फैजान खान /धौलपुर राजस्थान से लौट कर
देश में बदअमनी फैलाने की चाहे जितनी कोशिश की जाए, ‘कोई बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’. जब भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जाती है, देश और एकजुट दिखता है. जब भाईचारा मजबूत करने वाले हैं, तब तक देश की अमनपरस्त फिजा में कोई बदअमनी नहीं फैला सकता.
ऐसा ही एक नजारा राजस्थान के धौलपुर जिले की राजाखेड़ा तहसील में उस वक्त दिख जब मुहर्रम के ताजिए तो मुस्लिमों ने रखे, पर ताजियों के सामने अखाड़ा पेश करने वालों में अधिकांश हिंदू थे. इस तस्वीर ने एक बार फिर हिंदुस्तान की मजबूत गंगा-जमुनी तहजीब को बदनाम जमाने के सामने रखा है.
राजाखेड़ा पूर्वी राजस्थान के धौलपुर की पहली तहसील है, जहां से राजस्थान की शुरूआत होती है. यहां पर नौ अगस्त 2022 को मुहर्रम का जुलूस निकाला गया.
सबसे अच्छी और दिल को सुकून देने वाली यह रही कि नूर बेग के ताजिया के सामने जो अखाड़ा आयोजित किया, उस अखाड़े का उस्ताद कोई मुस्लिम नहीं बल्कि केवरन सिंह नाम के एक हिंदू थे.
उन्हें ताजिया कमेटी ने सम्मानित किया. उनके बारे मंे ताजिया कमेटी के सदर अफसर पठान ने बताया कि हमारे कस्बे में सांप्रदायिक सौहाई की इससे अच्छी तस्वीर और कोई नहीं हो सकती. आज के दौर में कम ऐसा देखने को मिलता है. जब कोई हिंदू मुस्लिमों के किसी प्रोग्राम मंे इस तरह से हिस्सा लेेता है.
अखाड़ा के ताजियेदार नूर बेग ने बताया कि हमारे यहां परंपरागत अखाड़ा खेला जाता है. इसमें मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू करतब दिखाते हैं. वे बेहद शानदार अखाड़ा खेलते हैं. हमारे यहां मजहब बिखराव जैसी कोई बात नहीं. हम एक दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते हैं.
उस्ताद केवरन सिंह ने बताया कि ये अखाड़ा हमारे पिता उस्ताद फतेह सिंह भी खेला करते थे. उनका अखाड़ा और कलाकार दूर-दूर तक मशूहर थे. हम शुरू से ही हजरत इमाम हुसैन की याद में अखाड़ा खेलते हैं.
जब तक जीवित रहेंगे- या अली, या हुसैन का दामन नहीं छोड़ेंगे. मुहर्रम के लिए हम कई महीनों पहले तैयारी शुरू कर देते हैं. हमारे अखाड़े में हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के युवा आते हैं और करतब सीखते हैं.
नगर पालिका पार्षद लाकेेंदर सिंह चैहान ने कहा कि हमारा कस्बा बहुत ही शांतिप्रिय है. यहां के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं. किसी तरह की कोई बात हमारे यहां नहीं होती. अखाड़ा के उस्ताद केवरन सिंह भाईचारगी का उदाहरण हैं.
ताजियेदार नूर बेग ने कहा कि केवरन सिंह के पिता फतेह सिंह भी अखाड़ा खेलते थे. उनका अखाड़ा बहुत मशूहर था. रही बात हिंदू-मुस्लिम की तो इस भाईचारे को खुदा बुरी नजरों से बचाए. हमारे ताजिया के सामने भी केवरन सिंह उस्ताद का अखाड़ा और करतब दिखाता है.