जीवंत रंगीन कालीन जैसा दिखता है, और कश्मीर की घाटी मानो स्वर्ग सी प्रतीत होती है.

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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है यह गार्डन

गौरव की बात यह है कि यह गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. यह श्रीनगर के अन्य ऐतिहासिक मुगल उद्यानों जैसे शालीमार, निशात और चश्मा शाही की तुलना में आकार में सबसे बड़ा है और इसके डिज़ाइन व देखभाल की जितनी सराहना की जाए, कम है.

कश्मीर का यह ट्यूलिप गार्डन न केवल एक प्राकृतिक धरोहर है, बल्कि यह देश की पर्यटन नीति का एक सफल उदाहरण भी बन चुका है. यहां का शांत मौसम, बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और रंग-बिरंगे फूल देश-विदेश के पर्यटकों को एक स्वप्नलोक का अनुभव कराते हैं.

यदि आप इस वसंत में कश्मीर जाने का विचार कर रहे हैं, तो ट्यूलिप गार्डन ज़रूर जाएँ — यह अनुभव जीवन भर याद रहेगा.

तस्वीरें और रिपोर्टः श्रीनगर से बासित जरगर