शाहताज खान / मुंबई
दक्षिणी मुंबई के भिंडी बाजार में मटन स्ट्रीट मोहम्मद अली रोड के पास चोर बाजार है. इस चोर बाजार के करीब पहुंचते-पहुंचते विभिन्न प्रकार की मिली-जुली आवाजों का एक शोर कान से टकराने लगता है. इन्हीं आवाजों के बीच रह-रह कर हॉर्न की तीखी और तेज आवाज चौंकाती है. शोर को चीरती हुई यह प्रखर आवाज ‘कासिम भाई हॉर्नवाला’ की दुकान से आती है.
जब कासिम भाई हॉर्नवाला केवल आठ साल के थे, तब से उन्होंने हॉर्न बनाने और उलकी मरम्मत करने का काम सीखना शुरू किया. अब वह 75 वर्ष के हो चुके हैं. चीखते-चिंघाड़ते हॉर्न सड़कों पर लोगों को रास्ता देने के लिए सतर्क करते हैं, तो यही हॉर्न चोर बाजार में कासिम भाई की दुकान तक पहुंचने के लिए जीपीएस का काम करते हैं. ग्राहक को कासिम भाई की दुकान का पता किसी से पूछने की अवश्यकता नहीं होती. कासिम भाई की दुकान पर 100 साल से भी ज्यादा पुराने हॉर्न मौजूद हैं. वो किसी भी हॉर्न की मरम्मत कर सकते हैं. अब उनके दो बेटे भी यह हुनर सीखकर उनका हाथ बटाते हैं. कई कारीगरों और अपने बेटों के साथ कासिम भाई ग्राहकों के बीच हर रोज बैठे नजर आएंगे.
कासिम भाई कहते हैं कि एक जमाने में पानी के जहाज के हॉर्न भी उनके पास मरम्मत के लिए आते थे, लेकिन अब वो सिलसिला खत्म हो गया है. लेकिन अब भी लोग छोटे-बड़े हॉर्न खरीदने और ठीक कराने उनके पास आते हैं. वो याद करते हैं कि उनके पास से बहुत से लोगों ने काम सीखा और फिर मुंबई के दूसरे इलाकों में अपनी दुकानें खोलकर रोजी-रोटी कमा रहे हैं. कासिम भाई बताते हैं कि उनकी यह दुकान 50 साल से भी ज्यादा समय से हॉर्न के लिए एक जाना-माना नाम है, क्योंकि यहां सस्ता, अच्छा और टिकाऊ काम होता है. तो लोग खिंचे चले आते हैं.
जॉन रिचर्ड डेडिकोट ने साइकल बैल 1877 में बनाई, जिसने साइकल सवार और साथ ही सड़क पर चलने वाले लोगों की भी सहायता की. पहले होन्क और अब बीप की आवाजें सड़कों पर होने वाले हादसों को टालने में सहायक होती हैं. अगर आप रोज बाइक पर सवार होकर ऑफिस जाते हैं और सुरक्षित और समय पर ऑफिस पहुंचना चाहते हैं, तो यूनीक आवाज वाले हॉर्न रास्ता साफ करने में बहुत काम आते हैं. अगर कहीं आपका जरूरी, महंगा और यूनीक हॉर्न खराब हो जाए, तो चोर बाजार में कासिम भाई हॉर्न वाला बाइक का हॉर्न ठीक कर देते हैं और आप को बार-बार ब्रेक लगाने की अवश्यकता नहीं पड़ती. वरना मुंबई की सड़कों के ट्रैफिक में अपनी मंजिल तक सही सलामत पहुंचना आसान नहीं है. हॉर्न की आवाज रफ्तार भले ही न बढ़ा सके, लेकिन किसी हादसे को टालने में जरूर सहायता करती है.
कासिम भाई की दुकान रंग-बिरंगे, नए-पूराने हर तरह के हॉर्न से भरी हुई है. कासिम भाई कहते हैं कि अभी भी लोग अपनी गाड़ियों के हॉर्न की मरम्मत कराते हैं. हालांकि अधिकतर लोग पुराने हॉर्न के बदले अब नया हॉर्न लेना अधिक पसंद करते हैं. क्योंकि हमारी दुकान में सस्ते और टिकाऊ हॉर्न बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं.
भिंडी बाजार के इस अनोखे नाम का किसी भिंडी सब्जी से कोई लेना-देना नहीं है. अंग्रेजों के जमाने में इस जगह को ‘बिहाइंड द बाजार’ के नाम से जाना जाता था. जो धीरे-धीरे मुंबईया जबान में भिंडी बाजार हो गया. इसी तरह चोर बाजार में आम तौर पर चोरी का सामान नहीं बल्कि सेकंड हैण्ड और वो भी सस्ता सामान मिलता है. अगर किसी की जेब में पैसे कम हैं, तो वो इस बाजार का रुख करता है. चोर बाजार में अधिकतर मुसलमानों की दुकानें हैं. कई दुकानें बंद हो गई हैं और कुछ ने अपना कारोबार बदल लिया है, लेकिन फिर भी यहां पर पुरानी दुकानें आज भी मौजूद हैं. इन चंद पुरानी दुकानें में से कासिम भाई हॉर्न वाला की दुकान भी एक है. न जगह बदली, न हॉर्न बनाने का काम और न ही हॉर्न बनाने और मरम्मत करने वाला उस्ताद.
चोर बाजार मुंबई का एक जाना-माना नाम है. यहां से अच्छा और सस्ता सामान खरीदना संभव है. बस यह ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह बार्गेनिंग में कितना माहिर है और उसकी नजर कितनी पारखी है. वरना संभव है कि फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ जाए. यह बताते चलें कि प्राचीन और विंटेज सामान, झूमर, पुराने कैसेट और वीडियो टेप, पुराने जमाने के रेडियो, ग्रामोफोन, लकड़ी का सामान, फर्नीचर, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक सामान, एंटीक औपनिवेशिक युग के लैंप, कांच के लैंप और भी बहुत कुछ इस बाजार में ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र है. हर सामान की कई दुकानें मिलेंगी लेकिन जब हॉर्न की बात आती है, तो केवल कासिम भाई हॉर्नवाला की ही दुकान चोर बाजार में जानी-मानी दुकान समझी जाती है. जो थोड़ी-थोड़ी देर में हॉर्न की कभी हल्की, तो कभी तीखी आवाज से अपने होने का आभास कराती रहती है.