मंजीत ठाकुर
पाकिस्तान ने आजादी के ठीक बाद हिंदुस्तान के जिस इलाके पर धोखे से कब्जा कर लिया उसको आज पाक-अधिकृत कश्मीर (पीओके) कहा जाता है. पीओके में इस वक्त 10 जिलें हैं और उनमें से एक है नीलम घाटी. इस पूरे जिले की खूबसूरती देखते ही बनती है. इस पूरे जिले की आबादी कोई दो लाख है.
इसके पश्चिमोत्तर हिस्से में गिलगित-बाल्टिस्तान है और दक्षिण में अपना कुपवाड़ा और बांदिपोरा. नीलम घाटी को आजादी से पहले किशनगंगा कहा जाता था लेकिन पाकिस्तान ने इसका नाम बदल दिया. किशनगंगा नदी गुरेज घाटी से होती है मुजफ्फराबाद में झेलम में मिल जाती है.
किशनगंगा घाटी (नीलम घाटी) की औसत ऊंचाई समुद्र तल से 4,000 फुट से 7,500 फुट तक है. किशनगंगा घाटी की लंबाई करीबन 144 किमी की है. मौजूदा नियंत्रण रेखा (एलओसी) इसी घाटी से होकर गुजरती है.
पाकिस्तान ने इस इलाके में विकास का काम न के बराबर किया है और यहां के लोग अभी भी दस्तकारी और पिछड़ी हुई खेती से अपना जीवन-यापन करते हैं. पाकिस्तान के ही एक सर्वे के मुताबिक, इस जिले को सुविधाओं और इनफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पाकिस्तान के 148 जिलों में 136वें पायदान पर रखा गया है.
खुद पाकिस्ता के सबसे विकसित जिलों की असलियत के बरअक्स देखें तो किशनगंगा घाटी उर्फ नीलम घाटी में गुरबत की हकीकत सामने आती है. और पाकिस्तान की साम्राज्यवादी ताकत इस जगह का कैसा सैन्य इस्तेमाल कर रही हैं यह समझ में आता है.
किशनगंगा घाटी में मूलरूप से हिंदको भाषा बोली जाती है और कश्मीरी से मिलती-जुलती है. कश्मीरी इस घाटी में बोली जाने वाली दूसरी लोकप्रिय भाषा है.