तस्वीरों में कश्मीर में रमजान की रौनक: धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक माहौल में बदलाव

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-03-2025
Ramadan in Kashmir: Demand for delicious Iftar and Sehri items increased
Ramadan in Kashmir: Demand for delicious Iftar and Sehri items increased

 

बासित जरगर/श्रीनगर

देश-दुनिया के बाकी हिस्से की तरह कश्मीर में भी रमजान शबाब पर है. नमाजियों की भीड़ इस पवित्र महीने में मस्जिदों में उमड़ पड़ी है. हर कोई इबादत में मशगूल होकर महीने की अधिक से अधिक बरकत बटोरना चाहता है रमजान, इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. यह महीना उपवास, प्रार्थना और आत्मशुद्धि का होता है, जब मुसलमान अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करते हैं.

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श्रीनगर में रमजान की तैयारियां

श्रीनगर में सुबह से ही एक विशेष माहौल देखा गया. होटल, रेस्तरां, चाय-स्टॉल और ढाबे सहित सभी प्रमुख भोजनालय बंद थे, और बाजारों में सामान्य दिन की तुलना में काफी कम भीड़-भाड़ थी. लोग सुबह-सुबह मस्जिदों में नमाज़ अदा करने पहुंचे, वहीं सड़कों और बाजारों में यातायात भी अपेक्षाकृत कम था.

स्थानीय लोग पवित्र महीने के लिए सामान जुटाने में व्यस्त थे. बुधवार से ही कश्मीर के बाजारों में रमजान के लिए आवश्यक चीजों की जमकर खरीदारी देखी गई, क्योंकि इस महीने में धार्मिक कार्यों की अधिकता के कारण मुसलमानों को सामान्य दिन की तुलना में कम समय मिलता है.

लोग फलों, जूस, खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक सामग्रियों की खरीदारी में जुटे रहे. विशेष रूप से खजूर की मांग बहुत अधिक देखी गई, जो विभिन्न हिस्सों से यहां आयात किए जाते हैं, खासकर मध्य पूर्व और अन्य देशों से.

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कश्मीर में मध्यम वर्ग की समृद्धि का असर

कश्मीर में हाल के वर्षों में मध्यम वर्ग की समृद्धि बढ़ी है, और इसका असर रमजान की खरीदारी पर भी दिखता है. कश्मीर के अधिकतर लोग सऊदी अरब से आयातित खजूर, उच्च गुणवत्ता वाले फलों के जूस, जैम और यहां तक कि आयातित ब्रांड्स की वस्तुएं खरीद रहे हैं. स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि इस साल रमजान के लिए खरीदी गई वस्तुएं पहले से कहीं ज्यादा महंगी और विविध प्रकार की हैं.

श्रीनगर के एक प्रमुख डिपार्टमेंटल स्टोर के दुकानदार ने कहा, "मैंने परिवार के लिए सऊदी खजूर, ब्लैक बेरी जैम, फलों के जूस और दूध की क्रीम खरीदी है. यह सब चीजें 'इफ्तार' के समय काम आती हैं, जब दिनभर का उपवास टूटता है."

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उपवास और खानपान का खास महत्व

रमजान के दौरान, कश्मीर में लोग इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि उनका भोजन स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट हो,. इफ्तार के समय (दिनभर के उपवास के बाद) यह सुनिश्चित किया जाता है कि भोजन से ऊर्जा मिले और शरीर को पर्याप्त पोषण मिले। स्थानीय निवासी इमरान भट ने कहा, "रमजान में फलों, जूस और अन्य खाद्य पदार्थों पर थोड़ी अधिक खर्च होती है, लेकिन इसका महत्व बहुत अधिक होता है.

आखिरकार, हमें उपवास की कठिनाइयों को सहन करने के लिए स्वस्थ और पौष्टिक भोजन चाहिए."

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रमजान की उपवास अवधि और शेड्यूल

रमजान का उपवास इस बार करीब 13 घंटे का होगा. रविवार को 'सेहराई' (उपवास शुरू होने से पहले सुबह का भोजन) समाप्त हुआ और शाम 6:30 बजे उपवास तोड़ा जाएगा. मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार, रमजान हर साल 10 दिन आगे बढ़ता है, इसलिए यह पवित्र महीना कुछ वर्षों में सर्दियों के महीनों में आता है, जबकि कुछ वर्षों में यह गर्मियों के महीनों में पड़ता है.

इस साल रमजान गर्मियों में पड़ रहा है, जब दिन लंबे होते हैं और तापमान अधिक रहता है, जिससे उपवास का पालन और भी कठिन हो सकता है.

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कश्मीर में रमजान की धार्मिक और सामाजिक अहमियत

कश्मीर घाटी में रमजान सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक घटना भी है. पूरे महीने भर लोग आपस में एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, एक-दूसरे के घर इफ्तार करते हैं, और विभिन्न सामाजिक आयोजनों में भाग लेते हैं.

साथ ही, रमजान का महीना सामूहिक प्रार्थना और तपस्या का भी समय होता है, जब लोग अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए प्रयास करते हैं. इस दौरान धार्मिक स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जाता है और लोग सुबह-शाम नमाज़ के लिए मस्जिदों में आते हैं.

रमजान का असर व्यापार पर

रमजान के दौरान कश्मीर के व्यापारिक परिदृश्य में भी बदलाव आता है. दुकानदारों का मानना है कि रमजान में खाने-पीने की चीजों की मांग बढ़ जाती है. विशेष रूप से खजूर, फल, जूस, दूध, मिठाईयाँ और अन्य आयातित वस्तुओं की बिक्री में तेजी देखी जाती है.

इस बार, जैसे ही रमजान की शुरुआत हुई, बाजारों में इन उत्पादों की मांग में काफी वृद्धि हो गई है. यह समय व्यापारियों के लिए आमतौर पर अच्छा होता है, जब लोग जरूरतमंद वस्तुएं जुटाने के लिए अधिक खर्च करते हैं.

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कश्मीर में रमजान 

कश्मीर में रमजान का महीना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है. इस महीने की शुरुआत के साथ ही घाटी में विशेष धार्मिक माहौल बना हुआ है, जहां उपवास, प्रार्थना और सामूहिक सामाजिक मेलजोल के अलावा, बाजारों में भी रमजान से जुड़ी चीजों की बिक्री में वृद्धि देखी जा रही है.

कश्मीर के लोग रमजान को अपने जीवन का एक अहम हिस्सा मानते हैं, जो उन्हें आत्म-प्रेरणा और शांति का अहसास कराता है.