नेताजी कुमारमंगलम/तिरुपति ( आंध्र प्रदेश )
त्रिपति के रोटरी मदर एंड चाइल्ड केयर विंग के अध्यक्ष तेनकायला दामोदरम का यह उन जवजातों शिशुओं के लिए वरदाान साबित हो रही है, जिनकी मांएं उन्हें अपना दूध पिताने में फिल्हाल असमर्थ हैं.आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित सरकारी मातृत्व अस्पताल में स्थापित रोटरी मानव दूध बैंक ने अपने पहले ही वर्ष में उल्लेखनीय सफलता दर्ज करते हुए कमजोर और नवजात शिशुओं के लिए जीवन रेखा का कार्य किया है.
यह पहल न केवल नवजात शिशुओं को पोषण प्रदान कर रही है, बल्कि स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी स्वास्थ्य, भावनात्मक और सामाजिक रूप से एक सशक्त अनुभव बनकर उभरी है.
पिछले एक साल में, 1,806 माताओं ने 247.374 लीटर स्तन दूध दान किया, जिसमें से 243.225 लीटर दूध 3,475 नवजात शिशुओं को वितरित किया गया. ये सभी नवजात वे थे जो समय से पहले जन्म लेने, अत्यधिक कमजोरी या अपनी माँ के दूध न मिल पाने की स्थिति में थे.
रोटरी क्लब ऑफ तिरुपति की अनूठी पहल
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के कुमारमंगलम की एक रिपोर्ट के अनुसार,रोटरी क्लब ऑफ तिरुपति द्वारा ₹35 लाख की लागत से स्थापित यह दूध बैंक उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों जैसे दूध विश्लेषक, पास्चराइज़र, डीप फ्रीजर और पूरी तरह से स्वच्छ वातावरण में संचालित होता है. रोटरी क्लब इस बैंक के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी भी स्वयं निभा रहा है.
माताओं को जागरूक करने और सम्मान देने की पहल
डॉ. जी पार्थ सारथी, अधीक्षक (सरकारी मातृत्व अस्पताल) के अनुसार, "हम प्रसवोत्तर माताओं को जागरूकता अभियानों के ज़रिए दूध दान के लिए प्रोत्साहित करते हैं. जो माताएं अतिरिक्त दूध का दान करती हैं, उन्हें मान्यता और सम्मान दिया जाता है."
रोटरी क्लब की ओर से दूध दान करने वाली माताओं को सूखे मेवों के पैकेट भी भेंट किए जाते हैं, ताकि वे पोषण से भरपूर रहें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें.
स्तन दूध दान से स्वास्थ्य लाभ भी
स्तनपान विशेषज्ञों के अनुसार, दूध दान करने से स्तन की सूजन, मास्टाइटिस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिलती है. साथ ही यह एक भावनात्मक रूप से संतोषजनक अनुभव भी होता है। एक दाता माँ राजेश्वरी ने बताया, "दूसरे बच्चे को जीवन देने के लिए मेरे दूध का उपयोग होना मेरे लिए ईश्वर का आशीर्वाद है."
सख्त स्वास्थ्य परीक्षण और सुरक्षा मानक
दूध दान से पहले, माताओं को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी सहित आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षणों से गुजरना होता है. यह प्रक्रिया प्रसव के समय ही अस्पताल में पूरी कर ली जाती है ताकि भविष्य में दूध दान के लिए वह माताएँ योग्य साबित हों.
रोटरी मदर एंड चाइल्ड केयर विंग के अध्यक्ष तेनकायला दामोदरम ने कहा, "दूसरों की संतानों के लिए मुफ़्त स्तन दूध दान करना एक गहरा मानवीय योगदान है. यह न केवल नवजातों के लिए जीवनदायिनी है, बल्कि मातृत्व की भावना को भी मजबूत करता है."