हिन्दू-मुसलमान में मिठास घोल रहा 'मक्खन का तरबूज़'

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 05-01-2024
'Makhan ka Tarbooz' adding sweetness to Hindu-Muslim relations
'Makhan ka Tarbooz' adding sweetness to Hindu-Muslim relations

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
मेरी हाल की यात्रा में मैने भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की परिक्रमा की और वहां मंदिरों के दर्शन कर नए साल की शुरुवात की. जब भी मैं छुट्टियों के लिए यात्रा कार्यक्रम तैयार करती हूं, तो पर्यटन स्थलों और आवास के बाद जो चीज सबसे महत्वपूर्ण होती है, वह है भोजन. ऐसा माना जाता है कि भोजन क्षेत्र की सांस्कृतिक प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब है. शहर का सार उस भोजन में निहित है जो हमें परोसा जाता है, विशेषकर सड़कों पर. यात्रा की योजना बनाते समय मेरे दिमाग में मथुरा के पेड़े, दालमोठ, मठरी, और ठंडी लस्सी घूम रही थी लेकिन जब हम जन्मभूमि दर्शन करने गए तो टूरिस्ट की इतनी भीड़ देखकर मुझे अंदाजा हुआ की कृष्णा भक्ति देश ही नहीं विदेश में भी बढ़-चढ़ रही है. 

दर्शन करने के बाद जब हम बाहर आए तो मेरी कज़न सिस्टर पलक ने कहां चल तुझे एक स्वीट डिश खिलाती हूँ मुझे लगा कि पेठा होगा शायद लेकिन वो था 'मक्खन का तरबूज', जी हाँ वहीँ मिठाई जो तरबूज जैसी दीखती है. अंदर से लाल और बाहर से हरी. इसके अंदर छेने की फिलिंग होती है.
 
 
'मक्खन का तरबूज' बेचने वाले के पास इतनी भीड़ को देखकर मुझे भी ये चखने पर मजबूर होना पड़ा और यकीन मानिये ठंड में इसका स्वाद दोगुना हो चूका था मुँह में रखते ही इसकी मिठास मेरे मुँह में घुल गई.
 
श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह दोनों धार्मिक स्थानों से निकलकर सभी पर्यटक यात्री इस ठंडे तरबूज के गोले को खाने के लिए भीड़ में शामिल हो रहे थें जहां एक गंगा जमुनी तहजीब की तस्वीर देखने को मिली. ये कहा जा सकता है कि ये 'मक्खन का तरबूज़' हिन्दू-मुसलमान में मिठास घोल रहा है. 
 
 
गंगा जमुनी तहजीब संस्कृति यानी विविधता को हृदय से स्वीकार करना है. उत्तर प्रदेश राज्य का लोकाचार भारतीय दर्शन की शनदार तस्वीर प्रस्तुत करता है मथुरा जहां  कृष्ण की जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह की चोटियां ऊंचे आसमान को छू रहीं हैं.  
 
 
 
उत्तर प्रदेश में लोगों ने शादी, पार्टी में मिलने वाली मक्खन की मिठाई तो जरूर खाई होगी लेकिन बहुत सारे लोगों को इस मिठाई के बारे में जानकारी नहीं हैं लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि आगरा के ताज महल और फ़तेहपुर सीकरी के बाहर भी ये मिठाई बहुत प्रचलीत है.
 
यह मिठाई आगरा के फ़तेहपुर सीकरी क्षेत्र की है और अब दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पास भी पाई जा सकती है. रसगुल्ले के आकार की यह कम प्रसिद्ध मिठाई, जो एक क्लासिक बंगाली मिठाई है बड़ी स्वादिष्ट है. इस रसगुल्ले को ताजे सफेद मक्खन की परत से ढका जाता है और ठंडा परोसा जाता है. इस व्यंजन का नाम हरे और लाल रंग के संयोजन से लिया गया है जो तरबूज के समान है, जिसे हिंदी में तरबूज़ के नाम से जाना जाता है. यह मक्खन का तरबूज आगरा और उसके आसपास और उत्तर प्रदेश के कई अन्य हिस्सों में उपलब्ध है.
 
 
मक्खन का तरबूज़ बनाने के लिए फटे हुए दूध का आटा तैयार किया जाता है. दूध को गाढ़ा करके रसगुल्ले के आकार की गोलियां बना ली जाती हैं. ये गोले लाल रंग और चीनी की चाशनी से ढके हुए हैं. एक बार यह हो जाने के बाद, इसे तरबूज जैसा बाहरी स्वरूप देने के लिए ताजे मक्खन को हरे रंग के साथ मिलाया जाता है. रसगुल्लों के जमने के बाद उन पर एक बार फिर से मक्खन लगाया जाता है. इन्हें ठंडा करके परोसा जाता है.
 
 
@thelostchefff नामक एक फूड ब्लॉगर ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक रील साझा की जिसमें एक असामान्य मिठाई दिखाई गई. वीडियो में मक्खन का तरबूज़ कैप्शन दिया गया है, ब्लॉगर ने उल्लेख किया है कि यह व्यंजन चांदनी चौक के मालीवाड़ा क्षेत्र में उपलब्ध है. चमकीले रंगों और दिलचस्प आकार से आकर्षित होकर, मैंने खोजबीन की और पता चला कि यह वास्तव में आगरा की एक लोकप्रिय मिठाई है. 
 
जिस तरह आगरा के ताजमहल और मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि के बाहर मक्खन का तरबूज़ लोगों में मिठास बिखेर रहा है आशा है की देश में भी इस तरह की मिठास घुलती-मिलती रहें और सद्भाव और भाईचारे के साथ लोग प्यार और लगाव करते रहें.
 
मीठी बोली बोलकर, सबका मन लो जीत,
बोली से हो शत्रुता, बोली से हो प्रीत 
 
श्रीकृष्ण की जन्मभूमी, मथुरा से कृष्ण प्रेमियों का गहरा लगाव है. कहा जाता है कि इस जगह पर कारागार में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, जहां बाद में मंदिर बनवाया गया. इसी तरह कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास भी हजारों साल पुराना है. श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर वही जगह है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने क्रूर राजा कंस की जेल में खुद को प्रकट किया था. इसके बाद अपने पिता वासुदेव और मां देवकी को मुक्त कराया था.