फरहान इसराइली / जयपुर
राजधानी जयपुर के घाट गेट क्षेत्र स्थित मस्जिद ए मोमिनान में इदार ए शरिया पटना, बिहार के अंतर्गत दारुल क़ज़ा, जयपुर का भव्य उद्घाटन कार्यक्रम किया गया, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद मौलाना गुलाम रसूल बाल्यावी सहित देश और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से धर्म गुरुओं और गणमान्य लोगों ने शिरकत की.
इदार ए शरिया भारतीय संविधान द्वारा दिए गए विशेष अधिकार के अंतर्गत मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित मुद्दों की सुनवाई कर निजी और पारिवारिक मामलों को धर्म अनुसार सुलझाता है. इदार ए शरिया का मुख्यालय बिहार के पटना में है. उसकी शाखाएं देश भर में फैली हुई हैं.
लंबे समय से राजस्थान के मुस्लिम समाज की ओर से मांग उठ रही थी कि अदालतों में लंबित इस प्रकार के मुकदमों का बोझ हल्का करने और कम समय में तलाक, शौहर की गुमशुदगी और शौहर के खर्च ना देने जैसे मामलों को हल करने के लिए जयपुर में भी दारूल क़ज़ा की शाखा स्थापित हो.
समाज की इस इच्छा को आधिकारिक रूप से स्वीकारते हुए इदार ए शरिया, पटना द्वारा भेजी गई तीन सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को सांय जयपुर पधार कर स्थापना कार्यक्रम में भाग लिया. जयपुर के लिए मुफ्ती ग़ुफ़रान रज़ा मिस्बाही को साफा़ पहना कर क़ाज़ी मुकर्रर किया. इदार ए शरिया के मुख्य तथा मुरादाबाद के शहर मुफ्ती मौलाना मुफ्ती अब्दुल मन्नान कलीमी ने उन्हें क़ाज़ी की शपथ दिलाई.
इस अवसर पर पटना से पधारे चीफ क़ाज़ी डॉक्टर अमजद रज़ा अमजद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हमारा संविधान अपने निजी और पारिवारिक मामलों में अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने का अधिकार देता है. इदार ए शरिया भारतीय संविधान द्वारा दिए गए विशेष अधिकारों के अंतर्गत रहते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित फ़ैसला करता है.
हमारे इन फैसलों के कारण कोर्ट कचहरियों का काफ़ी बोझ हल्का होता है. लोगों को उनके मुकदमों का कम समय में समाधान मिल जाता है. इस कारण जहां-जहां दारुल क़ज़ा स्थापित होते हैं, वहां की अदालतें और सरकारें खुश रहती हैं.
दारुल क़ज़ा के काम करने का पूरा एक संविधान बना हुआ है जिसके तहत हर-हर मुक़दमे की पूरी विस्तार से जांच परख होती है.पहले से कोर्ट कचहरियों में लंबित मामलों में दारुल क़ज़ा फैसला नहीं सुनाता. हम दोनों फ़रीक़ों की तफ़सील से बातें सुनते हैं . न्याय अनुसार जो वाजिब फ़ैसला होता है, वही सुनाते हैं. दोनों को अपने फैसले से संतुष्ट करने की मुकम्मल कोशिश भी करते हैं.
इस अवसर पर जदयू नेता, पूर्व राज्यसभा सांसद तथा इदार ए शरिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बल्यावी ने विस्तार से दारुल क़जा़ का महत्व और उसका इतिहास बताया. उन्होंने कहा दारुल क़ज़ा और खाप पंचायतों के फ़ैसलों में ज़मीन आसमान का फ़र्क होता है.
दारुल क़ज़ा के फैसले आस्थाओं और जज्बात पर नहीं बल्कि शरीअ़त की रोशनी में पूरे न्याय, जांच परख और दलीलों पर आधारित होते हैं. कार्यक्रम के अंत में मुफ्ती ए शहर जयपुर मुफ्ती अब्दुस्सत्तार रजवी ने समस्त मेहमानों का धन्यवाद प्रकट किया.
इस अवसर पर मौलाना वली मुहम्मद शेरी, कारी मोइनुद्दीन, सय्यद मुहम्मद क़ादरी, सय्यद मुबारक हुसैन, कारी अशरफ, मुफ्ती मुजाहिद मिस्बाही, मौलाना सलमान, मौलाना हसन रजा, मौलाना राशिद मिस्बाही, मौलाना शब्बीर मिस्बाही तथा शहर के अनय उलमा मौजूद रहे.