दौलत रहमान/ गुवाहाटी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम के मुसलमान राज्य में पूरी तरह सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि जब उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली की बात आती है तो असमिया हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बहुत अंतर नहीं होता है. भारत में जम्मू और कश्मीर के बाद सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला असम दूसरा राज्य है.
असमिया सैयद वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री सैयद अब्दुल मलिक की 21वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने यह बयान रविवार को दिया.
सैयद अब्दुल मलिक की कृतियों में 60 उपन्यास, 11 नाटक, पांच कविता संग्रह, 5 बच्चों की किताबें, 3 यात्रा वृतांत और 1000 कहानियां शामिल हैं. मलिक की कहानी "वीभत्स वेदना" को देश के विभाजन ने आम आदमी पर जो आघात छोड़ा है, उस पर किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई अब तक की सबसे अच्छी कहानी मानी जाती है.
मुख्यमंत्री सरमा ने सैयद अब्दुल मलिक की पुण्यतिथि समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी धारणा है कि राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मुस्लिम विरोधी है. इस तरह की धारणा को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि असम के मुसलमानों को राज्य में असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. यह सरकार असमिया मुसलमानों की भावनाओं और भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली किसी भी चीज़ को रोकने के लिए भी बहुत सतर्क है.
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम (असम में रहने वाले हिंदू और मुसलमान दोनों) वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव और सूफी संत अजान पीर के आदर्शों और जीवन शैली के आदी हैं. जब मैं ज़िकिर (अजान पीर द्वारा लिखित भक्ति गीत) सुनता हूं तो मुझे वही लगता है जो मेरे मुस्लिम भाई-बहनों को लगता है.
अपने स्कूल के दिनों में मैंने फतेहा-ए-दुआज दहम का आयोजन किया था. सैयद अब्दुल मलिक सहित मुसलमान हैं जिन्होंने श्रीमंत शंकरदेव पर शानदार रचनाएँ लिखी हैं. जब तक असम के लोग श्रीमंत शंकरदेव की शिक्षाओं और सिद्धांतों का पालन नहीं करेंगे और अजान पीर असम एकजुट रहेगा.”
सैयद अब्दुल मलिक का सबसे महत्वपूर्ण काम "धन्या नारा तनु भाल" है, जो असम के महान वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जीवन और समय पर आधारित एक उपन्यास है. जीवनी ब्रजावलि में लिखी गई थी. ब्रजावलि ऐसी भाषा थी जिसमें श्रीमंत शंकरदेव अपने एक सरना धर्म का प्रसार करते थे, जो वैदिक कर्मकांड के खिलाफ भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित एक सरल धर्म है
. शंकरदेव ने जिस धर्म का प्रचार किया, वह असम में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच एक महत्वपूर्ण एकीकरण कारक और बंधन साबित हुआ. 17वीं शताब्दी में असम में रहने के लिए आए बगदाद के एक सूफी संत अजान फकीर पर उनके शोध कार्य ने असम के गाने "ज़िकिर" और "ज़री" को एक नया जीवन देने के अलावा असम में सांप्रदायिक सद्भाव को एक नया आयाम दिया है.
सरमा ने कहा, “मेरे दिवंगत पिता का सैयद अब्दुल मलिक के साथ एक अच्छा जुड़ाव था, जब हम अपने बचपन के दिनों में जोरहाट जिले में रह रहे थे. इसलिए मैं बचपन से ही मलिक की साहित्यिक प्रतिभा को सुनता था. उनकी साहित्यिक कृतियाँ मानवीय मूल्यों और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे.
यह देखकर खुशी होती है कि असमिया सैयद वेलफेयर ट्रस्ट सैयद अब्दुल मलिक के काम को अमर करने की कोशिश कर रहा है. मलिक के कार्यों को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करना भी मेरी सरकार की जिम्मेदारी है.”
असमी सैयद वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से समारोह में बोलते हुए, नॉर्थईस्ट लाइव के प्रधान संपादक वासबीर हुसैन ने कहा कि सैयद अब्दुल मलिक की साहित्यिक प्रतिभा को दुनिया के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है, लेकिन एक धारणा और भय है कि साहित्यकार के काम गुमनामी में जा सकते हैं. हुसैन ने मुख्यमंत्री सरमा से सैयद अब्दुल मलिक साहित्य पुरस्कार फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है.